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गढ़वा में तेंदुए का आतंक जारी, नमी वाले इलाके में आदमखोर को ढूंढ रही वन विभाग की टीम

गढ़वा के लोग इलाके में तेंदुए की मौजूदगी के कारण दहशत में हैं. तेंदुए ने अब तक तीन बच्चों की जान ले ली है. वहीं वन विभाग की टीम लगातार तेंदुए को तलाश कर रही (Forest Department In Search For Leopard In Garhwa) है, लेकिन अब तक टीम को इसमें सफलता नहीं मिली है.

Forest Department In Search For Leopard In Garhwa
Leopard In Garhwa
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Published : Dec 30, 2022, 4:09 PM IST

पलामू/गढ़वा: गढ़वा के इलाके में तेंदुए का आतंक जारी है. तेंदुआ नमी वाले इलाके में लोगों को निशाना बना रहा है. विभाग नमी और पानी स्त्रोत वाले इलाके में तेंदुए की तलाश कर (Forest Department In Search For Leopard In Garhwa) रहा है. तेंदुए ने अब तक जितने भी हमले किए हैं वो इलाके नमी वाले रहे हैं.

तेंदुआ अब तक तीन बच्चों की जान ले चुका है, जबकि चार से अधिक लोगों को जख्मी कर चुका है. तेंदुए का आतंक गढ़वा के रंका, भंडरिया और रमकंडा के इलाके में है. तेंदुआ बच्चों को लगातार निशाना बना रहा है. इस संबंध में डीएफओ दिलीप कुमार ने बताया कि पानी के स्त्रोत वाले इलाके में तेंदुए की मौजूदगी है. इसलिए इन इलाकों में तेंदुए की खोज की जा रही है. डीएफओ बताते हैं कि तेंदुए का पंजा काफी सॉफ्ट होता है, कठोर जमीन या अन्य जगहों पर इसका चलना मुश्किल है. तेंदुए का कोई इलाका भी नहीं होता है यह पेड़ पर छिप कर शिकार करता है. तेंदुए ने अधिकतर हमले शाम के वक्त किए हैं. विभागीय जांच में अभी तक यह पुष्टि हुई है कि सारे हमले एक ही तेंदुए ने किया है.

ये भी पढे़ं-आदमखोर तेंदुए ने बच्चों पर किया हमला, एक की मौत

तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की जटिल है प्रक्रियाः तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की प्रक्रिया काफी जटिल (Process To Declare Leopard Maneater Is Complicated) है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन या पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ही तेंदुए को आदमखोर घोषित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें भी लिखित तौर पर यह बताना होगा कि तेंदुआ मानव जीवन के लिए खतरा है. इससे पहले डीएफओ और रेंज ऑफिसर तेंदुआ द्वारा मानव जीवन को पहुंचाया गए नुकसान की पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को भेजेंगे. आदमखोर घोषित करने से पहले तेंदुआ को ट्रैंकुलाइज किया जाएगा. इस संबंध में वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि तेंदुए द्वारा मानव जीवन को पहुंचाए गए नुकसान के आंकड़े इसमें महत्वपूर्ण होते हैं. उन्होंने बताया कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन तेंदुआ को मैन इटर घोषित करेंगे, लेकिन उससे पहले ट्रैंकुलाइज करने की भी प्रक्रिया की जाएगी. ट्रैंकुलाइज करने के बाद तेंदुआ को वापस जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि उसे चिड़ियाघर में रखा जाएगा.

तेंदुए से बचाव के लिए जारी किया गया गाइडलाइनः तेंदुए से बचाव के लिए वन विभाग द्वारा गढ़वा के इलाके में गाइडलाइन जारी किया गया है. वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वो शाम के वक्त अकेले बाहर नहीं निकले, बल्कि झुंड में बाहर (Leopard Terror In Garhwa) निकलें. बच्चों को अकेले कहीं घूमने नहीं जाने दें या खेलने नहीं दें. घर और उसके आसपास के इलाके में झाड़ियों को साफ रखें और गंदगी नहीं रहने दें. विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि तेंदुआ पेड़ पर छिप कर रहता है और वार करता है, इसलिए अपने घर के अगल-बगल पेड़ों पर भी ध्यान रखें. तेंदुए को पकड़ने के लिए और ट्रैक करने के लिए 60 से अधिक ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं, जबकि आधा दर्जन से अधिक इलाकों में केज भी लगाया गया है. सारे केज ऑटोमैटिक हैं और उसमें विभाग ने बकरी को बांध कर रखा है.

