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जमशेदपुर शहर के बीचों-बीच एक स्थान पर 12 साल से लागू है धारा 144, जानिए कहां है वो जगह - जमशेदपुर एसडीएम की खबरें

शहर के बीचोंबीच एक ऐसा स्थान जहां पिछले 12 वर्षों से निषेधाज्ञा लगा हूआ है. यहा पर पांच से ज्यादा लोग नही एकत्रित हो सकते हैं. इस जगह पर प्रशासन के बिना अनुमति के कोई कार्यक्रम नहीं किया जा सकता है. वह इलाका है जमशेदपुर का सबसे व्यस्ततम इलाका कदमा का गणेश पूजा मैदान.

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12 साल से लागू है धारा 144
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Published : Oct 30, 2020, 5:31 AM IST

जमशेदपुरः 9 मई 2008 को तत्कालीन सासंद सुमन महतो अपने पति दिवगंत सासंद सुनील महतो की याद में कदमा स्थित अपने आवास के सामने गणेश पूजा मैदान में एक स्मारक का निर्माण करवा रही थी. वहां पर दिवंगत सासंद की प्रतिमा को स्थापित करना था. इस मामले को लेकर कुछ लोगों के मानना था कि प्रतिमा के बहाने जमीन का अतिक्रमण किया जा रहा है. इसको लेकर वहां विधि-व्यवस्था भंग होने की संभावना थी. जिसको देखते हुए तत्कालीन एसडीओ राकेश कुमार ने पहली बार यहा निषेधाज्ञा लगाई गई. हालांकि इस दौरान वहा जमकर हंगामा भी हुआ था.

देखें पूरी खबर


स्मारक को लेकर शुरू हुआ था मामला

वहीं इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 14 मई 2008 को उस मैदान में यथा स्थिति बनाए रखने का अंतरिम दिया. तबसे कोर्ट के आदेश आने यहा 144 धारा लगाया जाता रहा है. इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय रांची के आदेश के अनुपालन हेतू एवं लोक शांति भंग होने की संभावना को देखते हुए धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी नीतीश कुमार सिंह ने कदमा गणेश पूजा मैदान में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 द.प्र.सं. के अंतर्गत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्न प्रकार से निषेधाज्ञा आदेश दिया गया है. आदेश अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

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धारा 144 लागू

12 साल से धारा 144 लागू

1. किसी भी प्रकार का हिंसक जुलूस धरना या प्रदर्शन घेराव रोड जाम करना पुतला दहन करना निषेध होगा.
2. किसी भी प्रकार का अस्त्र शस्त्र या लाठी-डंडा, तीर धनुष, गड़ासा-भाला लेकर रोड पर निकलना या चलना निषेध होगा.
3. उक्त स्थल पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सा कर्मी तथा मीडिया कर्मी पर यह आदेश लागू नहीं होगा.
4. बिना अनुमति के ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करना निषेध होगा.
5. कोई भी राजनीतिक दल बिना पूर्व अनुमति के कोई सभा/जुलूस नहीं निकालेंगे.
6. उपद्रव अथवा शांति भंग करने के उद्देश्य 5 या 5 से अधिक व्यक्ति स्थल पर एक साथ जमा नहीं होंगे.

हालांकि यह आदेश कार्य अवधि के दौरान 5 या इससे अधिक सरकारी या गैर सरकारी सेवकों, बारात पार्टी, शव यात्रा, पूजा अर्चना की नियत से एकत्रित व्यक्तियों धार्मिक जुलूस पर लागू नहीं होगा. सिख और नेपाली समुदाय के लिए धार्मिक रीति रिवाज के अनुरूप कृपाण एवं खुखरी रखकर चलने पर उनके विरूद्ध प्रभावी नहीं होंगे.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुरः 'अंत पोलियो अब' कार्यक्रम का आयोजन, रोटरी क्लब का सराहनीय उपक्रम


पूर्व सांसद का आरोप

इस संबंध में जमशेदपुर की पूर्व सांसद सुमन महतो का कहना है कि अपने पति की याद में एक स्मारक कदमा गणेश पूजा मैदान में स्थापित करना चाहती थी उस जगह में मेरे पति की यादे जुड़ी हैं. उन्होंने कहा है कि एक सजिश के तहत यहा प्रतिमा बनने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते ही नहीं हैं कि आदिवासी नेता को सम्मान मिले. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द उनके मामले का समाधान हो जाएगा.


