गिरिडीह: जिले के सीसीएल गिरिडीह एरिया तीन माह बाद टूट जायेगा और एक अप्रैल 2020 से ढोरी एरिया में मर्ज हो जाएगा. गिरिडीह एरिया को मर्ज करने के प्रपोजल पर सीसीएल के इंपावर्ड कमेटी ऑफ फंक्शनल कमेटी ने मुहर लगा दी है. यह फैसला गिरिडीह एरिया के लगातार घाटे में रहने के बाद उठाया गया है.
प्रपोजल पर मुहर
बताया जाता है बीते फाइनेंशियल ईयर में हुए नुकसान को देखते हुए गिरिडीह एरिया को बीएंडके एरिया में मर्ज करने का प्रपोजल दिया गया था. 27 नवंबर 2020 को सीसीएल के इंपावर्ड कमेटी ऑफ फंक्शनल कमेटी की बैठक में गिरिडीह एरिया के घाटे को देखते हुए इसे मर्ज करने पर विचार-विमर्श हुआ. बैठक में कमेटी ने इस बात को माना की गिरिडीह एरिया का पिछले वित्तीय वर्ष में घाटा ज्यादा है. इसके बाद कमेटी ने सीसीएल गिरिडीह एरिया को एक अप्रैल 2020 से ढोरी एरिया में मर्ज करने के प्रपोजल पर मुहर लगाई.
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जीएम ने की पुष्टि
इसकी पुष्टि सीसीएल गिरिडीह एरिया के जीएम मनोज कुमार अग्रवाल ने भी की है. उन्होने कहा कि ढोरी एरिया में मर्ज होने से सीसीएल गिरिडीह को फायदा होगा. अक्टूबर 2018 में सीसीएल गिरिडीह को एरिया का दर्जा दिया गया था. इसके पूर्व सीसीएल गिरिडीह बीएंडके एरिया के अधीन एक प्रोजेक्ट के रुप में कार्य कर रही थी. एरिया का दर्जा मिलने के बाद गिरिडीह कोलियरी के अच्छे दिन आने की उम्मीद थी. कोलियरी के फायदे में जाने के बजाए कोयला उत्पादन में गिरावट हो गया और कोलियरी को घाटा बढ़ गया.
माइंस को सीटीओ नहीं मिलना भी रहा कारण
गिरिडीह कोलियरी के निरंतर घाटे में रहने की एक बड़ी वजह कोलियरी के कबरीबाद माइंस को सीटीओ नहीं मिलना भी रहा है. लगभग दो साल से कबरीबाद माइंस का सीटीओ निर्गत नहीं हो सका है. ऐसे में कोयला उत्पादन में लगातार गिरावट आती गई.