जमशेदपुरः झारखंड स्थापना के 19 साल बीत चुके हैं. इतने सालों में भी आदिवासियों की स्थिति में सुधार नजर नहीं आ रहा है. शहर से 20 किलोमीटर दूर बोड़ाम पंचायत का राहड़गोड़ा गांव प्रकृति की गोद में बसा है. इस आधुनिक दौर में भी यहां के आदिवासी लोग सूखी लकड़ी बेच अपना जीवनयापन करते हैं. सरकारी योजनाओं की पहुंच से ये अब भी कोसों दूर हैं.
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बहरहाल, आजतक झारखंड में सिर्फ राजनेताओं की तस्वीर ही बदली है. गांव-कस्बों और आदिवासी की जमीनी पड़ताल करेंगे तो भूख, बेबसी, लाचारी के सिवाय कुछ हाथ नहीं आएगा. यहां के लोग अपने करम और जंगलों के कारण जीते है.