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कई यादगार लम्हों का साक्षी रहा है जमशेदपुर का यह चर्च, आज भी गूंजती है टाटा स्टील की घंटी

जमशेदपुर का सेंट जॉर्ज चर्च कई मायनों में अहम है. 105 साल पुराना यह चर्च कई यादगार पलों को अपने आप में समेटे है. टाटा स्टील की इस ऐतिहासिक इमारत की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है.

सेंट जॉर्ज चर्च
सेंट जॉर्ज चर्च
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Published : Dec 23, 2020, 2:52 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 11:42 AM IST

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिले की लौहनगरी जमशेदपुर औद्योगिक क्रांति में स्थापित इस्पात उद्योग की पहचान के साथ-साथ कई ऐसी धरोहरों की गवाह है जो आज भी बेमिसाल है.

देखें स्पेशल खबर.

उन्ही ऐतिहासिक धरोहरों में बिष्टुपुर स्थित सेंट जॉर्ज चर्च का नाम शामिल है. अंग्रेजों के बनाये इस 105 साल पुराने चर्च से जुड़े लोग खुद पर गर्व करते है.

जमशेदपुर के बिष्टुपुर नार्दन टाउन में एक एकड़ क्षेत्र में स्थित सेंट जॉर्ज चर्च पूर्वी सिंहभूम जिले का सबसे पुराना चर्च है. ईसाई धर्मावलंबियों के लिए 105 साल पुराना यह चर्च खास मायने रखता है.

आज यहां आकर प्रार्थना करने वाले लोग चर्च के इतिहास को याद कर गर्व महसूस करते है. ब्रिटिश शासन काल में इंग्लैंड से आकर जमशेदपुर में रहने वाले अंग्रेज अफसरों ने प्रार्थना के लिए बिष्टुपुर नार्दन टाउन में 28 दिसम्बर के दिन सेंट जॉर्ज चर्च की नींव रखी.

सेंट जॉर्ज ने रखी थी नींव

बताया जाता है कि सेंट जॉर्ज एक सामाजिक व्यक्ति थे जो सदैव समाज में लोगों की भलाई के लिए काम करते रहते थे गरीबों से विशेष प्रेम करते थे जिसे देखते हुए उन्हें संत की उपाधि दी गई और उन्ही के नाम पर जमशेदपुर में सेंट जॉर्ज चर्च की नींव रखी गई.

जमशेदपुर में स्टील प्लांट के लिए इंग्लैंड से ब्लास्ट फर्नेस के ईंट लाईं गईं थी जिससे सेंट जॉर्ज चर्च का निर्माण किया गया और 23 अप्रैल 1916 को चर्च में प्राण-प्रतिष्ठा संस्कार हुआ और पहली प्रार्थना सभा हुई.

बता दें कि चर्च में बैठने के लिये लकड़ी के बनाये गए बैंच आज भी मजबूती के साथ सुशोभित हो रहे है .105 साल पुराने चर्च के दरवाजे और खिड़कियां भी नहीं बदली गईं हैं.

दो भाषाओं में होती है प्रार्थना

चर्च में दो भाषाओं में प्रार्थनाएं होती हैं सुबह 8 बजे अंग्रेजी में और 10 बजे हिंदी में होती है. चर्च के निर्माण के बाद आज तक मरम्मत करने की जरूरत नहीं पड़ी है सिर्फ रंग रोगन किया जाता है.

चर्च के चारों तरफ रंग बिरंगे फूलों की बागवानी है.1916 से अब तक चर्च में 21 पुरोहितों ने अपना योगदान दिया है. 22 वें पुरोहित दीपक अनिल जोजो बताते हैं कि 105 साल पुराने इस चर्च से जुड़ी कई बातें है जो अपने आप में इतिहास है.

चर्च के सबसे ऊपर घंटा घर है जिसमें टाटा स्टील द्वारा बनाया गया बड़ा घंटा आज भी बजता है. वो बताते हैं कि जमशेदपुर कीनन स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के लिए जब भी इंग्लैड और वेस्टइंडीज की टीम आती थी तब मैच खेलने जाने से पूर्व टीम इस चर्च में आकर प्रार्थना करती थी और ऐसा हुआ है कि टीम को जीत मिली है.

चर्च से जुड़े कई बातों का जिक्र करने के बाद पुरोहित दीपक अनिल जोजो ने बताया है कि इस चर्च से लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है और मुझे भी गर्व होता है कि मैं ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा हूं.

यह भी पढ़ेंः आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने सरकार से मांगा क्रिसमस गिफ्ट, ईसाई समुदाय से मंत्री बनाने की मांग

जमशेदपुर में छोटे बड़े कैथोलिक चर्च के अलावा प्रोटेस्टेंट चर्च हैं जिनकी संख्या 50 के लगभग है, जहां ईस्टर क्रिसमस गुड़ फ्राइडे मनाया जाता है. 105 साल पुराने सेंट जॉर्ज चर्च प्रोटेस्टेंट चर्च के अधीन 18 चर्च हैं. सेंट जॉर्ज चर्च से 700 परिवार जुड़े हैं जो इस चर्च के सदस्य हैं.

डेजी बताती है कि वे बचपन से यहां आती हैं. इस चर्च से उसका विशेष लगाव है उसे यहां शांति मिलती है इस ऐतिहासिक चर्च से एक विश्वास जुड़ा है.

आज की पीढ़ी को सेंट जॉर्ज से काफी कुछ सीखने को मिला है. सुष्मिता तिर्की बताती हैं कि उन्हें गर्व महसूस होता है इस चर्च में आकर. सेंट जॉर्ज ने जिस तरह अपना जीवन समाज के प्रति लगाया समाज के लिए अच्छा काम किया जिससे उनके नाम पर चर्च बना है.