पलामू/गढ़वा: गढ़वा के इलाके में तेंदुए का आतंक जारी है. तेंदुआ नमी वाले इलाके में लोगों को निशाना बना रहा है. विभाग नमी और पानी स्त्रोत वाले इलाके में तेंदुए की तलाश कर (Forest Department In Search For Leopard In Garhwa) रहा है. तेंदुए ने अब तक जितने भी हमले किए हैं वो इलाके नमी वाले रहे हैं.

तेंदुआ अब तक तीन बच्चों की जान ले चुका है, जबकि चार से अधिक लोगों को जख्मी कर चुका है. तेंदुए का आतंक गढ़वा के रंका, भंडरिया और रमकंडा के इलाके में है. तेंदुआ बच्चों को लगातार निशाना बना रहा है. इस संबंध में डीएफओ दिलीप कुमार ने बताया कि पानी के स्त्रोत वाले इलाके में तेंदुए की मौजूदगी है. इसलिए इन इलाकों में तेंदुए की खोज की जा रही है. डीएफओ बताते हैं कि तेंदुए का पंजा काफी सॉफ्ट होता है, कठोर जमीन या अन्य जगहों पर इसका चलना मुश्किल है. तेंदुए का कोई इलाका भी नहीं होता है यह पेड़ पर छिप कर शिकार करता है. तेंदुए ने अधिकतर हमले शाम के वक्त किए हैं. विभागीय जांच में अभी तक यह पुष्टि हुई है कि सारे हमले एक ही तेंदुए ने किया है.

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तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की जटिल है प्रक्रियाः तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की प्रक्रिया काफी जटिल (Process To Declare Leopard Maneater Is Complicated) है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन या पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ही तेंदुए को आदमखोर घोषित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें भी लिखित तौर पर यह बताना होगा कि तेंदुआ मानव जीवन के लिए खतरा है. इससे पहले डीएफओ और रेंज ऑफिसर तेंदुआ द्वारा मानव जीवन को पहुंचाया गए नुकसान की पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को भेजेंगे. आदमखोर घोषित करने से पहले तेंदुआ को ट्रैंकुलाइज किया जाएगा. इस संबंध में वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि तेंदुए द्वारा मानव जीवन को पहुंचाए गए नुकसान के आंकड़े इसमें महत्वपूर्ण होते हैं. उन्होंने बताया कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन तेंदुआ को मैन इटर घोषित करेंगे, लेकिन उससे पहले ट्रैंकुलाइज करने की भी प्रक्रिया की जाएगी. ट्रैंकुलाइज करने के बाद तेंदुआ को वापस जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि उसे चिड़ियाघर में रखा जाएगा.

तेंदुए से बचाव के लिए जारी किया गया गाइडलाइनः तेंदुए से बचाव के लिए वन विभाग द्वारा गढ़वा के इलाके में गाइडलाइन जारी किया गया है. वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वो शाम के वक्त अकेले बाहर नहीं निकले, बल्कि झुंड में बाहर (Leopard Terror In Garhwa) निकलें. बच्चों को अकेले कहीं घूमने नहीं जाने दें या खेलने नहीं दें. घर और उसके आसपास के इलाके में झाड़ियों को साफ रखें और गंदगी नहीं रहने दें. विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि तेंदुआ पेड़ पर छिप कर रहता है और वार करता है, इसलिए अपने घर के अगल-बगल पेड़ों पर भी ध्यान रखें. तेंदुए को पकड़ने के लिए और ट्रैक करने के लिए 60 से अधिक ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं, जबकि आधा दर्जन से अधिक इलाकों में केज भी लगाया गया है. सारे केज ऑटोमैटिक हैं और उसमें विभाग ने बकरी को बांध कर रखा है.

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