गढ़वा: कोरोना संक्रमण के मामले में गढ़वा राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला बन गया है. इसकी प्रमुख वजह बाहर से घर वापसी कर रहे मजदूर हैं, जो अपने साथ कोरोना जैसे विनाशक शत्रु को साथ ला रहे हैं. सूरत से लौटे 20 मरीजों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर जिले के लोग पूरी तरह से डरे हुए हैं और कोरोना विस्फोट से सशंकित भी हैं. कोरोना संक्रमितों के मामले में गढ़वा रांची के बाद राज्य में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.
देश में जब कोरोना संक्रमण की चिंगारी नजर आयी थी तभी से गढ़वा में कोरोना से लड़ने के सारे उपाय पुख्ता कर लिए गए थे. रांची से छुपकर गढ़वा आए एक कोरोना पॉजिटिव ने अन्य दो लोगों को अपने गिरफ्त में ले लिया था, लेकिन प्रशासन की सजगता ने न सिर्फ कोरोना की गति को वहीं रोक दिया बल्कि तीनों कोरोना पॉजिटिव को ठीक कर घर भी भेज दिया.
सरकार के निर्णय से खतरे में 16 लाख लोग
जिला प्रशासन के प्रयास से जहां एक ओर जिले के लोग कोरोना से सुरक्षित महसूस कर रहे थे. वहीं, सरकार के एक निर्णय से जिले के लगभग 16 लाख लोगों का जीवन खतरे में आ गया है. एक अनुमान के अनुसार जिले के 25 हजार लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं, जिन्हें वापास बुलाने के लिए विधायक भानु प्रताप शाही, पूर्व विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी ने आवाज उठाई और सरकार पर दोषारोपण शुरू कर दिया.
गढ़वा विधायक व मंत्री मिथिलेश ठाकुर भला कैसे पीछे रहते. उन्होंने भी मजदूरों को वापस लाने की मुहिम शुरू कर दी. उनके ट्विटर पर इससे संबंधित कई पोस्ट गवाह भी हैं. बाद में सरकार ने भी इसका श्रेय हासिल करने के लिए मजदूरों को वापस लाने का निर्णय ले लिया और उन्हें इसके लिए व्यवस्था भी देना शुरू कर दिया. सरकार में बैठे नुमाइंदे भूल गए कि मजदूर नहीं कोरोना ला रहे हैं.
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वापस आए मजदूर
झारखंड सरकार ने घर वापसी की जब घंटी बजायी तो देश के हॉटस्पॉट सूरत, महाराष्ट्र, छतीसगढ़ से भी मजदूर बसों और ट्रेनों में सवार होकर गढ़वा पहुंचे. कई बिना जांच कराए ही घर में परिवार के साथ रहने लगे. उन्हें जब जांच कराने को कहा गया तो पुलिस से भी भिड़ने में पीछे नहीं रहे.
न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो प्यार मुहब्बत की तरह कोरोना को अपने लोगों के बीच बांट रहे हैं. शुक्र है कि सूरत से आए कोरोना पीड़ित 20 मजदूरों को बंशीधर एसडीओ कमलेश्वर नारायण ने क्वॉरेंटाइन में रख लिया था, वरना जिले में अब तक कोरोना का विस्फोट हो चुका होता.