गिरिडीहः लॉकडाउन के बाद दूसरे राज्यों में रोजगार करने गए मजदूर अपने गृह राज्य की ओर पलायन कर रहे है, जिसके लिए भारतीय रेल ने स्पेशल ट्रेन की भी शुरुआत की थी. वहीं, झारखंड के गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले के 31 प्रवासी मजदूर पिछले 5 महीने से म्यानमार में फंसे हुए हैं. मजदूरों को वहां न तो काम के बदले मजदूरी मिल पा रही है और न ही समय पर खाना पीना, जिससे मजदूर परेशान हैं. मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो वायरल कर वतन वापसी की गुहार लगाई है.
वतन वापसी में सहयोग करने की मांग
रोजी-रोटी की जुगाड़ के लिए म्यानमार गए गिरिडीह के 6 सहित झारखंड के 31 प्रवासी मजदूरों के फंसे होने का मामला सामने आया है. मजदूरों को वहां पर मजदूरी और खाना-पीना नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से सभी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो वायरल कर अपने दुख साझा करते हुए सरकार से वतन वापसी में सहयोग करने की मांग की है.
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गिरिडीह जिले के फंसे मजदूर
गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के कौलेश्वर महतो, रामदेव मुर्मू, भागिरथ महतो, सरिया थाना क्षेत्र के नीलकंठ महतो, धनेश्वर महतो और परमेश्वर महतो म्यानमार में फंसे हुए हैं.
हजारीबाग जिले के फंसे मजदूर
हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के टेकनारायण महतो, सत्यनारायण कुमार महतो, नीलकंठ महतो, केदारनाथ महतो, विवेक कुमार पटेल, रामचंद्र महतो, गंगा महतो, मोहन महतो, बंधन महतो, छट्टू मिस्त्री, अजय कुमार महतो, राम किशुन महतो, उमेश महतो, मनिजर महतो, सुनील कुमार महतो, महेश महतो, छत्रु कुमार महतो, छत्रधारी महतो, खिरोधर महतो, सुरेंद्र कुमार महतो और टाटी झरिया प्रखंड के सुनील कुमार महतो शामिल है.
बोकारो जिले के फंसे मजदूर
बोकारो जिले के चतरोचट्टी थाना क्षेत्र के शंकर महतो, लालमन महतो, लखन महतो और जगदीश महतो बर्मा में फंसने वालों में शामिल हैं. इधर, प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले सिकंदर अली ने बताया कि सभी मजदूर म्यांमार की राजधानी नेपिडॉओ में फंसे हुए हैं. बताया कि 6 महीने पूर्व सभी मजदूर डोनेशन देकर टावर लेन में काम करने के लिए म्यांमार गए हुए थे.