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स्पेनिश फ्लू की तरह गांवों तक पहुंच रहा कोरोना, लोगों की जा रही जान

देश में कोरोना लगातार पैर पसार रहा है. देश के सभी राज्यों में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज ट्रेन, बस और ऑटो से सफर कर गांव-गांव पहुंच रहे हैं, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से लोगों की मौत हो रही है.

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रेलवे स्टेशन
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Published : May 25, 2021, 5:24 PM IST

गढ़वा: भारत में कोरोनो का कहर 1918 के स्पेनिश फ्लू की भय को याद दिलाने लगा है. दोनों वायरस का असर एक जैसा ही है. लगभग पूरा देश ही इस वायरस के व्यापक चपेट में हैं. एक-एक घर से दो-दो शव निकल रहा है. कोरोना से लोग काफी डरे सहमे हैं. स्पेनिश फ्लू का वायरस हवाई जहाज से गांवों तक पहुंचा था. अब कोरोना वायरस ट्रेन, बस और ऑटो से सफर कर लोगों की जान ले रहा है. एक कोरोना संक्रमित जवान भी इलाज कराने ट्रेन से गढ़वा पहुंच गया.

देखें पूरी खबर
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प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 में हवाई जहाज से घर लौटकर आए सैनिकों के माध्यम से स्पेनिश फ्लू विश्व के कई देशों के साथ भारत के गांवों में फैला था, जिसमें केवल भारत में एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. उसी तरह कोरोना वायरस भी अपना स्वरूप बदल-बदल कर लोगों को शिकार बना रहा है. कोरोना वायरस के प्रथम लहर को रोकने के लिए पूरे देश में जहाज से लेकर ऑटो तक के परिचालन को रोक दिया गया था. दूसरी लहर में ट्रेन, बस ऑटो चलाने की छूट दे दी गई है, जिसके कारण गढ़वा के गांवों में कोरोना कहर मचाने लगा है. गांव के गांव कोरोना के चपेट में आ गए. प्रायः सभी गांवों से शव यात्रा निकलने लगी. सरकारी तंत्र ने भी कोरोना के सामने घुटने टेक दिया.



कोरोन से मरने के बजाय फांसी लगाकर मरना समझा आसान
जिलेभर के कोरोना मरीजों के गंभीर होने पर सदर अस्पताल गढ़वा रेफर किया जाता है. बीच में सदर अस्पताल की स्थिति यह हो गई थी कि कोरोना मरीज चिल्ला-चिल्लाकर दम तोड़ रहे थे. उन्हें सुनने वाला कोई नहीं था. कई लोग ऑक्सीजन के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गए. इस तरह तड़प-तड़प कर मरते देख एक कोरोना संक्रमित युवक ने कोविड वार्ड में फांसी लगाकर जान दे दी.


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गांवों की हालत है खराब
दूसरे प्रदेशों में कमाने वाले कई लोग ट्रेन और बस से सफर कर घर लौटे. ऑटो का भी प्रयोग गांवों के अंतिम घरों तक होता रहा. इस कारण शहरों के साथ-साथ कोरोना वायरस तेजी से गांवों में फैलने लगा. गढ़वा के सोनपुरवा, भंडरिया के भीतरी भंडरिया और मेराल के आकलवानी गांव में तो एक-एक घर से दो-दो शव यात्रा निकले. जिले में ऐसे कितने गांव हैं, जहां ऐसी विपत्ति का सामना करना पड़ा. जिला मुख्यालय के सोनपुरवा मुहल्ले में बस-ऑटो से आई, बारात से कोरोना फैला. ऐसे चार घर थे, जिनके यहां बारात आई. उनके घर के एक-एक रिश्तेदारों की मौत हो गई.



ट्रेन में बैठकर गढ़वा पहुंच कोरोना पीड़ित जवान
जिले के केतार थाना पोस्टेड सिपाही विजय कुमार सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. वे शक्तिपुंज एक्सप्रेस से गढ़वा पहुंचे. उन्होंने कहा की नगर उंटारी से गढ़वा के लिए वाहन वाले उनसे दो सौ रुपये मांग रहे थे, इसलिए ट्रेन पकड़कर गढ़वा पहुंचे, जहां उन्हें अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना है. विजय सिंह को गढ़वा के गोविन्द प्लस टू स्कूल में बनाए गए अस्थायी अस्पताल में रखा गया है. इसी तरह पासपोर्ट बनवाने कोलकाता जा रहे गढ़वा के दिलसाज खान ने कहा कि उन्हें ट्रेन में सफर करने में भय लग रहा है, लेकिन मजबूरी है. वहीं ट्रेन के टीटी राजीव कुमार ने कहा कि सभी ट्रेन में भीड़ कम है फिर भी डर तो लगता ही है.


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ट्रेन-बस में सफर खतरनाक- डॉ विकीर्ण भर्ती
गढ़वा जिले में कोरोना महामारी के इलाज और सलाह के लिए बनाए गए आईएमए के पैनल में शामिल डॉ विकीर्ण भारती ने कहा कि कोरोना का दूसरा वेव खतरनाक है, इसके वायरस 5 माइक्रोन से भी कम वजन के हैं. ऐसी हालत में ये वायरस 45 मिनट तक हवा में रहते हैं. क्लोज स्थान यानी बस आदि में इस वायरस के फैलने की संभावना काफी ज्यादा होती है.

