गढ़वाः कहते हैं कि बड़े ओहदे पर जाने के बाद लोग अपना वजूद भूल जाते हैं, सामाजिक स्टेटस मेंटेन करने के चक्कर में अपने घर परिवार को दूर कर देते हैं. लेकिन आधुनिक युग में तेजी से पनपती इस धारणा को हैदराबाद में पोस्टेड गढ़वा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने पूरी तरह खारिज कर दिया है.
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जिला मुख्यालय के सोनपुरवा लाइन पार के खेत में इंजीनियर दिखाई दे रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के किसान का पुत्र इंजीनियर को अपनी मिट्टी से प्रेम है. इसलिए आज वो वर्क फ्रॉम होम के दौरान अपने खेत में भी समय दे रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम के तहत इंजीनियर अजय कुमार घर लौटे तो कंप्यूटर की कोमल बटन पर राज करने वाली उनकी उंगुलियां पत्थर बनी बंजर जमीन को चीरती दिखीं. इंजीनियर के प्रयास से ना सिर्फ उस जमीन पर फसल लहलहा रही है बल्कि लाख रुपये साल की कमाई भी होने लगी है.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अजय कुमार ने कहा कि उनके अंदर इंजीनियर होने को कोई गुरूर नहीं है. लॉकडाउन के दौरान घर की इनकम रुक गयी थी. उन्होंने सोचा थोड़ा मेहनत कर घर की बंद आय को चालू किया जा सकता है. खेती उनके लिए नई बात नहीं है, 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपने घर के लोगों के साथ खेत में काम किया है. उन्हें खेत में काम करना अच्छा लगता है. वहीं अजय के पिता चंद्रिका दास ने कहा कि जमीन पूरी तरह बंजर थी, सिचाई की भी व्यवस्था नहीं थी. फिर घर के लोग मिलकर खुद से कुआं खोदा और उसके पानी से सब्जी की खेती शुरू कर दी.
इसके लिए उन्होंने घर के बच्चों से लेकर महिलाओं को इसके लिए मोटिवेट किया. घर के सारे सदस्य हल और फावड़े के साथ खेत मे उतर गए. देखते ही देखते बंजर जमीन पर फसल लहलहाने लगी. फिलहाल उस एक एकड़ बंजर जमीन से एक लाख रुपये साल में कमाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. पहली फसल के रूप में बीन्स को बाजार में भेजा जा रहा है. अजय कुमार ने बंजर जमीन में खेती कर लोगों को एक नई दिशा दी है.
सोनपुरवा लाइन पार निवासी चंद्रिका दास के पुत्र अजय कुमार पढ़ने में काफी मेधावी थे. उन्होंने कड़ी मेहनत कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और हैदराबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी ज्वाइन की. लॉकडाउन के बाद वो घर लौट आए और अभी-भी वो वर्क फ्रॉम होम के तहत काम कर रहे हैं. इंजीनियर होने के बावजूद उन्होंने अपनी बंजर पड़ी एक एकड़ जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत की.