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गढ़वाः कंपनी ने छोड़ा साथ, प्रशासन ने बढ़ाया हाथ, 50 लोगों को पहुंचाया गया छत्तीसगढ़

ग्लेज ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के लिए कमीशन बेसिस पर काम कर रहे 50 लोगों को कंपनी ने सहायता करने से मना कर दिया है. दरअसल, 35 महिला समेत 50 लोग गढ़वा में इस कंपनी के लिए सेल्स का काम करते थे, जो लॉकडाउन के दौरान गढ़वा में फस गये थे.

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Published : May 17, 2020, 11:04 AM IST

35 girls trapped in Garhwa
गढ़वा में फसे 50 लोग

गढ़वा: जिला मुख्यालय में 50 दिनों से फंसे 35 लड़कियों सहित 50 लोगों को छतीसगढ़ के विभिन्न शहरों के लिए भेज दिया गया है. वे यहां बाहर की एक कंपनी के लिए कमीशन पर काम करती थीं. कंपनी ने उन्हें लॉकडाउन में कोई सहयोग नहीं किया. जिसके बाद समस्या बढ़ने पर ये लोग प्रशासन के सम्पर्क में आये थे.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की आदिवासी लड़कियां कई ग्रुप में बंटकर किराये पर मकान लेकर रहती थीं. वे ग्लेज ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में जैविक खाद और हेल्थ केयर प्रोडक्ट की सेलिंग करती थीं. इसके लिए कंपनी उन्हें कमीशन देती थी. लॉकडाउन में कंपनी ने उन्हें कोई सहयोग नहीं किया. उनकी सारी कमाई खाने और किराया देने में खत्म ही गयी.

ये भी पढ़ें- झारखंड में 217 हुई मरीजों की संख्या, 99 लोग हुए स्वस्थ

कुछ दिन बाद 35 लड़कियां अपने 15 पुरुष सहयोगियों के साथ प्रवासी मजदूरों के शिविर में पहुंची. जहां से उन्हें छतीसगढ़ के लिए भेज दिया गया है. छतीसगढ़ के जशपुर जिला के बगीचा की रहने वाली प्रीति पैंकरा ने कहा कि वो कंपनी में कमीशन पर काम करती थी. लॉकडाउन में कंपनी ने उन्हें कोई सहयोग नहीं किया. खाने-पीने की समस्या होने लगी तब वे प्रशासन के संपर्क में आए.

गढ़वा: जिला मुख्यालय में 50 दिनों से फंसे 35 लड़कियों सहित 50 लोगों को छतीसगढ़ के विभिन्न शहरों के लिए भेज दिया गया है. वे यहां बाहर की एक कंपनी के लिए कमीशन पर काम करती थीं. कंपनी ने उन्हें लॉकडाउन में कोई सहयोग नहीं किया. जिसके बाद समस्या बढ़ने पर ये लोग प्रशासन के सम्पर्क में आये थे.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की आदिवासी लड़कियां कई ग्रुप में बंटकर किराये पर मकान लेकर रहती थीं. वे ग्लेज ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में जैविक खाद और हेल्थ केयर प्रोडक्ट की सेलिंग करती थीं. इसके लिए कंपनी उन्हें कमीशन देती थी. लॉकडाउन में कंपनी ने उन्हें कोई सहयोग नहीं किया. उनकी सारी कमाई खाने और किराया देने में खत्म ही गयी.

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कुछ दिन बाद 35 लड़कियां अपने 15 पुरुष सहयोगियों के साथ प्रवासी मजदूरों के शिविर में पहुंची. जहां से उन्हें छतीसगढ़ के लिए भेज दिया गया है. छतीसगढ़ के जशपुर जिला के बगीचा की रहने वाली प्रीति पैंकरा ने कहा कि वो कंपनी में कमीशन पर काम करती थी. लॉकडाउन में कंपनी ने उन्हें कोई सहयोग नहीं किया. खाने-पीने की समस्या होने लगी तब वे प्रशासन के संपर्क में आए.

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