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जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में कुष्ठ रोग जागरुकता पर कार्यशाला, बताया गया- इसका इलाज संभव

जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में कुष्ठ रोग जागरुकता को लेकर कार्यशाला का आयोजन हुआ. जिसमें कुष्ठ रोग से संबंधित कई भ्रम दूर किए गए और बताया गया कि कैसे हम इसे पूरी तरह खत्म कर सकते हैं.

leprosy awareness
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Published : Apr 29, 2022, 1:15 PM IST

जमशेदपुर: वीमेंसस कॉलेज में कुष्ठ रोग जागरुकता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का आयोजन कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ (Internal Quality Assurance Cell IQAC), राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps NCC) के संयुक्त संयोजन में किया गया.

इसे भी पढ़ें: आरपीएफ कोडरमा ने चलाया जन जागरूकता अभियान, रेलवे की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील

कुष्ठ रोग के भ्रम को किया दूर: इस कार्यशाला में इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन-सासाकावा के क्षेत्रीय समन्वयक सैम्युअल हांसदा, डॉ. राजीव कुमार महतो और डॉ. आरके मिश्रा ने छात्राओं को कुष्ठ रोग से संबंधित तमाम भ्रमों और मिथ्यों की जानकारी दी और बताया कि इसका उपचार संभव है. सामान्य लक्षणों के दिखने पर समय रहते सरकारी अस्पताल में जरूर उपचार कराना चाहिए. वहां जांच से लेकर दवा तक नि:शुल्क है. वक्ताओं ने बताया कि यह बैक्टीरिया जनित बीमारी है जो संक्रमित के ड्रापलेट्स के माध्यम से फैलती है. छूने, हाथ मिलाने और साथ खाना खाने से नहीं फैलती. इससे संक्रमित व्यक्ति को उपचार और सहानुभूति की जरूरत है, बहिष्कार की नहीं.

इससे पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. सुधीर कुमार साहू ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि सरकार, जनता और ऐसे ही संगठनों की जागरुकता और लगातार किये गए प्रयासों का परिणाम है कि आज कुष्ठ रोग भारत से लगभग समाप्त हो चुका है. फिर भी कुछ मामले सामने आये हैं. हमें पूरी जिम्मेदारी के साथ इसके उन्मूलन में सरकारी प्रयासों और ऐसी संस्थाओं का सहयोग करना चाहिए ताकि अभिशाप के रूप में समझी जाने वाली इस बीमारी के प्रति नजरिया बदल पाये और इसको जड़ से समाप्त किया जा सके. इस कार्यशाला में IQAC समन्वयक, NSS कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रत्ना मित्रा व डॉ. कामिनी कुमारी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. मौके पर प्राचार्य सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, शिक्षकेत्तर कर्मी, एनसीसी व एनएसएस वालेंटियर्स मौजूद रहे.

जमशेदपुर: वीमेंसस कॉलेज में कुष्ठ रोग जागरुकता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का आयोजन कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ (Internal Quality Assurance Cell IQAC), राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps NCC) के संयुक्त संयोजन में किया गया.

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कुष्ठ रोग के भ्रम को किया दूर: इस कार्यशाला में इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन-सासाकावा के क्षेत्रीय समन्वयक सैम्युअल हांसदा, डॉ. राजीव कुमार महतो और डॉ. आरके मिश्रा ने छात्राओं को कुष्ठ रोग से संबंधित तमाम भ्रमों और मिथ्यों की जानकारी दी और बताया कि इसका उपचार संभव है. सामान्य लक्षणों के दिखने पर समय रहते सरकारी अस्पताल में जरूर उपचार कराना चाहिए. वहां जांच से लेकर दवा तक नि:शुल्क है. वक्ताओं ने बताया कि यह बैक्टीरिया जनित बीमारी है जो संक्रमित के ड्रापलेट्स के माध्यम से फैलती है. छूने, हाथ मिलाने और साथ खाना खाने से नहीं फैलती. इससे संक्रमित व्यक्ति को उपचार और सहानुभूति की जरूरत है, बहिष्कार की नहीं.

इससे पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. सुधीर कुमार साहू ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि सरकार, जनता और ऐसे ही संगठनों की जागरुकता और लगातार किये गए प्रयासों का परिणाम है कि आज कुष्ठ रोग भारत से लगभग समाप्त हो चुका है. फिर भी कुछ मामले सामने आये हैं. हमें पूरी जिम्मेदारी के साथ इसके उन्मूलन में सरकारी प्रयासों और ऐसी संस्थाओं का सहयोग करना चाहिए ताकि अभिशाप के रूप में समझी जाने वाली इस बीमारी के प्रति नजरिया बदल पाये और इसको जड़ से समाप्त किया जा सके. इस कार्यशाला में IQAC समन्वयक, NSS कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रत्ना मित्रा व डॉ. कामिनी कुमारी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. मौके पर प्राचार्य सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, शिक्षकेत्तर कर्मी, एनसीसी व एनएसएस वालेंटियर्स मौजूद रहे.

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