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Ghatshila News: मच्छरदानी से ढके चेहरे, कान में पत्ता और आंखों में चश्मा लगाए यहां घूमते हैं लोग, जानिए क्या है माजरा - झारखंड न्यूज

ये भिन-भिनाहट कुछ यही कहने की कोशिश कर रही है कि, फ्लाई समझ कर छोटा समझा क्या, फायर है मैं फायर. डायलॉग भले ही फिल्म हो लेकिन इन गांव के माहौल से कुछ ऐसा ही मालूम पड़ रहा है. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट से जानिए, आखिर क्या है पूरा माजरा.

villagers covering faces with mosquito nets due to flies in Ghatshila
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Published : May 11, 2023, 11:49 AM IST

Updated : May 11, 2023, 2:25 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

घाटशिलाः पूर्वी सिंहभूम जिले के पश्चिम बंगाल और ओडिशा से सटे घाटशिला अनुमंडल के गांव में इन दिनों मक्खियों का आतंक काफी है. इन मक्खियों ने लोगों की नाक में दम करके रखा है. दिन हो या रात मक्खियों की भिन-भिनाहट गांव के लोगों को का पीछा नहीं छोड़ रही है.

पश्चिम बंगाल से सटे घाटशिला, चाकुलिया, धालभूमगढ़ प्रखंड और ओडिशा से सटे डुमरिया, गुड़ाबांधा और बहरागोड़ा प्रखंड सीमा से सटे बीहड़ जंगलों में स्थित गांव के लोगों के लिए मक्खियां बीते 1 महीने से नई मुसीबत बन गई है. अनुमंडल के पहाड़ों पर स्थित 1500 से अधिक गांव में लगभग 30 हजार की आबादी इससे परेशान है. तकरीबन 1 महीने से इन लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हो चुकी है.

ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है. इन मक्खियों की वजह से गांव के लोग बीमार पड़ने लगे हैं लेकिन दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. इलाके में अभी केंदू पत्ता, महुआ फल, साल पत्ता का मौसम है. करीब 10 हजार से अधिक ग्रामीण यहां के जंगलों में हर दिन मौसमी फल चुनने के लिए जाते हैं. लेकिन एक महीने से मक्खियों से परेशान लोगों ने इन दिनों जंगल जाना लगभग बंद ही कर दिया है. जिसका असर ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है. लेकिन रोजी रोटी के कारण यह ग्रामीण चश्मा पहन कर या फिर मच्छरदानी, पतला कपड़ा व गमछे से चेहरे को अच्छी तरह से ढककर जंगल जा रहे हैं.ॉ

इस कदर है मक्खियों का आतंकः ग्रामीणों ने बताया कि छोटी-छोटी मक्खियां हैं, एक समूह में रहती हैं और अचानक चेहरे के पास आकर भिनभिनाने लगती हैं. इसके बाद आंख पर हमला कर देती है. कई मक्खियां आंख में घुस जाती हैं, जिससे आंखों जलन और पानी निकलना शुरू हो जाता है. पहाड़ों से सटे स्कूल के बच्चे के पढ़ाई में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. स्कूली बच्चे ठीक से पढ़ाई लिखाई भी नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षक बताते हैं कि जब भी पढ़ाने बैठते हैं तो मक्खियां आकर चेहरे के आसपास भिनभिनाने लगती हैं. मक्खियां के कारण गांव के लोग घर के रोजमर्रा के काम में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत वन विभाग से की लेकिन कोई पहल नहीं किया गया.

इन गांव में मक्खियों का प्रकोप ज्यादाः वैसे घाटशिला अनुमंडल में मक्खियों का आतंक है. लेकिन उनमें से कई ऐसे गांव हैं, जहां लोगों का जीना दूभर हो गया है. मुसाबनी प्रखंड के फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत के सभी गांव, नितरा और पहाड़ी से सटे गांव. घाटशिला प्रखंड के गांव गुड़ाझोर, मिर्गीटांड़, डुमकाकोचा, नरसिंहपुर, चाड़री, पहाड़पुर और झांटीझरना शामिल है. इसी तरह डुमरिया प्रखंड के मारांगसोंगा, सातबाखरा, पितामहली, कलियाम, पलासबनी और चीटामाटी गांव के साथ साथ गुड़ाबांधा प्रखंड के सभी 8 पंचायतों के सभी गांव में मक्खियों का आतंक है. इसके अलावा चाकुलिया, धालभूमगढ़ और बहरागोड़ा के उत्तरी इलाके के पहाड़ी क्षेत्र से सटे गांवों में इसका खासा असर है.

