जमशेदपुरः इन दिनों शहर की युवा पीढ़ी में तेजी से नशे की लत फैल रही है. यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि नशीली दवा, पेट्रोल, गांजा का है. शहर के युवाओं के पास से चरस, गांजा जैसे नशीले पदार्थ मिलने से पुलिस तो परेशान है ही, साथ ही देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के भविष्य पर भी ग्रहण लगता जा रहा है. बाल मजदूरी के सर्वे के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम जिले में तीस हजार बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं.
शहरी क्षेत्रों के ज्यादातर बच्चे नशे की गिरफ्त में
अपनी आदत और दिमागी टेंशन को दूर करने के लिए इन दिनों शहर के युवा पीढ़ी सुलभ तरीके से उपलब्ध हो रहे नशे का सेवन कर रहे हैं. बाल मजदूरी मुक्ति सेवा संस्थान ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसके मुताबिक जमशेदपुर शहर में 9 वर्ष से लेकर 16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चे नशाखोरी में शामिल हैं. वहीं, 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में औसतन नशे की प्रवृत्ति की संख्या में कमी देखी गई है. बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम के शहरी क्षेत्रों के ज्यादातर बच्चे नशे की गिरफ्त में शामिल हैं. आकंड़ों के मुताबिक जमशेदपुर के मानगो थाना क्षेत्र के सबसे ज्यादा बच्चे नशे के शिकार हैं.
⦁ मानगो- 4000
⦁ टेल्को- 1700
⦁ गोविंदपुर- 1500
⦁ बिरसानगर- 1500
⦁ गोलमुरी- 1200
⦁ कदमा- 700
⦁ सोनारी- 115
अपराध की तरफ बढ़ रहे युवा
युवा ज्यादातर गुलाब की पंखुड़ी, शराब, गांजा, दवाएं, गोंद, डेंड्रॉइट, बियर, टेबलेट, हेरोइन और ताड़ी जैसे नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं. नशे की जद में आने से युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं. चोरी, शहर में छिनतई जैसी घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं.
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नशे के कारोबार को रोकने के लिए पुलिस की कार्रवाई
नशे के कारोबार को रोकने के लिए शहर की पुलिस कार्रवाई भी कर रही है. जिसमें कई दवा दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है. वहीं, मामले में सिटी एसपी का कहना है कि आने वाले दिनों में ड्रग विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई का सिलसिला जारी रहेगा.
काउंसलिंग की व्यवस्था
लौहनगरी के युवाओं में नशीली दवा का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. जिसके कारण सैकड़ों युवा अपने लक्ष्य मार्ग से भटक रहे हैं. कई दुकानदर पैसे कमाने के उद्देश्य से आसानी से युवाओं को नशीले पदार्थ देते हैं. नशे का शिकार होने वाले युवा अपने दोस्तों के पीयर प्रेसर ग्रुप के कारण भी नशे में शामिल होते हैं. अपने माता-पिता से मिलने वाले दबाव को कम करने के कारण भी नशा करते हैं. ऐसे में इन्हें रोकने के लिए डॉक्टर के सुझाव के मुताबिक काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए. माता-पिता से खुलकर बात करने की आदत भी डालनी चाहिए.