क्या होगा जेएमएम सरकार का रुख

करीब 12 साल से निषेधाज्ञा जारी होने के बाद भी अभी तक झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से मामले में अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है. यही कारण है कि हर 3 महीने पर एक नया आदेश जारी कर यहां अगले आदेश तक निषेधाज्ञा लागू कर दी जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से 14 मई 2008 के अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए इसकी अवधि बढ़ाई जाती रही है. अब देखना यह है कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है. अपने दिवगंत सासंद सुनील महतो की स्मारक बनाने मे क्या कदम उठाती है.

जमशेदपुरः 9 मई 2008 को तत्कालीन सासंद सुमन महतो अपने पति दिवगंत सासंद सुनील महतो की याद में कदमा स्थित अपने आवास के सामने गणेश पूजा मैदान में एक स्मारक का निर्माण करवा रही थी. वहां पर दिवंगत सासंद की प्रतिमा को स्थापित करना था. इस मामले को लेकर कुछ लोगों के मानना था कि प्रतिमा के बहाने जमीन का अतिक्रमण किया जा रहा है. इसको लेकर वहां विधि-व्यवस्था भंग होने की संभावना थी. जिसको देखते हुए तत्कालीन एसडीओ राकेश कुमार ने पहली बार यहा निषेधाज्ञा लगाई गई. हालांकि इस दौरान वहा जमकर हंगामा भी हुआ था.

देखें पूरी खबर


स्मारक को लेकर शुरू हुआ था मामला

वहीं इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 14 मई 2008 को उस मैदान में यथा स्थिति बनाए रखने का अंतरिम दिया. तबसे कोर्ट के आदेश आने यहा 144 धारा लगाया जाता रहा है. इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय रांची के आदेश के अनुपालन हेतू एवं लोक शांति भंग होने की संभावना को देखते हुए धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी नीतीश कुमार सिंह ने कदमा गणेश पूजा मैदान में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 द.प्र.सं. के अंतर्गत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्न प्रकार से निषेधाज्ञा आदेश दिया गया है. आदेश अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

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धारा 144 लागू

12 साल से धारा 144 लागू

1. किसी भी प्रकार का हिंसक जुलूस धरना या प्रदर्शन घेराव रोड जाम करना पुतला दहन करना निषेध होगा.
2. किसी भी प्रकार का अस्त्र शस्त्र या लाठी-डंडा, तीर धनुष, गड़ासा-भाला लेकर रोड पर निकलना या चलना निषेध होगा.
3. उक्त स्थल पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सा कर्मी तथा मीडिया कर्मी पर यह आदेश लागू नहीं होगा.
4. बिना अनुमति के ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करना निषेध होगा.
5. कोई भी राजनीतिक दल बिना पूर्व अनुमति के कोई सभा/जुलूस नहीं निकालेंगे.
6. उपद्रव अथवा शांति भंग करने के उद्देश्य 5 या 5 से अधिक व्यक्ति स्थल पर एक साथ जमा नहीं होंगे.

हालांकि यह आदेश कार्य अवधि के दौरान 5 या इससे अधिक सरकारी या गैर सरकारी सेवकों, बारात पार्टी, शव यात्रा, पूजा अर्चना की नियत से एकत्रित व्यक्तियों धार्मिक जुलूस पर लागू नहीं होगा. सिख और नेपाली समुदाय के लिए धार्मिक रीति रिवाज के अनुरूप कृपाण एवं खुखरी रखकर चलने पर उनके विरूद्ध प्रभावी नहीं होंगे.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुरः 'अंत पोलियो अब' कार्यक्रम का आयोजन, रोटरी क्लब का सराहनीय उपक्रम


पूर्व सांसद का आरोप

इस संबंध में जमशेदपुर की पूर्व सांसद सुमन महतो का कहना है कि अपने पति की याद में एक स्मारक कदमा गणेश पूजा मैदान में स्थापित करना चाहती थी उस जगह में मेरे पति की यादे जुड़ी हैं. उन्होंने कहा है कि एक सजिश के तहत यहा प्रतिमा बनने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते ही नहीं हैं कि आदिवासी नेता को सम्मान मिले. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द उनके मामले का समाधान हो जाएगा.


क्या होगा जेएमएम सरकार का रुख

करीब 12 साल से निषेधाज्ञा जारी होने के बाद भी अभी तक झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से मामले में अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है. यही कारण है कि हर 3 महीने पर एक नया आदेश जारी कर यहां अगले आदेश तक निषेधाज्ञा लागू कर दी जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से 14 मई 2008 के अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए इसकी अवधि बढ़ाई जाती रही है. अब देखना यह है कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है. अपने दिवगंत सासंद सुनील महतो की स्मारक बनाने मे क्या कदम उठाती है.

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