गढ़वा: वैसे तो शादी का प्रचलन मानव जाति में है लेकिन गढ़वा में एक ऐसी शादी संपन्न हुई, जिसने सब को चकित कर दिया. जब बारात निकाली तो लगा किसी बड़े घराने के बेटे की बारात जा रही है लेकिन डोली पर दूल्हा की जगह मेढ़क राजा बैठा हुआ था. पूरे रीति रिवाज से संपन्न कराए गए दुल्हा-दुल्हन बने मेढ़क-मेढ़की की शादी की सैकड़ों लोग गवाह बने. बारात में शामिल लोगों ने ईश्वर से इस शादी को सफल बनाने की प्रार्थना की.
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वर्षा और सुख समृद्धि के लिए 1966 से हो रही शादी
भयंकर अकाल से राहत पाने और गांव के सुख समृद्धि के लिए सबसे पहले साल 1966 में गांव के जमींदार महेश्वर नाथ सिंह ने गांव में मेढ़क-मेढ़की की शादी कराई थी. बताया जाता है कि उस शादी के बाद गांव में जमकर वर्षा हुई थी. लोगों को अकाल से राहत मिली थी. उसके बाद गांव में मेढ़क-मेढ़की की शादी का प्रचलन शुरू हो गया. शादी का यह रस्म गढ़वा जिला के मेराल प्रखंड के बाना गांव में संपन्न कराया गया.
बाजे-गाजे के साथ निकली मेढ़क राजा की बारात में सैकड़ों महिलाएं शामिल रहीं, वाद्य यंत्रों की धुन पर बच्चे नाच रहे थे. महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं. शादी को लेकर गांव के दुर्गा मंडप को आकर्षक रूप में सजाया गया था. लड़का और लड़की पक्ष के रूप में ग्रामीण दो भागों में विभक्त थे. गर्मजोशी के साथ बारातियों का स्वागत हुआ.
शादी के जरिये इंद्रदेव को मनाते हैं ग्रामीण
गांव के मुखिया विजय सिंह ने कहा कि उनके पूर्वज द्वारा शुरू किया गया यह प्रयोग आज इंद्रदेव को मनाने का पवित्र माध्यम बन चुका है. गांव के लोगों के लिए जीविका का साधन कृषि है. यहां का कृषि पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर होता है. यही कारण है कि हर साल इस शादी के माध्यम से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस शादी के बाद गांव में वर्षा हुई थी.