ETV Bharat / state

पैरालिसिस के कारण 6 महीने बेड पर रहा राजस्थान का 50 वर्षीय अजय, अब साइकिल से निकला है करने भारत दर्शन

जमशेदपुर में इन दिनों राजस्थान का 50 वर्षीय अजय जाट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वर्ष 2007 में हुए सड़क हादसे में अजय ने अपने पिता और पत्नी को खो दिया था और वह खुद पैरालिसिस का शिकार हो गया था. तकरीबन 6 महीने बेड पर बीमारी से लड़ने के बाद उसने तय किया कि वे पचास हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा के जरिए भारत के विभिन्न राज्यों का भ्रमण करेंगे.

पैरालिसिस के कारण छे महीने बेड पर रहा राजस्थान का 50 वर्षीय अजय, अब साइकिल से निकला है करने भारत दर्शन
अजय जाट
author img

By

Published : Jan 18, 2020, 5:03 PM IST

जमशेदपुरः कुछ कर गुजरने की दृढ इच्छा जब इंसान में हो तो कोई मंजिल दूर नहीं. राजस्थान के झुंझनु जिले के रहने वाले 50 वर्षीय अजय जाट की जिंदगी में कई चुनौतियां आई, लेकिन उन्हें कभी हरा नहीं पाई. वर्ष 2007 में हुए सड़क हादसे में अजय ने अपने पिता और पत्नी को खो दिया और वह खुद पैरालिसिस का शिकार हो गया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

तकरीबन 6 महीने बेड पर गुजारने के बाद अजय ने तय किया कि वे अपनी बीमारी से लड़ेंगे. अजय ने तय किया कि वे पचास हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा के जरिए भारत के विभिन्न राज्यों का भ्रमण करेंगे, ऐसे लोगों से मिलेंगे जो जिंदगी से निराश हो चुके हैं. उन्हें सकारात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगे.

और पढ़ें- राशन कार्ड नहीं मिलने से ग्रामीण परेशान, लोगों ने कहा- सरकार नहीं कर रही मदद

फिजियोथेरेपी सेंटर खोलना है लक्ष्य

अजय बताते हैं, कि यात्रा के दौरान वह हर उस व्यक्ति से मिलने की कोशिश करेंगे जो फिजियोथेरेपी से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. उन्हें खुद की कहानी बता कर मोटिवेट करने का प्रयास करेंगे. उनका लक्ष्य है चंदा जुटाकर फिजियोथैरेपी सेंटर खोलना ताकि जरूरतमंद लोगों को निशुल्क इलाज मिल सके.

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने ईमेल भेजा

अजय इससे पहले सीकर से मुंबई तक साइकिल पर यात्रा कर चुके हैं. वे अपने साथ दो लीटर की बोतल और ग्लूकोज जरूर रखते हैं. साइकिल यात्रा शुरू करने के लिए अजय ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपने दस्तावेज लगाए तो लिम्का ने उनकी तरफ से भी दस्तावेज मिलने और यात्रा शुरू करने का जवाब मिल चुका है.

जमशेदपुरः कुछ कर गुजरने की दृढ इच्छा जब इंसान में हो तो कोई मंजिल दूर नहीं. राजस्थान के झुंझनु जिले के रहने वाले 50 वर्षीय अजय जाट की जिंदगी में कई चुनौतियां आई, लेकिन उन्हें कभी हरा नहीं पाई. वर्ष 2007 में हुए सड़क हादसे में अजय ने अपने पिता और पत्नी को खो दिया और वह खुद पैरालिसिस का शिकार हो गया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

तकरीबन 6 महीने बेड पर गुजारने के बाद अजय ने तय किया कि वे अपनी बीमारी से लड़ेंगे. अजय ने तय किया कि वे पचास हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा के जरिए भारत के विभिन्न राज्यों का भ्रमण करेंगे, ऐसे लोगों से मिलेंगे जो जिंदगी से निराश हो चुके हैं. उन्हें सकारात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगे.

और पढ़ें- राशन कार्ड नहीं मिलने से ग्रामीण परेशान, लोगों ने कहा- सरकार नहीं कर रही मदद

फिजियोथेरेपी सेंटर खोलना है लक्ष्य

अजय बताते हैं, कि यात्रा के दौरान वह हर उस व्यक्ति से मिलने की कोशिश करेंगे जो फिजियोथेरेपी से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. उन्हें खुद की कहानी बता कर मोटिवेट करने का प्रयास करेंगे. उनका लक्ष्य है चंदा जुटाकर फिजियोथैरेपी सेंटर खोलना ताकि जरूरतमंद लोगों को निशुल्क इलाज मिल सके.

