ETV Bharat / state

ईटीवी भारत की खबर का असर: पारसनाथ में नाला अतिक्रमण पर प्रशासन हुआ सख्त, हटा अवैध पुलिया - गिरिडीह न्यूज

पारसनाथ पर्वत से मधुबन पहुंचे नाले का अतिक्रमण किया गया है. यह नाला अब नाली का स्वरूप ले चुका है. 25 से 35 फीट का नाला 10-15 फीट की चौड़ाई में सिमट गया. इसकी खबर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित की. खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन सख्त हुआ तो जैन संस्था ने नाले पर बनाये अवैध पुलिया को हटा लिया है.

Impact of ETV Bharat News
अतिक्रमण मुक्त नाला
author img

By

Published : Mar 17, 2023, 3:34 PM IST

Updated : Mar 17, 2023, 6:08 PM IST

देखें संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की रिपोर्ट

गिरिडीह: पारसनाथ से उतरे नाला का अतिक्रमण जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में हुए अतिक्रमण की खबर ईटीवी भारत प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है. अभी इस नाला के अतिक्रमण से जुड़ी दो खबरें प्रकाशित की गई है. खबर प्रकाशन के बाद से जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने इस विषय पर अपर समाहर्ता विल्शन भेंगरा को आवश्यक निर्देश दिया था. जबकि अंचलाधिकारी को भी जांच करने को कहा गया था.

ये भी पढ़ें- Encroachment of Drain in Parasnath: पारसनाथ से निकले नाला की साल दर साल घटती गई चौड़ाई, बरसात में लोगों की बढ़ती रही परेशानी

जांच में यह पाया गया कि नाला का न सिर्फ अतिक्रमण किया गया है बल्कि स्वरूप से छेड़छाड़ हुआ है. 25-35 फीट का यह प्राकृतिक नाला अब 10-15 फीट ही बचा है. यह भी पाया गया कि नाले पर बगैर किसी अनुमति के सम्मेदाचल व गुणायतन संस्था के बीच लोहे का पुल बना दिया गया है. ऐसे में अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा ने सम्बंधित संस्था के प्रबंधक को यह निर्देश दिया कि वे इस पुल को जल्द से जल्द हटाये. निर्देश के बाद अंचलाधिकारी सख्त होते गए अंततः संस्था द्वारा पुल को हटा लिया गया है.

लोगों की मांग सभी जगह से हटे अतिक्रमण: अब भले ही संस्था ने पुल हटा लिया है लेकिन स्थानीय लोग नाला से अतिक्रमण को पूरी तरह से हटाने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय अमर तुरी, अम्बिका राय, अजीत राय का कहना है कि सिर्फ पुल को हटा लेना समाधान नहीं है. नाला के स्वरूप से छेड़छाड़ करने वाले के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. साथ ही साथ जहां जहां अतिक्रमण हुआ है वहां से अतिक्रमण हटाना चाहिए.

नापी के बाद कार्रवाई के संकेत: इधर अपर समाहर्ता और अंचलाधिकारी का कहना है कि कर्मचारी को निर्देश दिया गया है कि नाला का नापी हो. नापी के बाद आगे की कार्रवाई होगी. इनका कहना है कि प्राकृतिक नाला के साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकता. ऐसे में हर उस जगह को चिन्हित किया जाएगा जहां जहां अतिक्रमण हुआ है.

देखें संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की रिपोर्ट

गिरिडीह: पारसनाथ से उतरे नाला का अतिक्रमण जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में हुए अतिक्रमण की खबर ईटीवी भारत प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है. अभी इस नाला के अतिक्रमण से जुड़ी दो खबरें प्रकाशित की गई है. खबर प्रकाशन के बाद से जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने इस विषय पर अपर समाहर्ता विल्शन भेंगरा को आवश्यक निर्देश दिया था. जबकि अंचलाधिकारी को भी जांच करने को कहा गया था.

ये भी पढ़ें- Encroachment of Drain in Parasnath: पारसनाथ से निकले नाला की साल दर साल घटती गई चौड़ाई, बरसात में लोगों की बढ़ती रही परेशानी

जांच में यह पाया गया कि नाला का न सिर्फ अतिक्रमण किया गया है बल्कि स्वरूप से छेड़छाड़ हुआ है. 25-35 फीट का यह प्राकृतिक नाला अब 10-15 फीट ही बचा है. यह भी पाया गया कि नाले पर बगैर किसी अनुमति के सम्मेदाचल व गुणायतन संस्था के बीच लोहे का पुल बना दिया गया है. ऐसे में अंचलाधिकारी विनय प्रकाश तिग्गा ने सम्बंधित संस्था के प्रबंधक को यह निर्देश दिया कि वे इस पुल को जल्द से जल्द हटाये. निर्देश के बाद अंचलाधिकारी सख्त होते गए अंततः संस्था द्वारा पुल को हटा लिया गया है.

लोगों की मांग सभी जगह से हटे अतिक्रमण: अब भले ही संस्था ने पुल हटा लिया है लेकिन स्थानीय लोग नाला से अतिक्रमण को पूरी तरह से हटाने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय अमर तुरी, अम्बिका राय, अजीत राय का कहना है कि सिर्फ पुल को हटा लेना समाधान नहीं है. नाला के स्वरूप से छेड़छाड़ करने वाले के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. साथ ही साथ जहां जहां अतिक्रमण हुआ है वहां से अतिक्रमण हटाना चाहिए.

नापी के बाद कार्रवाई के संकेत: इधर अपर समाहर्ता और अंचलाधिकारी का कहना है कि कर्मचारी को निर्देश दिया गया है कि नाला का नापी हो. नापी के बाद आगे की कार्रवाई होगी. इनका कहना है कि प्राकृतिक नाला के साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकता. ऐसे में हर उस जगह को चिन्हित किया जाएगा जहां जहां अतिक्रमण हुआ है.

Last Updated : Mar 17, 2023, 6:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.