गिरिडीह: सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिलने वाले शैक्षणिक प्रतिष्ठान से जारी प्रमाण पत्र पर बहाल हुए सहायक शिक्षक (उस वक्त पारा शिक्षक) की बरखास्तगी होगी. वर्तमान में ऐसे 225 सहायक शिक्षकों को कार्य करने पर रोक लगा दी है. यह रोक जिला शिक्षा अधीक्षक सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विनय कुमार ने लगाई है. कार्य पर रोक लगाने के बाद बरखास्तगी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है. इसे लेकर डीएसई ने सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को पत्र लिखकर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
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बताया जाता है कि सरकार के द्वारा सहायक शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच करवायी गई थी. जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. विभाग ने बताया कि इन 225 सहायक शिक्षकों का शैक्षणिक प्रमाण पत्र भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ, वृंदावन विश्वविद्यालय मथुरा, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद समेत कई वैसे विश्वविद्यालय से निर्गत हुआ था, जो मान्यता प्राप्त है ही नहीं. पूरा खुलासा उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव से मिले जवाब के बाद हुआ था. डीएसई ने बताया कि प्रमाण पत्र की जांच के लिए संस्थान की मान्यता की जानकारी के लिए यूपी के शिक्षा सचिव को पत्र लिखा गया था. 10 जुलाई को यूपी के शिक्षा सचिव ने जानकारी दी की इन शिक्षण संस्थान को सरकार से मान्यता नहीं मिली है.
सवालों के जद में विभाग: भले ही विभाग ने 225 शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन इन सबों के बीच सवालों के जद शिक्षा विभाग ही है. आखिर फर्जी प्रमाण पत्र पर इतने सारे लोग कैसे नियोजित हुए. बीच बीच में कई बार जब जांच हुई तो इसका खुलासा क्यों नहीं हो सका.