बगोदर, गिरिडीह: जीटी रोड चौड़ीकरण के लिए सरकार द्वारा भू-रैयतों से जमीन अधिग्रहण किया गया है, मगर बगोदर के अटका में जमीन अधिग्रहण के मापदंड में अनियमितता बरती गई है. आवासीय भूमि अधिग्रहण की जा रही है और मुआवजा कृषि भूमि की दर पर दिए जाने का अवार्ड बनाया गया है. भू- रैयतों ने इसका विरोध किया है.
इस निमित्त सोमवार को भू- रैयतों ने बारिश में भींगते हुए प्रदर्शन किया और जमीन अधिग्रहण के एवज में आवासीय दर पर मुआवजा दिए जाने की मांग की. भू-रैयतों ने दो टूक में कहा कि जमीन अधिग्रहण के बदले आवासीय दर पर जब तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाएगा तब तक वे मुआवजा नहीं लेंगे और न हीं जमीन देंगे. उन्होंने कहा कि वे जान देंगे पर जमीन नहीं देंगे.
एक साल से अधर में लटका है मामला
बता दें कि अटका बाजार के 1100 भू- रैयतों को पिछले साल सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के एवज में नोटिस थमाया गया था.
नोटिस मिलने के बाद भू-रैयतों को जानकारी हुई कि रोड चौड़ीकरण के लिए उनकी आवासीय जमीन जो अधिग्रहित की जा रही है उसके लिए कृषि भूमि की दर पर मुआवजा का मापदंड तैयार किया गया है.
उसके बाद भू- रैयतों का विरोध शुरू हुआ और वे आंदोलन में उतर गए. इसी निमित्त तत्कालीन सीएम रघुवर दास से लेकर वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन तक से भू-रैयतों का शिष्टमंडल मिलकर आवासीय दर पर मुआवजा भुगतान करने की फरियाद लगा चुके हैं.
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तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो से लेकर वर्तमान विधायक विनोद कुमार सिंह द्वारा भी यह कोशिश की गई कि भू- रैयतों को आवासीय दर पर मुआवजा मिले, परंतु आज तक मामले का समाधान नहीं हुआ है.
भूमि अपर समाहर्ता को सौंपा गया आवेदन
इधर तीन दिन पूर्व भी कुछ भू-रैयतों ने गिरिडीह पहुंचकर भूमि अपर समाहर्ता को मांग पत्र सौंपा है, जिसमें रोड चौड़ीकरण के लिए अर्जित भूमि की गलत माप करने एवं आवासीय भूमि को कृषि दर्शाकर गलत तरीके से अवार्ड बनाने की शिकायत करते हुए इसमें सुधार की मांग की गई है.
भू-रैयत सह अटका पूर्वी के मुखिया प्रतिनिधि रामकृष्ण मेहता सहित अन्य द्वारा मांगपत्र सौंपा गया है. बता दें कि बगोदर प्रखंड के अटका में यह गड़बड़ी की गई है, जबकि अन्य जगहों पर जमीन अधिग्रहण के एवज में भू-रैयतों को आवासीय दर पर मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है.