घाटशिला:आदिवासी महिला मंच की महिलाओं ने डॉ सुनीता देवदूत सोरेन के नेतृत्व में सूरदा क्रॉसिंग के आदिवासी बहुल क्षेत्र में कोरोना वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान चलाया. इस अभियान में डोर टू डोर जाकर लोगों से मिली. उन्हें वैक्सीन लेने के बाद के लाभों की जानकारी दी गई. कार्यक्रम का आयोजन सोशल डिस्टेंस और कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए किया गया.
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क्या बोलीं डॉ सुनीता
डॉ सुनीता ने कहा कि वैक्सीन कोरोना के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच है और जब तक समाज के प्रत्येक नागरिक इस कवच को धारण नहीं करते तब तक हमारा समाज सुरक्षित नहीं है. इसीलिए प्रत्येक नागरिक को अपनी स्वेच्छा से वैक्सीन लगवाना चाहिए ताकि इस महामारी को जड़ से खत्म किया जा सके.
अभी तक देखा गया है कि जिन्होंने भी वैक्सीन के दो डोज को सही समय पर लिया है, उनमें से ज्यादातर लोग को कोरोना बहुत कम हुआ है अगर किसी को हुआ भी है तो उनको हल्का संक्रमण हुआ है.
ये वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है इसीलिए गांव के लोग डरे नहीं. नागरिकों को कोविड-19 की वैक्सीन का टीका लेना चाहिए ताकि इस महामारी पर काबू पाया जा सके. कोरोना से बचाव के लिए अब वैक्सीन एक संजीवनी बूटी की तरह काम करेगा.
अफवाह की जद में ग्रामीण
आदिवासी बहुल क्षेत्र ग्रामीण इलाकों में बड़े जोर-शोर से अफवाह फैलाई गई है कि जो भी वैक्सीन लेगा उसकी वहीं पर मौत हो जाएगी और वैक्सीन लेने से बच्चे नहीं होंगे. इसीलिए ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी कोरोना वैक्सीन नहीं ले रहे हैं. सरकार को चाहिए कि इन लोगों को जागरूक किया जाए ताकि वह अपने स्वेच्छा से टीका लें. इस मौके पर मंच की वरिष्ठ सदस्य सुधारानी बेसरा, सुशीला हांसदा और देवला हेंब्रम शामिल थीं.