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गिरिडीह के इस गांव में सालों भर रहती है हरियाली, कृषि कार्य पर आत्मनिर्भर हैं हर परिवार - गिरिडीह का बरवाडीह गांव की खबरें

गिरिडीह में एक ऐसा गांव है, जहां से बहुत कम लोग ही बाहर कमाने के लिए जाते हैं. इस गांव के लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य पेशा कृषि है. इसे लेकर कृषि विभाग उन्हें प्रेरित भी करता है.

Bakradih village of Giridih dependent on agriculture
गिरिडीह के इस गांव में सालों भर रहती है हरियाली
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Published : Feb 5, 2021, 4:48 PM IST

गिरिडीह: जिले के सरिया प्रखंड का बकराडीह एक ऐसा गांव हैं, जहां बहुत कम लोग बाहर कमाने के लिए जाते हैं. इस गांव की आबादी एक हजार के करीब है. इस गांव की विशेषता यह है कि यहां के खेतों में सालों भर हरियाली छाई रहती है. ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का मुख्य पेशा कृषि है. इसे लेकर कृषि विभाग किसानों को प्रेरित भी करता है.

देखें पूरी खबर

कई तरह की फसलों की होती है खेती

यहां उपजाए जाने वाले मुख्य फसलों में गेहूं, धान, मकई, आलू, गोभी, मटर, बैगन, टमाटर, मिर्ची, चना और सरसों शामिल हैं. किसानों को कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग की ओर से ग्रामीणों को प्रेरित भी किया जाता है. विभाग की ओर से किसानों को बीज और खाद भी उपलब्ध कराए जाते हैं. यहां की लगभग 50 एकड़ भूमि पर हमेशा हरियाली रहती है. एक फसल समाप्त होते ही दूसरे फसल लगा दिए जाते हैं.

ये भी पढ़ें-किसानों के समर्थन में 13 फरवरी को पूरे प्रदेश में पदयात्रा निकालेगी कांग्रेस, बैठक में तैयार की गई रणनीति

कृषि पर निर्भर लोग

गांव के किनारे से गुजरती नदी और कुआं के पानी से फसलों की सिंचाई की जाती है. तैयार फसलों को लोकल बाजारों में बेचा जाता है. बताया जाता है कि यहां के सभी परिवार कृषि कार्य में दिलचस्पी रखते हैं. इसके लिए जानवरों पर ग्रामीणों का नियंत्रण रहता है. जानवरों को बांध कर रखा जाता है. जानवरों की ओर से फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने पर हर्जाना वसूला जाता है. बताया जाता है कि रोजगार की तलाश में इक्का-दुक्का लोग ही इस गांव से पलायन करते हैं. लोग कृषि पर ही निर्भर हैं और इससे उनका परवरिश भी बढ़िया से हो जाता है.

गिरिडीह: जिले के सरिया प्रखंड का बकराडीह एक ऐसा गांव हैं, जहां बहुत कम लोग बाहर कमाने के लिए जाते हैं. इस गांव की आबादी एक हजार के करीब है. इस गांव की विशेषता यह है कि यहां के खेतों में सालों भर हरियाली छाई रहती है. ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का मुख्य पेशा कृषि है. इसे लेकर कृषि विभाग किसानों को प्रेरित भी करता है.

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कई तरह की फसलों की होती है खेती

यहां उपजाए जाने वाले मुख्य फसलों में गेहूं, धान, मकई, आलू, गोभी, मटर, बैगन, टमाटर, मिर्ची, चना और सरसों शामिल हैं. किसानों को कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग की ओर से ग्रामीणों को प्रेरित भी किया जाता है. विभाग की ओर से किसानों को बीज और खाद भी उपलब्ध कराए जाते हैं. यहां की लगभग 50 एकड़ भूमि पर हमेशा हरियाली रहती है. एक फसल समाप्त होते ही दूसरे फसल लगा दिए जाते हैं.

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कृषि पर निर्भर लोग

गांव के किनारे से गुजरती नदी और कुआं के पानी से फसलों की सिंचाई की जाती है. तैयार फसलों को लोकल बाजारों में बेचा जाता है. बताया जाता है कि यहां के सभी परिवार कृषि कार्य में दिलचस्पी रखते हैं. इसके लिए जानवरों पर ग्रामीणों का नियंत्रण रहता है. जानवरों को बांध कर रखा जाता है. जानवरों की ओर से फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने पर हर्जाना वसूला जाता है. बताया जाता है कि रोजगार की तलाश में इक्का-दुक्का लोग ही इस गांव से पलायन करते हैं. लोग कृषि पर ही निर्भर हैं और इससे उनका परवरिश भी बढ़िया से हो जाता है.

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