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जमशेदपुरः लॉकडाउन के चलते परिवहन व्यवसाय की टूटी कमर, बस मालिकों के सामने भारी आर्थिक संकट

जमशेदपुर में लॉकडाउन के कारण परिवहन व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है. करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले इस व्यवसाय को लेकर वर्तमान में सरकार को कुछ राहत देने की जरूरत है. 2 महीने से बसों के पहिए थमने से निजी बस मालिकों के सामने भारी आर्थिक संकट बना हुआ है.

परिवहन व्यवसाय
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Published : Jun 29, 2020, 3:55 PM IST

जमशेदपुरः कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लॉक डाउन किया गया था और लॉकडाउन के करीब ढाई महीने बीत चुके हैं. हालांकि सरकार ने कई क्षेत्रों में राहत दी है, लेकिन निजी बसों को अभी तक नहीं मिली है. शहर में बड़ी संख्या में निजी बसें चलती हैं जिनसे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है.

लॉकडाउन से परिवहन व्यवसाय ठप.

बसों के पहिए थमे होने से न केवल बस मालिक बल्कि उनले जुड़े सभी वर्गों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. बसों के पहिए थमने से करीब 5000 परिवार प्रभावित हो रहे हैं.

एक ओर जहां बसें न चलने से बस मालिकों के सामने भारी संकट है तो दूसरी ओर उनको टैक्स भरने की चिंता सता रही है. 2 महीने से बसों के बंद होने से उनके सामने यह बड़ी चिंता बनी हुई है. विभाग ने उन्हें टैक्स भरने के लिए निश्चिचत समय दिया है उसके बाद उनसे जुर्माना वसूला जाएगा.

माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इस दिशा में निर्णय ले सकती है, लेकिन दोबारा बसों के शुरू होना इतना आसान नहीं है. बस मालिकों को काफी खर्च करना पड़ेगा.

कोरोना महामारी के कारण सभी प्रकार के उद्योग धंधों पर भारी मार पड़ी है. परिवहन सेवाएं भी इसमें शामिल हैं. निजी बसों के पहिए अभी तक थमे हुए हैं. हालांकि सरकार ने कई चीजों को राहत जरूर दी है, लेकिन परिवहन सेवा में अभी तक राहत नही मिली है.

जमशेदपुर से करीब 60 मिनी बसें चलती हैं, जबकि शहर में दूसरे जिलों से करीब 500 बसें आती जाती हैं. यहां से बसें बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा बंगाल और ओडिसा भी आती-जाती हैं. बसें न चलने से सभी परेशान हैं.

यह भी पढ़ेंः खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय आज लॉन्च करेगा 'सपनों की उड़ान' योजना

दूसरी ओर बसों का परिचालन शुरू होता है तो काफी खर्चा करना होगा बस को चलाने के लिए पहले मोबिल बदलना होगा. साथ ही दो नई बैट्री लगानी होगी. पहिया ग्रीसिंग किया जाएगा.

इतना खर्च आएगा (प्रति बस)

बैटरी (दो)-24000 मोबिल पलटी-8000

पहिया ग्रीसिंग-3500 मजदूरी -1500

अन्य खर्च -5000

कुल-52000

बस मालिक के अनुसार एक बस के परिचालन से 5 हजार रूपए कमाते हैं. यह पैसे सभी को देने के बाद बचते हैं. परिचालन रुका हुआ होने के कारण बसों का इश्योरेंस, रोड टैक्स भी फेल हो गया है.

वहीं सरकार ने बस मालिकों को 30 जून तक रोड टैक्स जमा करने का समय दिया है. सबसे ज्यादा हालत खराब बसों के कर्मचारियों की है. कर्मचारियों के अनुसार एक बस करीब 100 लोगों को रोजगार देती है. सरकार सभी के लिए राहत की घोषणा कर रही है, लेकिन हम लोगों के लिए कुछ नही कर रही है.