villagers covering faces with mosquito nets due to flies in Ghatshila
इन इलाकों में मक्खियों का आतंक

मक्खियों से परेशान ग्रामीणः ग्रामीणों के अनुसार मई और अप्रैल में तेज हवा और तूफान नहीं आने से मक्खियों का प्रकोप बढ़ गया है. जब तक पानी, हवा और तूफान नहीं आएगा तब तक यह मक्खी ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बनी रहेगी. कई ग्रामीणों का कहना है कि इतनी सारी मक्खियों का आना आने वाले समय में अकाल का भी संदेश देता है. ग्रामीणों ने बताया कि मक्खियां के कारण लोगों के स्वास्थ्य में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. आंख में जलन, आंख से पानी निकलना है सहित और छोटी-मोटी परेशानियां हो रही हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले इस तरह मक्खियों का आतंक देखने को नहीं मिला है. इस तरह मक्खियों से परेशान ग्रामीण पहली बार हो रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इससे भी एक छोटी मक्खियां हैं जिसे क्षेत्रीय भाषा में लाही कहते हैं लेकिन यह मक्खियां गांव के लोगों को परेशान नहीं करती हैं.

मक्खियों से संक्रमण का खतराः घाटशिला अनुमंडल के प्रभारी चिकित्सक डॉ. शंकर टुडू ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण मक्खियों का आतंक बड़ा है. बारिश और तूफान आने से ये खुद ही नष्ट हो जाएंगे. लेकिन चिकित्सक मक्खियों के आतंक को बीमारियों का घर मान रहे हैं. वो बताते हैं कि मक्खियां संक्रमण फैलाती है, ये इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक रोग फैलाने वाले जीवाणु फैलाती है. इससे इंफेक्शन का डर है. जिससे आंखों में जलन और दर्द की शिकायत लोगों को हो रही है.

जिला स्वास्थ्य विभाग के पास मक्खियों को भगाने के लिए फिलहाल कोई स्प्रे या छिड़काव सामग्री या समाधान नहीं है. लेकिन वो इलाके में साफ-सफाई बनाकर रखने से ही मक्खियां को भगाने की बात जरूर कर रहे हैं. इन मक्खियों के इनती तादाद को लेकर मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से कई सारी समस्या आ रही हैं, मक्खियों का प्रकोप इस समस्या में से एक है. पर्यावरण संकट के कारण यहां हो रहा है लोग पर्यावरण संरक्षण और वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले समय में और कई संकटों से गुजरना पड़ सकता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

घाटशिलाः पूर्वी सिंहभूम जिले के पश्चिम बंगाल और ओडिशा से सटे घाटशिला अनुमंडल के गांव में इन दिनों मक्खियों का आतंक काफी है. इन मक्खियों ने लोगों की नाक में दम करके रखा है. दिन हो या रात मक्खियों की भिन-भिनाहट गांव के लोगों को का पीछा नहीं छोड़ रही है.

पश्चिम बंगाल से सटे घाटशिला, चाकुलिया, धालभूमगढ़ प्रखंड और ओडिशा से सटे डुमरिया, गुड़ाबांधा और बहरागोड़ा प्रखंड सीमा से सटे बीहड़ जंगलों में स्थित गांव के लोगों के लिए मक्खियां बीते 1 महीने से नई मुसीबत बन गई है. अनुमंडल के पहाड़ों पर स्थित 1500 से अधिक गांव में लगभग 30 हजार की आबादी इससे परेशान है. तकरीबन 1 महीने से इन लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हो चुकी है.

ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है. इन मक्खियों की वजह से गांव के लोग बीमार पड़ने लगे हैं लेकिन दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. इलाके में अभी केंदू पत्ता, महुआ फल, साल पत्ता का मौसम है. करीब 10 हजार से अधिक ग्रामीण यहां के जंगलों में हर दिन मौसमी फल चुनने के लिए जाते हैं. लेकिन एक महीने से मक्खियों से परेशान लोगों ने इन दिनों जंगल जाना लगभग बंद ही कर दिया है. जिसका असर ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है. लेकिन रोजी रोटी के कारण यह ग्रामीण चश्मा पहन कर या फिर मच्छरदानी, पतला कपड़ा व गमछे से चेहरे को अच्छी तरह से ढककर जंगल जा रहे हैं.ॉ

