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बाघिन के आतंक से परेशान ग्रामीण, डर के साए में जी रहे गांववाले - वन विभाग ने की पंजे के निशान की पुष्टि

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला स्थित फुलझोर गांव में बाघिन आने की खबर ने लोगों की नींद उड़ा दी है. इस खबर की सूचना मिलते ही लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं. वे अपने पालतु पशुओं को भी घरों में बांधकर रख रहे हैं.

tigres terror, बाघ का आतंक
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Published : Jan 14, 2020, 9:01 PM IST

घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम: पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झांटी झरना पंचायत के फुलझोर गांव के पास कायरा पहाड़ पर बाघिन और इसके साथ इनके बच्चे आये हुए हैं. जिससे ग्रामीण पूरी तरह से भयभीत हैं. बाघिन अपने बच्चों के साथ जंगल में पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं. जंगल में बाघ के आने की पुष्टि वन विभाग भी कर चुका है.

देखें पूरी खबर

चरवाहों ने दी बाघिन की सूचना
दरअसल, गांव के पास पहाड़ी और जंगल में बाघिन के आने की जानकारी ग्रामीणों को उस समय लगी जब ग्रामीण दोपहर में अपनी गाय-बैलों को लेकर चराने के लिए जंगल में ले गए. इस दौरान पहाड़ी के जंगल से सभी गाय-बैल और बकरियां समेत पालतू पशु जोर-जोर से चिंघाड़ते हुए जंगल की तरफ से गांव की ओर भागने लगे. इस दौरान लोगों ने देखा कि जंगल में चरने गए गाय-बैलों में दो बैलों के गर्दन से खून बह रहा है, उसके शरीर पर जंगली जानवर के पंजे का निशान है. इस दौरान ग्रामीणों का एक बैल लापता है. जबकि दर्जनों बकरियां दूसरे दिन जंगल से वापस गांव पहुंची, इसकी चर्चा गांव में आग की तरह फैल गई.

ये भी पढ़ें- अवैध उत्खनन में चाल धंसने से दो की मौत, पुलिस कर रही है घटना से इनकार

वन विभाग ने की पंजे के निशान की पुष्टि
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को दी. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर घटना की जानकारी ली और जांच के क्रम में पहाड़ी के ऊपर झरना के पास बाघिन और इसके बच्चे के पैर के निशान भी मिले. जिसकी जांच करने पर बाघिन के पंजे के निशान की पुष्टि हुई. घटना के बाद से आस-पास के ग्रामीण काफी सहमे हुए हैं और अपने-अपने गाय बैलों को बांध कर रख रहे हैं. घायल बैल पूरी तरह से बीमार है और खाना पीना भी छोड़ दिया है.

विधायक और अधिकारी पहुंचे गांव
इधर, घटना की सूचना पाकर जिले के डीएफओ अभिषेक कुमार वन विभाग की टीम और डॉक्टरों की टीम को लेकर गांव पहुंचे. जंगल और पहाड़ियों पर जा कर जांच भी की और बाघिन के मूवमेंट का पता लगा रहे हैं. पशु चिकित्सक ने बाघ के पंजे से घायल बैल का इलाज भी किया. जानकारी मिलते ही घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन भी अपने समर्थकों के साथ गांव पहुचंकर ग्रामीणों से मिले और मामले की जानकारी ली. विधायक रामदास सोरेन ने ग्रामीणों से मिलकर इनकी समस्याओं को सुना और डीएफओ अभिषेक कुमार से ग्रामीणों को क्षति पूर्ति दिलाने की बात कही.

डरे हुए हैं ग्रामीण
बता दें कि गांव की इस पहाड़ी पर ब्रिटिश काल में ही मैगनीज पत्थर की खुदाई करने के लिए और एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक पहुंचने के लिए कई बड़ी-बड़ी सुरंग बनवाए गए थे. जो काफी खतरनाक हैं और इसमें जंगली पशुओं का ठिकाना है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पहाड़ पर बाघ आने के बाद से सभी ग्रामीण पूरी तरह से डरे हुए हैं.

घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम: पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झांटी झरना पंचायत के फुलझोर गांव के पास कायरा पहाड़ पर बाघिन और इसके साथ इनके बच्चे आये हुए हैं. जिससे ग्रामीण पूरी तरह से भयभीत हैं. बाघिन अपने बच्चों के साथ जंगल में पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं. जंगल में बाघ के आने की पुष्टि वन विभाग भी कर चुका है.

