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गढ़वा: आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे, स्थायी नियुक्ति की उठाई मांग - गढ़वा में पुलिस स्थायी नियुक्ति की मांग

स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर एक हफ्ते से आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मचारी पुलिस लाइन मैदान में अनिश्चतकालीन धरने पर बैठ गए. इस दौरान उन्होंने स्थायी नियुक्ति की मांग उठाई.

Assistant policeman sit on indefinite strike in garhwa
सहायक पुलिसकर्मियों ने दिया धरना
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Published : Sep 9, 2020, 10:41 AM IST

गढ़वा: नक्सल प्रभावित इलाकों के युवक-युवतियों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से अनुबंध पर सहायक पुलिस कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया था पर वादे के मुताबिक उन्हें अब तक स्थायी नियुक्ति नहीं दी जा सकी. नतीजतन सहायक पुलिस कर्मचारी एक हफ्ते से आंदोलन कर रहे हैं और विभिन्न गतिविधियां चला रहे हैं. इस कड़ी में वे पुलिस लाइन मैदान में अनिश्चतकालीन धरने पर बैठ गए हैं. वे अपनी मांगों को लेकर रांची कूच करने और राजभवन, सीएम कार्यालय का घेराव करने की भी योजना बना रहे हैं.

देखें पूरी खबर
क्या है मामलाझारखंड में भाजपा की रघुवर सरकार ने 30 अगस्त 2017 को गढ़वा जिले में 64 महिला सहित 180 सहायक पुलिसकर्मी की नियुक्ति अनुबंध पर की थी. भर्ती के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने दो वर्षों तक कार्य संतोषजनक होने पर इन्हें सीधे आरक्षी के पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की थी. सहायक पुलिस की नियुक्ति के तीन वर्ष पूर्ण हो गए और राज्य में सरकार भी बदल गई, लेकिन उन्हें आरक्षी के पद पर नियुक्त नहीं किया गया. इससे अनुबंध पर नियुक्त सहायक पुलिसकर्मी स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर एक सप्ताह से विभिन्न गतिविधियां चला रहे थे. अब उन्होंने डीसी और एसपी को सूचित कर काम बंद कर दिया है. वे सामूहिक रूप से पुलिस लाइन के मैदान में इकट्ठा हुए और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.सहायक पुलिस से ली जाती थी जोखिमपूर्ण ड्यूटीजिले में नियुक्त सहायक पुलिस से स्थायी पुलिसकर्मी की तरह ही ड्यूटी ली जाती है. ट्रैफिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ नक्सल क्षेत्र में भी इनकी ड्यूटी लगाई जाती है. जेल में छापेमारी से लेकर अवैध शराब के खिलाफ छापेमारी में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. बंदी और सड़क जाम को हटाने में भी इनकी ड्यूटी लगाई जाती रही है.

इसे भी पढ़ें-जमशेदपुर: छत्तीसगढ़ से सर्टिफिकेट लेने आए इंजीनियर की संदिग्ध हालात में मौत, सीने में दर्द होने पर अस्पताल में कराया गया था भर्ती

राज्य सरकार पर बेरोजगार करने की कोशिश का आरोप
सहायक पुलिसकर्मी विपिन कुमार यादव ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व उनकी नियुक्ति समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की गई थी, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार उन्हें बेरोजगार करना चाहती है. सरकार उनकी नियुक्ति को स्थायी नहीं कर रही है.

गढ़वा: नक्सल प्रभावित इलाकों के युवक-युवतियों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से अनुबंध पर सहायक पुलिस कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया था पर वादे के मुताबिक उन्हें अब तक स्थायी नियुक्ति नहीं दी जा सकी. नतीजतन सहायक पुलिस कर्मचारी एक हफ्ते से आंदोलन कर रहे हैं और विभिन्न गतिविधियां चला रहे हैं. इस कड़ी में वे पुलिस लाइन मैदान में अनिश्चतकालीन धरने पर बैठ गए हैं. वे अपनी मांगों को लेकर रांची कूच करने और राजभवन, सीएम कार्यालय का घेराव करने की भी योजना बना रहे हैं.

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क्या है मामलाझारखंड में भाजपा की रघुवर सरकार ने 30 अगस्त 2017 को गढ़वा जिले में 64 महिला सहित 180 सहायक पुलिसकर्मी की नियुक्ति अनुबंध पर की थी. भर्ती के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने दो वर्षों तक कार्य संतोषजनक होने पर इन्हें सीधे आरक्षी के पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की थी. सहायक पुलिस की नियुक्ति के तीन वर्ष पूर्ण हो गए और राज्य में सरकार भी बदल गई, लेकिन उन्हें आरक्षी के पद पर नियुक्त नहीं किया गया. इससे अनुबंध पर नियुक्त सहायक पुलिसकर्मी स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर एक सप्ताह से विभिन्न गतिविधियां चला रहे थे. अब उन्होंने डीसी और एसपी को सूचित कर काम बंद कर दिया है. वे सामूहिक रूप से पुलिस लाइन के मैदान में इकट्ठा हुए और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.सहायक पुलिस से ली जाती थी जोखिमपूर्ण ड्यूटीजिले में नियुक्त सहायक पुलिस से स्थायी पुलिसकर्मी की तरह ही ड्यूटी ली जाती है. ट्रैफिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ नक्सल क्षेत्र में भी इनकी ड्यूटी लगाई जाती है. जेल में छापेमारी से लेकर अवैध शराब के खिलाफ छापेमारी में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. बंदी और सड़क जाम को हटाने में भी इनकी ड्यूटी लगाई जाती रही है.

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राज्य सरकार पर बेरोजगार करने की कोशिश का आरोप
सहायक पुलिसकर्मी विपिन कुमार यादव ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व उनकी नियुक्ति समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की गई थी, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार उन्हें बेरोजगार करना चाहती है. सरकार उनकी नियुक्ति को स्थायी नहीं कर रही है.

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