इस कदर है मक्खियों का आतंकः ग्रामीणों ने बताया कि छोटी-छोटी मक्खियां हैं, एक समूह में रहती हैं और अचानक चेहरे के पास आकर भिनभिनाने लगती हैं. इसके बाद आंख पर हमला कर देती है. कई मक्खियां आंख में घुस जाती हैं, जिससे आंखों जलन और पानी निकलना शुरू हो जाता है. पहाड़ों से सटे स्कूल के बच्चे के पढ़ाई में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. स्कूली बच्चे ठीक से पढ़ाई लिखाई भी नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षक बताते हैं कि जब भी पढ़ाने बैठते हैं तो मक्खियां आकर चेहरे के आसपास भिनभिनाने लगती हैं. मक्खियां के कारण गांव के लोग घर के रोजमर्रा के काम में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत वन विभाग से की लेकिन कोई पहल नहीं किया गया.

इन गांव में मक्खियों का प्रकोप ज्यादाः वैसे घाटशिला अनुमंडल में मक्खियों का आतंक है. लेकिन उनमें से कई ऐसे गांव हैं, जहां लोगों का जीना दूभर हो गया है. मुसाबनी प्रखंड के फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत के सभी गांव, नितरा और पहाड़ी से सटे गांव. घाटशिला प्रखंड के गांव गुड़ाझोर, मिर्गीटांड़, डुमकाकोचा, नरसिंहपुर, चाड़री, पहाड़पुर और झांटीझरना शामिल है. इसी तरह डुमरिया प्रखंड के मारांगसोंगा, सातबाखरा, पितामहली, कलियाम, पलासबनी और चीटामाटी गांव के साथ साथ गुड़ाबांधा प्रखंड के सभी 8 पंचायतों के सभी गांव में मक्खियों का आतंक है. इसके अलावा चाकुलिया, धालभूमगढ़ और बहरागोड़ा के उत्तरी इलाके के पहाड़ी क्षेत्र से सटे गांवों में इसका खासा असर है.

villagers covering faces with mosquito nets due to flies in Ghatshila
इन इलाकों में मक्खियों का आतंक

मक्खियों से परेशान ग्रामीणः ग्रामीणों के अनुसार मई और अप्रैल में तेज हवा और तूफान नहीं आने से मक्खियों का प्रकोप बढ़ गया है. जब तक पानी, हवा और तूफान नहीं आएगा तब तक यह मक्खी ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बनी रहेगी. कई ग्रामीणों का कहना है कि इतनी सारी मक्खियों का आना आने वाले समय में अकाल का भी संदेश देता है. ग्रामीणों ने बताया कि मक्खियां के कारण लोगों के स्वास्थ्य में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. आंख में जलन, आंख से पानी निकलना है सहित और छोटी-मोटी परेशानियां हो रही हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले इस तरह मक्खियों का आतंक देखने को नहीं मिला है. इस तरह मक्खियों से परेशान ग्रामीण पहली बार हो रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इससे भी एक छोटी मक्खियां हैं जिसे क्षेत्रीय भाषा में लाही कहते हैं लेकिन यह मक्खियां गांव के लोगों को परेशान नहीं करती हैं.

मक्खियों से संक्रमण का खतराः घाटशिला अनुमंडल के प्रभारी चिकित्सक डॉ. शंकर टुडू ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण मक्खियों का आतंक बड़ा है. बारिश और तूफान आने से ये खुद ही नष्ट हो जाएंगे. लेकिन चिकित्सक मक्खियों के आतंक को बीमारियों का घर मान रहे हैं. वो बताते हैं कि मक्खियां संक्रमण फैलाती है, ये इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक रोग फैलाने वाले जीवाणु फैलाती है. इससे इंफेक्शन का डर है. जिससे आंखों में जलन और दर्द की शिकायत लोगों को हो रही है.

जिला स्वास्थ्य विभाग के पास मक्खियों को भगाने के लिए फिलहाल कोई स्प्रे या छिड़काव सामग्री या समाधान नहीं है. लेकिन वो इलाके में साफ-सफाई बनाकर रखने से ही मक्खियां को भगाने की बात जरूर कर रहे हैं. इन मक्खियों के इनती तादाद को लेकर मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से कई सारी समस्या आ रही हैं, मक्खियों का प्रकोप इस समस्या में से एक है. पर्यावरण संकट के कारण यहां हो रहा है लोग पर्यावरण संरक्षण और वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले समय में और कई संकटों से गुजरना पड़ सकता है.

Last Updated : May 11, 2023, 2:25 PM IST
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