देखें पूरी खबर

चरवाहों ने दी बाघिन की सूचना
दरअसल, गांव के पास पहाड़ी और जंगल में बाघिन के आने की जानकारी ग्रामीणों को उस समय लगी जब ग्रामीण दोपहर में अपनी गाय-बैलों को लेकर चराने के लिए जंगल में ले गए. इस दौरान पहाड़ी के जंगल से सभी गाय-बैल और बकरियां समेत पालतू पशु जोर-जोर से चिंघाड़ते हुए जंगल की तरफ से गांव की ओर भागने लगे. इस दौरान लोगों ने देखा कि जंगल में चरने गए गाय-बैलों में दो बैलों के गर्दन से खून बह रहा है, उसके शरीर पर जंगली जानवर के पंजे का निशान है. इस दौरान ग्रामीणों का एक बैल लापता है. जबकि दर्जनों बकरियां दूसरे दिन जंगल से वापस गांव पहुंची, इसकी चर्चा गांव में आग की तरह फैल गई.

ये भी पढ़ें- अवैध उत्खनन में चाल धंसने से दो की मौत, पुलिस कर रही है घटना से इनकार

वन विभाग ने की पंजे के निशान की पुष्टि
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को दी. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर घटना की जानकारी ली और जांच के क्रम में पहाड़ी के ऊपर झरना के पास बाघिन और इसके बच्चे के पैर के निशान भी मिले. जिसकी जांच करने पर बाघिन के पंजे के निशान की पुष्टि हुई. घटना के बाद से आस-पास के ग्रामीण काफी सहमे हुए हैं और अपने-अपने गाय बैलों को बांध कर रख रहे हैं. घायल बैल पूरी तरह से बीमार है और खाना पीना भी छोड़ दिया है.

विधायक और अधिकारी पहुंचे गांव
इधर, घटना की सूचना पाकर जिले के डीएफओ अभिषेक कुमार वन विभाग की टीम और डॉक्टरों की टीम को लेकर गांव पहुंचे. जंगल और पहाड़ियों पर जा कर जांच भी की और बाघिन के मूवमेंट का पता लगा रहे हैं. पशु चिकित्सक ने बाघ के पंजे से घायल बैल का इलाज भी किया. जानकारी मिलते ही घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन भी अपने समर्थकों के साथ गांव पहुचंकर ग्रामीणों से मिले और मामले की जानकारी ली. विधायक रामदास सोरेन ने ग्रामीणों से मिलकर इनकी समस्याओं को सुना और डीएफओ अभिषेक कुमार से ग्रामीणों को क्षति पूर्ति दिलाने की बात कही.

डरे हुए हैं ग्रामीण
बता दें कि गांव की इस पहाड़ी पर ब्रिटिश काल में ही मैगनीज पत्थर की खुदाई करने के लिए और एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक पहुंचने के लिए कई बड़ी-बड़ी सुरंग बनवाए गए थे. जो काफी खतरनाक हैं और इसमें जंगली पशुओं का ठिकाना है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पहाड़ पर बाघ आने के बाद से सभी ग्रामीण पूरी तरह से डरे हुए हैं.

Intro:घाटशिला/ पूर्वी सिंहभूम

घाटशिला में पश्चिम बंगाल के सीमा से सटे झांटी झरना पंचायत के फुलझोर गांव के पास कायरा पहाड़ पर बाघिन और इसके साथ इनके बच्चे आये हुए हैं जिससे ग्रामीण पूरी तरह से भयभीत हैं बाघिन अपने बच्चों के साथ जंगल में चड़ने जाने वाले पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं| जंगल में बाघ के आने की पुष्टि वन विभाग के द्वारा भी की गयी है|

गाँव के पास पहाड़ी और जंगल में बाघिन के आने की जानकारी ग्रामीणों को उस समय लगी जब ग्रामीण दोपहर में अपने गाय बैलों को लेकर चराने के लिए गाँव के पास मैगनीज पहाड़ और जंगल में ले गए और जंगल में पशुओं को चड़ने के लिए छोड़ दिए लेकिन कुच्छ ही देर बाद ग्रामीणों ने देखा की पहाड़ी के जंगल से सभी गाय-बैल और बकड़ी आदि पालतू पशु जोड़ जोड़ से चिल्लाते हुए जंगल की तरफ से गाँव की ओर भागने लगे इस दौरान लोगों ने देखा की जंगल में चड़ने गए गाय-बैलों में दो बैलों के गर्दन से खून बह रहा है इसपे किसी जंगली जानवर के पंजे का निशाँ है|इस दौरान ग्रामीणों का एक बैल लापता है| जबकि दर्जनों बकरियां दुसरे दिन जंगल से वापस गाँव पहुंची |Body:इसकी चर्चा गाँव और आसपास में आग की तरह फ़ैल गयी|

