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खाट पर स्वास्थ्य व्यवस्थाः प्रसूता को मौत के बाद भी नहीं मिल सकी एंबुलेंस, जानें पूरी बात

गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की प्रसव पीड़िता को एंबुलेंस नहीं मिल सकी. इससे परिजन उसे खाट पर अस्पताल ले जाने लगे, पांच किलोमीटर बाद महिला को प्रसव हुआ और बच्चे की मौत हो गई. महिला को अस्पताल ले जाया गया, यहां चिकित्सक न मिलने से महिला ने दम तोड़ दिया. लेकिन यहां शव को भी वाहन उपलब्ध नहीं कराया जा सका.

गिरिडीह जिला
परिजनों ने खाट के सहारे पैदल ही अस्पताल ले जाते
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Published : Feb 27, 2021, 3:44 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 5:47 PM IST

गिरिडीहः जिले के दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी लोगों पर भारी पड़ने लगी है. अब एंबुलेंस न मिलने पर खाट पर अस्पताल ले जाई जा रही तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की आदिवासी प्रसूता को अपने नवजात बच्चे को खोना पड़ा. इससे स्वास्थ्य महकमे, जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों पर कई सवाल उठ रहे हैं.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ेंः ये महिला की मौत नहीं, दम तोड़ता सिस्टम है, खाट पर लादकर गर्भवती को अस्पताल लाया, गेट पर ही हो गई मौत

दरअसल, तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव के रहने वाली आदिवासी महिला सूरजी को प्रसवपीड़ा होने लगी तो परिजनों ने एंबुलेंस को कॉल किया पर एंबुलेंस के न आने पर घरवाले पैदल ही खाट पर उसे अस्पताल ले जाने लगे. रास्ते में सूरजी को प्रसव पीड़ा बढ़ गई. बाद में उसने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन जन्म के बाद बच्चे बचाया नहीं जा सका. तबीयत बिगड़ने पर प्रसूता को अस्पताल ले जाया गया, मगर इलाज के दौरान महिला ने भी दम तोड़ दिया. इस घटना से स्वास्थ्य महकमा, प्रशासन और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं.

गांव में सड़क ही नहीं
बता दें कि तिसरी प्रखंड उग्रवाद प्रभावित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रखंड के सीमावर्ती इलाके में स्थित इस गांव में सड़क ही नहीं है. इससे यहां कोई एंबुलेंस नहीं आ सकती है. इधर तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की आदिवासी महिला सूरजी को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे अस्पताल ले जाने लगे. सूरजी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसके परिजन और पड़ोसी खाट के सहारे उसे पैदल ही लेकर प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए चल पड़े. पांच किमी की दूरी तय करते करते रास्ते में ही सूरजी ने बच्चे को जन्म दिया. जन्म के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया.

अस्पताल में नहीं थे चिकित्सक
बच्चे को जन्म देने के बाद सूरजी की तबीयत और बिगड़ गई. परिजन किसी तरह अस्पताल पहुंचे. लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थ. एएनएम जबतक सूरजी को लेकर लेबर रूम पहुंचती और उसका इलाज शुरू करती. इससे पहले उसने दम तोड़ दिया. इसी बीच प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिला मुख्यालय में आयोजित विभागीय बैठक में हिस्सा लेकर अस्पताल पहुंचे, तो उन्होनें जच्चा-बच्चा दोनों को मृत घोषित कर दिया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि मृतका तिसरी प्रखंड की थी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही जच्चा-बच्चा की मौत हो चुकी थी. चिकित्सक अस्पताल में नहीं थे.

शव ले जाने के लिए भी नहीं मिला वाहन

सूरजी की मौत के बाद उसे सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिला. परिजनों ने अस्पताल से वाहन की भी मांग, ताकि शव को गांव के कुछ नजदीक ले जाया जा सके. लेकिन, अस्पताल की तरफ से वाहन की भी व्यवस्था नहीं की गई. इसके बाद परिजन खाट पर से ही उठाकर वापस निकल पड़े. तभी भाजपा नेता मुन्ना सिंह अपने ट्रैक्टर से लाश को उसके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की.

गिरिडीहः जिले के दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी लोगों पर भारी पड़ने लगी है. अब एंबुलेंस न मिलने पर खाट पर अस्पताल ले जाई जा रही तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की आदिवासी प्रसूता को अपने नवजात बच्चे को खोना पड़ा. इससे स्वास्थ्य महकमे, जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों पर कई सवाल उठ रहे हैं.

देखें पूरी खबर

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दरअसल, तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव के रहने वाली आदिवासी महिला सूरजी को प्रसवपीड़ा होने लगी तो परिजनों ने एंबुलेंस को कॉल किया पर एंबुलेंस के न आने पर घरवाले पैदल ही खाट पर उसे अस्पताल ले जाने लगे. रास्ते में सूरजी को प्रसव पीड़ा बढ़ गई. बाद में उसने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन जन्म के बाद बच्चे बचाया नहीं जा सका. तबीयत बिगड़ने पर प्रसूता को अस्पताल ले जाया गया, मगर इलाज के दौरान महिला ने भी दम तोड़ दिया. इस घटना से स्वास्थ्य महकमा, प्रशासन और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं.

गांव में सड़क ही नहीं
बता दें कि तिसरी प्रखंड उग्रवाद प्रभावित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रखंड के सीमावर्ती इलाके में स्थित इस गांव में सड़क ही नहीं है. इससे यहां कोई एंबुलेंस नहीं आ सकती है. इधर तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव की आदिवासी महिला सूरजी को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे अस्पताल ले जाने लगे. सूरजी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसके परिजन और पड़ोसी खाट के सहारे उसे पैदल ही लेकर प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए चल पड़े. पांच किमी की दूरी तय करते करते रास्ते में ही सूरजी ने बच्चे को जन्म दिया. जन्म के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया.

अस्पताल में नहीं थे चिकित्सक
बच्चे को जन्म देने के बाद सूरजी की तबीयत और बिगड़ गई. परिजन किसी तरह अस्पताल पहुंचे. लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थ. एएनएम जबतक सूरजी को लेकर लेबर रूम पहुंचती और उसका इलाज शुरू करती. इससे पहले उसने दम तोड़ दिया. इसी बीच प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिला मुख्यालय में आयोजित विभागीय बैठक में हिस्सा लेकर अस्पताल पहुंचे, तो उन्होनें जच्चा-बच्चा दोनों को मृत घोषित कर दिया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि मृतका तिसरी प्रखंड की थी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही जच्चा-बच्चा की मौत हो चुकी थी. चिकित्सक अस्पताल में नहीं थे.

शव ले जाने के लिए भी नहीं मिला वाहन

सूरजी की मौत के बाद उसे सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिला. परिजनों ने अस्पताल से वाहन की भी मांग, ताकि शव को गांव के कुछ नजदीक ले जाया जा सके. लेकिन, अस्पताल की तरफ से वाहन की भी व्यवस्था नहीं की गई. इसके बाद परिजन खाट पर से ही उठाकर वापस निकल पड़े. तभी भाजपा नेता मुन्ना सिंह अपने ट्रैक्टर से लाश को उसके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की.

Last Updated : Feb 27, 2021, 5:47 PM IST
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