आज की पीढ़ी को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है. बहरहाल 105 साल पुराने सेंट जॉर्ज चर्च ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ साथ लोगों का विश्वास भी इससे जुड़ा हुआ है.

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिले की लौहनगरी जमशेदपुर औद्योगिक क्रांति में स्थापित इस्पात उद्योग की पहचान के साथ-साथ कई ऐसी धरोहरों की गवाह है जो आज भी बेमिसाल है.

देखें स्पेशल खबर.

उन्ही ऐतिहासिक धरोहरों में बिष्टुपुर स्थित सेंट जॉर्ज चर्च का नाम शामिल है. अंग्रेजों के बनाये इस 105 साल पुराने चर्च से जुड़े लोग खुद पर गर्व करते है.

जमशेदपुर के बिष्टुपुर नार्दन टाउन में एक एकड़ क्षेत्र में स्थित सेंट जॉर्ज चर्च पूर्वी सिंहभूम जिले का सबसे पुराना चर्च है. ईसाई धर्मावलंबियों के लिए 105 साल पुराना यह चर्च खास मायने रखता है.

आज यहां आकर प्रार्थना करने वाले लोग चर्च के इतिहास को याद कर गर्व महसूस करते है. ब्रिटिश शासन काल में इंग्लैंड से आकर जमशेदपुर में रहने वाले अंग्रेज अफसरों ने प्रार्थना के लिए बिष्टुपुर नार्दन टाउन में 28 दिसम्बर के दिन सेंट जॉर्ज चर्च की नींव रखी.

सेंट जॉर्ज ने रखी थी नींव

बताया जाता है कि सेंट जॉर्ज एक सामाजिक व्यक्ति थे जो सदैव समाज में लोगों की भलाई के लिए काम करते रहते थे गरीबों से विशेष प्रेम करते थे जिसे देखते हुए उन्हें संत की उपाधि दी गई और उन्ही के नाम पर जमशेदपुर में सेंट जॉर्ज चर्च की नींव रखी गई.

जमशेदपुर में स्टील प्लांट के लिए इंग्लैंड से ब्लास्ट फर्नेस के ईंट लाईं गईं थी जिससे सेंट जॉर्ज चर्च का निर्माण किया गया और 23 अप्रैल 1916 को चर्च में प्राण-प्रतिष्ठा संस्कार हुआ और पहली प्रार्थना सभा हुई.

बता दें कि चर्च में बैठने के लिये लकड़ी के बनाये गए बैंच आज भी मजबूती के साथ सुशोभित हो रहे है .105 साल पुराने चर्च के दरवाजे और खिड़कियां भी नहीं बदली गईं हैं.

दो भाषाओं में होती है प्रार्थना

चर्च में दो भाषाओं में प्रार्थनाएं होती हैं सुबह 8 बजे अंग्रेजी में और 10 बजे हिंदी में होती है. चर्च के निर्माण के बाद आज तक मरम्मत करने की जरूरत नहीं पड़ी है सिर्फ रंग रोगन किया जाता है.

चर्च के चारों तरफ रंग बिरंगे फूलों की बागवानी है.1916 से अब तक चर्च में 21 पुरोहितों ने अपना योगदान दिया है. 22 वें पुरोहित दीपक अनिल जोजो बताते हैं कि 105 साल पुराने इस चर्च से जुड़ी कई बातें है जो अपने आप में इतिहास है.

चर्च के सबसे ऊपर घंटा घर है जिसमें टाटा स्टील द्वारा बनाया गया बड़ा घंटा आज भी बजता है. वो बताते हैं कि जमशेदपुर कीनन स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के लिए जब भी इंग्लैड और वेस्टइंडीज की टीम आती थी तब मैच खेलने जाने से पूर्व टीम इस चर्च में आकर प्रार्थना करती थी और ऐसा हुआ है कि टीम को जीत मिली है.

चर्च से जुड़े कई बातों का जिक्र करने के बाद पुरोहित दीपक अनिल जोजो ने बताया है कि इस चर्च से लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है और मुझे भी गर्व होता है कि मैं ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा हूं.

यह भी पढ़ेंः आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने सरकार से मांगा क्रिसमस गिफ्ट, ईसाई समुदाय से मंत्री बनाने की मांग

जमशेदपुर में छोटे बड़े कैथोलिक चर्च के अलावा प्रोटेस्टेंट चर्च हैं जिनकी संख्या 50 के लगभग है, जहां ईस्टर क्रिसमस गुड़ फ्राइडे मनाया जाता है. 105 साल पुराने सेंट जॉर्ज चर्च प्रोटेस्टेंट चर्च के अधीन 18 चर्च हैं. सेंट जॉर्ज चर्च से 700 परिवार जुड़े हैं जो इस चर्च के सदस्य हैं.

डेजी बताती है कि वे बचपन से यहां आती हैं. इस चर्च से उसका विशेष लगाव है उसे यहां शांति मिलती है इस ऐतिहासिक चर्च से एक विश्वास जुड़ा है.

आज की पीढ़ी को सेंट जॉर्ज से काफी कुछ सीखने को मिला है. सुष्मिता तिर्की बताती हैं कि उन्हें गर्व महसूस होता है इस चर्च में आकर. सेंट जॉर्ज ने जिस तरह अपना जीवन समाज के प्रति लगाया समाज के लिए अच्छा काम किया जिससे उनके नाम पर चर्च बना है.

आज की पीढ़ी को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है. बहरहाल 105 साल पुराने सेंट जॉर्ज चर्च ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ साथ लोगों का विश्वास भी इससे जुड़ा हुआ है.

Last Updated : Dec 24, 2020, 11:42 AM IST
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