ग्रामीणों ने इसकी सुचना वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को दिया |जिसके बाद वन विभाग की टीम ने गाँव पहुंचकर घटना की जानकारी ली और जाँच के क्रम में पहाड़ी के ऊपर झरना के पास बाघिन और इसके बच्चे के पैर के निशान भी मिले जिसकी जांच जब की गयोई तो यह बाघिन के पंजे की पुस्ती हुई|

घटना के बाद से आसपास के ग्रामीण काफी सहमे हुए हैं और अपने अपने गाय बैलों को बाँध कर रखे हैं |घायल बैल पूरी तरह से बीमार है और यह खाना पीना भी छोड़ दिया है|

घटना की सुचना पाकर जिले के डीफओ अभिषेक कुमार वन विभाग की टीम और डॉक्टरों की टीम को लेकर गाँव पहुँच कर जंगल और पहाड़ियों पर जा कर जाँच भी किया और बाघिन के मूवमेंट का पता लगा रहे हैं|

पशु चिकित्सक ने बाघ के पंजे से घायल बैल का ग्रामीणों की सहायता से इलाज भी कराया| घटना की सुचना पाकर घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन भी अपने समर्थकों के साथ गाँव पहुचंकर ग्रामीणों से मिले और मामले की जानकारी ली | विधायक रामदास सोरेन ने ग्रामीणों से मिलकर इनकी समस्याओं को सूना और डीफओ अभिषेक कुमार से ग्रामीणों को क्षति पूर्ति दिलाने की बात कही|

आपको बता दें की गाँव की इस पहाड़ी पर ब्रिटिश काल में ही मग्निज पत्थर की खुदाई करने के लिए और एक पहाड़ी से दुसरे पहाड़ी तक पहुँचने के लिए कई बड़ी-बड़ी सुरंग बनवाये थे जो काफी कहतार्नाक है और इसमें जंगली पशुओं का ठिकाना है|

ग्रामीणों का कहना की गाँव के पहाड़ पर बाघ आने के बाद से सभी ग्रामीण पूरी तरह से डरे हुए हैं और किसी अनहोनी की आशंका से सहमे हुए हैं|

विधायक रामदास सोरेन ने कहा की पहले गाँव में फसल खान एके लिए हाथी आते थे परन्तु अब बाघ के आने से ग्रामीण मुसीबत में हैं,ग्रामीणों का जीवन यापन जंगल पर आधारित ही है,ग्रामीण जंगल से पत्ता-लकड़ी और बबई घास से रस्सी बनाकर अपना गुजारा करते हैं लेकिन बाघ के आने से ये लोग काफी मुसीबत में हैं|Conclusion:डीफओ अभिषेक कुमार ने बताया की गाँव में पहुंचकर हमलोगों ने जांच किया है और जंगल में झरने के पास पंजे के निशान मिले हैं जो बाघ के आने की पुष्टि करता है|ग्रामीणों ने बताया है की इनके एक पशु गाय है और एक घायल भी है|

डीएफओ अभिषेक कुमार ने बताया की इस गाँव के जंगल से सटे पश्चिम बंगाल के बेलपहाड़ी में बाघ निकलने की सुचना थी|जिसकी जानकारी बगल के डीएफओ के द्वारा दी गयी थी ,वहां से काफी नजदीक है यह जगह | डीएफओ ने बताया की इस जंगल का रेंज काफी लंबा है यह पश्चिम बंगाल होते हुए दलमा रेंज तक मिला हुआ है जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है की टाइगर यहाँ आ सकता है|इसके साथ ही डीएफओ ने कहा की ग्रामीणों के पशु की मिसिंग और घायल की जो बात है हमलोग जांचकर रिपोर्ट बनाकर भेज रहे हैं जिसमे जिनके पशुओं की हानि हुई है उन्हें मुआवजा दिया जाएगा| इस मौके पर डीएफओ ने ग्रामीणों में सावधानी बरतने की बात कही है और इसको लेकर आसपास के गांवों में माइक से प्रचार भी करके लोगों को जंगल में नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है|

वन विभाग की टीम जंगल मे टाइगर के खोजने में लगा हुआ है और उसे पकड़कर सुरक्षित जगहों में छोड़ने का प्रयास किया जा रहा है|

बाइट:-


01.बादल मुंडा,ग्रामीण|

02.रामदास सोरेन,विधायक घाटशिला|

03.डॉ.कुमार अभिषेक डिविजनल फारेस्ट ऑफिसर |

रिपोर्ट:- कनाई राम हेंब्रम
घाटशिला
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