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बैंकों का निजीकरण बंद करे केंद्र सरकार, वरना करेंगे आंदोलनः हीरा अरकने - ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन

जमशेदपुर में झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन का दो दिवसीय 5वां सम्मेलन में झारखंड के 200 प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक शामिल हुए. सम्मेलन में केंद्र सरकार की नीतियों और बैंकों का निजीकरण किये जाने के विरोध में कर्मियों ने भड़ास निकाली.

leaders addressing the conference
सम्मेलन में संबोधित करते नेता
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Published : Nov 13, 2022, 5:22 PM IST

जमशेदपुरः जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित मिलानी हॉल में झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसियेशन का दो दिवसीय 5वां सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की ओर से संस्थानों की बिक्री करने और निजीकरण किये जाने के विरोध में चर्चा की. सम्मेलन में झारखंड प्रदेश के 200 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस माैके पर झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के उप महासचिव हीरा अरकने ने बताया कि सरकार की निजीकरण नीति, मजदूरों और किसानों की उपेक्षा के खिलाफ बैंक के सभी यूनियन एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में हैं. इस दाैरान सीएच वेंकटचलम ने भी अपनी बात रखी.

क्या हैं मांगेः संस्थाओं का निजीकरण बंद हो, सरकारी बैंकों में खाली पदों पर भर्ती हो, जनता की जमा पूंजी की सुरक्षा और ब्याज दर में वृद्धि की जाए, एनपीए की वसूली, आईबीसी जैसी संस्थाओं की कमियों को उजागर किया जाए, शाखाओं की बंदी रोकने के लिए शीघ्र कदम उठाए जाएं, बैंकों में पर्याप्त बहाली की जाए, झारखंड में बैंक ऋण की बढ़ोतरी आदी मांग है.


लेबर लॉ को बदलना उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के हित मेंः इस माैके पर सीएच वेंकटचलम ने कहा कि लेबर लॉ को बदलकर लेबर कोड इसलिए बनाया गया है, ताकि उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को लाभ हो सके. वहीं झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के उप महासचिव हीरा अरकने ने कहा कि सरकार की नीति के कारण बेरोजगारी और महंगाई पर असर पड़ रहा है. लागतार हो रहे निजीकरण से कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है. एक भय का माहौल बन गया है. ऐसे में आम जनता पर इसका असर पड़ रहा है.

वार्ता विफल हुई तो 19 को करेंगे हड़तालः सरकार की निजीकरण नीति, मजदूरों और किसानों की उपेक्षा के खिलाफ बैंक के सभी यूनियन एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में हैं. 16 नवम्बर की ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के साथ सेंट्रल लेबर कमिश्नर की वार्ता है. अगर वार्ता विफल हुई तो 19 नवम्बर को तमाम बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे.

जमशेदपुरः जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित मिलानी हॉल में झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसियेशन का दो दिवसीय 5वां सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की ओर से संस्थानों की बिक्री करने और निजीकरण किये जाने के विरोध में चर्चा की. सम्मेलन में झारखंड प्रदेश के 200 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस माैके पर झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के उप महासचिव हीरा अरकने ने बताया कि सरकार की निजीकरण नीति, मजदूरों और किसानों की उपेक्षा के खिलाफ बैंक के सभी यूनियन एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में हैं. इस दाैरान सीएच वेंकटचलम ने भी अपनी बात रखी.

क्या हैं मांगेः संस्थाओं का निजीकरण बंद हो, सरकारी बैंकों में खाली पदों पर भर्ती हो, जनता की जमा पूंजी की सुरक्षा और ब्याज दर में वृद्धि की जाए, एनपीए की वसूली, आईबीसी जैसी संस्थाओं की कमियों को उजागर किया जाए, शाखाओं की बंदी रोकने के लिए शीघ्र कदम उठाए जाएं, बैंकों में पर्याप्त बहाली की जाए, झारखंड में बैंक ऋण की बढ़ोतरी आदी मांग है.


लेबर लॉ को बदलना उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के हित मेंः इस माैके पर सीएच वेंकटचलम ने कहा कि लेबर लॉ को बदलकर लेबर कोड इसलिए बनाया गया है, ताकि उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को लाभ हो सके. वहीं झारखंड प्रदेश बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के उप महासचिव हीरा अरकने ने कहा कि सरकार की नीति के कारण बेरोजगारी और महंगाई पर असर पड़ रहा है. लागतार हो रहे निजीकरण से कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है. एक भय का माहौल बन गया है. ऐसे में आम जनता पर इसका असर पड़ रहा है.

वार्ता विफल हुई तो 19 को करेंगे हड़तालः सरकार की निजीकरण नीति, मजदूरों और किसानों की उपेक्षा के खिलाफ बैंक के सभी यूनियन एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में हैं. 16 नवम्बर की ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के साथ सेंट्रल लेबर कमिश्नर की वार्ता है. अगर वार्ता विफल हुई तो 19 नवम्बर को तमाम बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे.

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