गढ़वा: भारत में कोरोनो का कहर 1918 के स्पेनिश फ्लू की भय को याद दिलाने लगा है. दोनों वायरस का असर एक जैसा ही है. लगभग पूरा देश ही इस वायरस के व्यापक चपेट में हैं. एक-एक घर से दो-दो शव निकल रहा है. कोरोना से लोग काफी डरे सहमे हैं. स्पेनिश फ्लू का वायरस हवाई जहाज से गांवों तक पहुंचा था. अब कोरोना वायरस ट्रेन, बस और ऑटो से सफर कर लोगों की जान ले रहा है. एक कोरोना संक्रमित जवान भी इलाज कराने ट्रेन से गढ़वा पहुंच गया.

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प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 में हवाई जहाज से घर लौटकर आए सैनिकों के माध्यम से स्पेनिश फ्लू विश्व के कई देशों के साथ भारत के गांवों में फैला था, जिसमें केवल भारत में एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. उसी तरह कोरोना वायरस भी अपना स्वरूप बदल-बदल कर लोगों को शिकार बना रहा है. कोरोना वायरस के प्रथम लहर को रोकने के लिए पूरे देश में जहाज से लेकर ऑटो तक के परिचालन को रोक दिया गया था. दूसरी लहर में ट्रेन, बस ऑटो चलाने की छूट दे दी गई है, जिसके कारण गढ़वा के गांवों में कोरोना कहर मचाने लगा है. गांव के गांव कोरोना के चपेट में आ गए. प्रायः सभी गांवों से शव यात्रा निकलने लगी. सरकारी तंत्र ने भी कोरोना के सामने घुटने टेक दिया.



कोरोन से मरने के बजाय फांसी लगाकर मरना समझा आसान
जिलेभर के कोरोना मरीजों के गंभीर होने पर सदर अस्पताल गढ़वा रेफर किया जाता है. बीच में सदर अस्पताल की स्थिति यह हो गई थी कि कोरोना मरीज चिल्ला-चिल्लाकर दम तोड़ रहे थे. उन्हें सुनने वाला कोई नहीं था. कई लोग ऑक्सीजन के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गए. इस तरह तड़प-तड़प कर मरते देख एक कोरोना संक्रमित युवक ने कोविड वार्ड में फांसी लगाकर जान दे दी.


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गांवों की हालत है खराब
दूसरे प्रदेशों में कमाने वाले कई लोग ट्रेन और बस से सफर कर घर लौटे. ऑटो का भी प्रयोग गांवों के अंतिम घरों तक होता रहा. इस कारण शहरों के साथ-साथ कोरोना वायरस तेजी से गांवों में फैलने लगा. गढ़वा के सोनपुरवा, भंडरिया के भीतरी भंडरिया और मेराल के आकलवानी गांव में तो एक-एक घर से दो-दो शव यात्रा निकले. जिले में ऐसे कितने गांव हैं, जहां ऐसी विपत्ति का सामना करना पड़ा. जिला मुख्यालय के सोनपुरवा मुहल्ले में बस-ऑटो से आई, बारात से कोरोना फैला. ऐसे चार घर थे, जिनके यहां बारात आई. उनके घर के एक-एक रिश्तेदारों की मौत हो गई.



ट्रेन में बैठकर गढ़वा पहुंच कोरोना पीड़ित जवान
जिले के केतार थाना पोस्टेड सिपाही विजय कुमार सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. वे शक्तिपुंज एक्सप्रेस से गढ़वा पहुंचे. उन्होंने कहा की नगर उंटारी से गढ़वा के लिए वाहन वाले उनसे दो सौ रुपये मांग रहे थे, इसलिए ट्रेन पकड़कर गढ़वा पहुंचे, जहां उन्हें अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना है. विजय सिंह को गढ़वा के गोविन्द प्लस टू स्कूल में बनाए गए अस्थायी अस्पताल में रखा गया है. इसी तरह पासपोर्ट बनवाने कोलकाता जा रहे गढ़वा के दिलसाज खान ने कहा कि उन्हें ट्रेन में सफर करने में भय लग रहा है, लेकिन मजबूरी है. वहीं ट्रेन के टीटी राजीव कुमार ने कहा कि सभी ट्रेन में भीड़ कम है फिर भी डर तो लगता ही है.


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गढ़वा जिले में कोरोना महामारी के इलाज और सलाह के लिए बनाए गए आईएमए के पैनल में शामिल डॉ विकीर्ण भारती ने कहा कि कोरोना का दूसरा वेव खतरनाक है, इसके वायरस 5 माइक्रोन से भी कम वजन के हैं. ऐसी हालत में ये वायरस 45 मिनट तक हवा में रहते हैं. क्लोज स्थान यानी बस आदि में इस वायरस के फैलने की संभावना काफी ज्यादा होती है.

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