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने ईमेल भेजा

अजय इससे पहले सीकर से मुंबई तक साइकिल पर यात्रा कर चुके हैं. वे अपने साथ दो लीटर की बोतल और ग्लूकोज जरूर रखते हैं. साइकिल यात्रा शुरू करने के लिए अजय ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपने दस्तावेज लगाए तो लिम्का ने उनकी तरफ से भी दस्तावेज मिलने और यात्रा शुरू करने का जवाब मिल चुका है.

Intro:एंकर-- सड़क हादसे में पिता- पत्नी को खोया पैरालिसिस के कारण खुद छः महीने बेड पर थें. अब साइकिल से भारत की यात्रा पर निकले हैं.राजस्थान के अजय जाट।


Body:वीओ1-- यह कहानी राजस्थान के झुँझरु जिले के रहने वाले 50 वर्षीय अजय चौधरी की है. अजय की जिंदगी में कई चुनौतियां आई. लेकिन उन्हें कभी हरा नहीं नहीं पाई वर्ष 2007 में हुए सड़क हादसे में अजय ने अपने पिता और पत्नी को खो दिया वे इसके साथ ही वे खुद पैरालिसिस का शिकार हो गया तकरीबन क्षः महीने बेड पर भी गुजारे इसी दौरान अजय ने तय किया कि वे अपनी बीमारी से लड़ेंगे. अजय ने तय किया कि वे पचास हज़ार किलोमीटर साइकिल यात्रा के जरिए भारत के विभिन्न राज्यों का भ्रमण करेंगे ऐसे लोगों से मिलेंगे जो जिंदगी से निराश हो चुके हैं. उन्हें सकारात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगे।
बाइट--अजय जाट(साईकल से निकले यात्री)
वीओ2-- जिंदगी जीने के दो तरीके होते हैं.एक जो हो रहा है उसे चुपचाप सहते जाओ दूसरा या फिर एक ऐसी जिम्मेदारी उठाओ जिससे खुद को बदल दो ये किसी फिल्म का डायलॉग नहीं बल्कि अजय के वाक़यांश है.और अजय ने ख़ुद को बदल दिया।अजय तीन महीनों में बारह हजार किलोमीटर की यात्रा तय कर चुके हैं.देश के बारह राज्यों में निशक्त और असहाय लोगों से मिलते हैं.बल्कि उन्हें जीवन जीने की प्रेरणा भी देते हैं.
बाइट--अजय जाट(साईकल से निकले यात्री)
वीओ3--फिजियोथेरेपी सेंटर खोलना है लक्ष्य-- अजय बताते हैं. कि यात्रा के दौरान वह हर उस व्यक्ति से मिलने की कोशिश करेंगे जो फिजियोथेरेपी से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. उन्हें खुद की कहानी बता कर मोटिवेट करने का प्रयास करेंगे उनका लक्ष्य है. चंदा जुटाकर फिजियोथैरेपी सेंटर खोलना ताकि जरूरतमंद लोगों को निशुल्क इलाज मिल सके।
लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्डस ने ईमेल भेजा-- अजय इससे पहले सीकर से मुंबई तक साइकिल पर यात्रा कर चुके हैं. वे अपने साथ दो लीटर की बोतल व ग्लूकोज जरूर रखते हैं.साइकिल यात्रा शुरू करने के लिए अजय ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपने दस्तावेज लगाए तो लिम्का ने उनकी तरफ से भी दस्तावेज मिलने और यात्रा शुरू करने का जवाब मिल चुका है।
जज्बे को सलाम-- भले ही पैरालिसिस जैसे असाध्य रोग से अजय पीड़ित हैं. लेकिन इनके जज्बे के आगे यह बीमारी भी बौनी साबित हो रही है. सीने से नीचे पैरों तक शरीर में सुन्नपन है. लेकिन हौसले बुलंद होने के कारण प्रतिदिन अजय 70 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. वह भी साइकिल चलाकर.
बाइट--अजय जाट(साईकल से निकले यात्री)


Conclusion: साइकिल से इतनी लंबी दूरी पार करने के बाद भी अजय के चेहरे पर थकान जैसी कोई बात नहीं दिखती है.अपने परिवार को खोने के बाद भी अजय ने हौसलों से अपनी उड़ान भरी है. अजय ने अपने आप को टूटने नहीं दिया है. यह कहानी यह दिखाती है कि पूरी तन्मयता से किसी भी चीज को पूरा किया जाए तो वह हासिल जरूर होगी।

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.