सरकार ने एक बार लॉकडाउन की तिथि को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया है और फिलहाल इन बसों का सड़कों पर चलना कम ही नजर आ रहा है. सरकार ने अभी तक इनके लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इन्हें आशा है कि सरकार कुछ ना कुछ अवश्य निर्णय लेगी ताकि उनका जीवन भी एक बार फिर पटरी पर आ सके.

जमशेदपुरः कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लॉक डाउन किया गया था और लॉकडाउन के करीब ढाई महीने बीत चुके हैं. हालांकि सरकार ने कई क्षेत्रों में राहत दी है, लेकिन निजी बसों को अभी तक नहीं मिली है. शहर में बड़ी संख्या में निजी बसें चलती हैं जिनसे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है.

लॉकडाउन से परिवहन व्यवसाय ठप.

बसों के पहिए थमे होने से न केवल बस मालिक बल्कि उनले जुड़े सभी वर्गों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. बसों के पहिए थमने से करीब 5000 परिवार प्रभावित हो रहे हैं.

एक ओर जहां बसें न चलने से बस मालिकों के सामने भारी संकट है तो दूसरी ओर उनको टैक्स भरने की चिंता सता रही है. 2 महीने से बसों के बंद होने से उनके सामने यह बड़ी चिंता बनी हुई है. विभाग ने उन्हें टैक्स भरने के लिए निश्चिचत समय दिया है उसके बाद उनसे जुर्माना वसूला जाएगा.

माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इस दिशा में निर्णय ले सकती है, लेकिन दोबारा बसों के शुरू होना इतना आसान नहीं है. बस मालिकों को काफी खर्च करना पड़ेगा.

कोरोना महामारी के कारण सभी प्रकार के उद्योग धंधों पर भारी मार पड़ी है. परिवहन सेवाएं भी इसमें शामिल हैं. निजी बसों के पहिए अभी तक थमे हुए हैं. हालांकि सरकार ने कई चीजों को राहत जरूर दी है, लेकिन परिवहन सेवा में अभी तक राहत नही मिली है.

जमशेदपुर से करीब 60 मिनी बसें चलती हैं, जबकि शहर में दूसरे जिलों से करीब 500 बसें आती जाती हैं. यहां से बसें बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा बंगाल और ओडिसा भी आती-जाती हैं. बसें न चलने से सभी परेशान हैं.

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दूसरी ओर बसों का परिचालन शुरू होता है तो काफी खर्चा करना होगा बस को चलाने के लिए पहले मोबिल बदलना होगा. साथ ही दो नई बैट्री लगानी होगी. पहिया ग्रीसिंग किया जाएगा.

इतना खर्च आएगा (प्रति बस)

बैटरी (दो)-24000 मोबिल पलटी-8000

पहिया ग्रीसिंग-3500 मजदूरी -1500

अन्य खर्च -5000

कुल-52000

बस मालिक के अनुसार एक बस के परिचालन से 5 हजार रूपए कमाते हैं. यह पैसे सभी को देने के बाद बचते हैं. परिचालन रुका हुआ होने के कारण बसों का इश्योरेंस, रोड टैक्स भी फेल हो गया है.

वहीं सरकार ने बस मालिकों को 30 जून तक रोड टैक्स जमा करने का समय दिया है. सबसे ज्यादा हालत खराब बसों के कर्मचारियों की है. कर्मचारियों के अनुसार एक बस करीब 100 लोगों को रोजगार देती है. सरकार सभी के लिए राहत की घोषणा कर रही है, लेकिन हम लोगों के लिए कुछ नही कर रही है.

सरकार ने एक बार लॉकडाउन की तिथि को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया है और फिलहाल इन बसों का सड़कों पर चलना कम ही नजर आ रहा है. सरकार ने अभी तक इनके लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इन्हें आशा है कि सरकार कुछ ना कुछ अवश्य निर्णय लेगी ताकि उनका जीवन भी एक बार फिर पटरी पर आ सके.

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