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गढ़वा: लॉकडाउन में रोके जाने पर नाराज हैं चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी, सीएस को लिखा पत्र - garhwa news today

गढ़वा में चिकित्सा पदाधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों ने एक आवश्यक बैठक की. इस दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके साथ पुलिस बेवजह दुर्व्यवहार कर रही है. दुर्व्यवहार करने वालों के ऊपर कार्रवाई की मांग लेकर उनलोगों ने सिविल सर्जन को एक पत्र भेजा गया है.

लॉकडाउन में रोके जाने पर नाराज हैं चिकित्सक और कर्मी
Gadhwa's doctors and workers are angry at being stopped in lockdown
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Published : Apr 22, 2020, 4:38 PM IST

गढ़वा: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर के चिकित्सा पदाधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों ने एक आवश्यक बैठक की. इस दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके साथ पुलिस बेवजह दुर्व्यवहार कर रही है. बैठक के बाद सिविल सर्जन को एक पत्र भेजा गया है. जिसमें ऐसी स्थिति में चिकित्सीय कार्य करने में असमर्थता जाहिर की गई है, साथ ही दुर्व्यवहार करने वालों पर कार्रवाई की मांग की गई है.

देखें पूरी खबर

कानूनी कार्रवाई करने की मांग

सिविल सर्जन को भेजे गए पत्र में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जफर हसन, डॉ अभिनीत विश्वास, एएनएम एमलेन बेक, अंचला कुमारी और कई बीटीटी का जिक्र किया गया है, जिसमे कहा गया है कि संस्थान की ओर से निर्गत पास और प्रमाणपत्र होने के बावजूद पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है. पुलिस ड्यूटी पर आने-जाने से रोकती है. अभद्र भाषा का प्रयोग करती है और बेवजह इंतजार कराती है. ऐसी स्थिति में चिकित्सीय कार्य संपादित करना संभव नहीं है. चिकित्सा कर्मियों ने सिविल सर्जन से इस संदर्भ में कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें-IDBI बैंक के असिस्टेंट मैनेजर को जॉब से निकालने का मामला, HC ने शीघ्र नियुक्ति का दिया आदेश

लॉकडाउन का पालन करना सबका कर्तव्य

इस बारे में पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने कहा कि सिविल ड्रेस में किसी की पहचान नहीं होती है. आई कार्ड लगाकर ड्यूटी करना श्रेष्ठकर होगा. अनावश्यक रूप से इधर-उधर घूमने से बचना चाहिए. क्योंकि लॉकडाउन का पालन करना सबका कर्तव्य है. उन्होंने इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी से बात की है. चिंता की कोई बात नहीं है.

गढ़वा: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवनाथपुर के चिकित्सा पदाधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों ने एक आवश्यक बैठक की. इस दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके साथ पुलिस बेवजह दुर्व्यवहार कर रही है. बैठक के बाद सिविल सर्जन को एक पत्र भेजा गया है. जिसमें ऐसी स्थिति में चिकित्सीय कार्य करने में असमर्थता जाहिर की गई है, साथ ही दुर्व्यवहार करने वालों पर कार्रवाई की मांग की गई है.

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कानूनी कार्रवाई करने की मांग

सिविल सर्जन को भेजे गए पत्र में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जफर हसन, डॉ अभिनीत विश्वास, एएनएम एमलेन बेक, अंचला कुमारी और कई बीटीटी का जिक्र किया गया है, जिसमे कहा गया है कि संस्थान की ओर से निर्गत पास और प्रमाणपत्र होने के बावजूद पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है. पुलिस ड्यूटी पर आने-जाने से रोकती है. अभद्र भाषा का प्रयोग करती है और बेवजह इंतजार कराती है. ऐसी स्थिति में चिकित्सीय कार्य संपादित करना संभव नहीं है. चिकित्सा कर्मियों ने सिविल सर्जन से इस संदर्भ में कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

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लॉकडाउन का पालन करना सबका कर्तव्य

इस बारे में पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने कहा कि सिविल ड्रेस में किसी की पहचान नहीं होती है. आई कार्ड लगाकर ड्यूटी करना श्रेष्ठकर होगा. अनावश्यक रूप से इधर-उधर घूमने से बचना चाहिए. क्योंकि लॉकडाउन का पालन करना सबका कर्तव्य है. उन्होंने इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी से बात की है. चिंता की कोई बात नहीं है.

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