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Jamshedpur News: आत्मदाह मामले में आरपीएफ ने कहा- कर्मचारी के पास नहीं थे जमीन के कागजात, बोर्ड के अनुसार होगी कार्रवाई

जमशेदपुर में रेलवे कर्मचारी आत्मदाह मामले में आरपीएफ ने कर्मचारी सुनील के आरोप को बेबुनियाद बताया है. कहा है कि जमीन से संबंधित कोई पेपर उसके पास नहीं थे.

land acquisition railway colony issue
lजमशेदपुर रेलवे कॉलोनी में जमीन कब्जा मामला
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Published : Jul 3, 2023, 7:40 AM IST

देखें पूरी खबर

जमशेदपुर: बागबेड़ा थाना क्षेत्र के रेलवे कॉलोनी में जमीन कब्जा करने के मामले में आत्मदाह करने वाले रेलवे कर्मचारी सुनील पिल्लै की इलाज के दौरान मौत हो गई. सुनील ने आरपीएफ और लैंड डिपार्टमेंट पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था. आरपीएफ और रेलवे लैंड डिपार्टमेंट ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया. कहा कि मामले में विवादित लैंड का कोई लीज से संबंधित कागजात सुनील के पास नहीं था. रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार कार्रवाई की जायेगी.

ये भी पढ़ें: Jamshedpur News: आरपीएफ की कार्रवाई से परेशान रेलवे कर्मचारी ने की आत्मदाह की कोशिश, हालत गंभीर

सुनील बागबेड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत ट्रैफिक कॉलोनी में रहते थे. घटना के बाद टीएमएच अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सुनील पिल्ले ने खुद को जलाने के बाद आरपीएफ और लैंड डिपार्टमेंट पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था.

जानिए क्या है जमीन से जुड़ा पूरा मामला: रेल प्रशासन ने यह बताया कि वर्ष 1984 में उक्त खाली जमीन को रेलवे ने विक्रमा तिवारी को लीज पर दी थी. खाली जमीन के बगल में ही रेल कर्मचारी सुनील पिल्लै का क्वार्टर भी था. आरपीएफ पोस्ट प्रभारी संजय तिवारी ने बताया कि 1984 के बाद रेलवे की जमीन को लीज में देने का प्रावधान बंद हो चुका है. इधर 1984 के बाद विक्रमा तिवारी ने जमीन का सालाना शुल्क कुछ साल देने के बाद बंद कर दिया. रेलवे ने कई बार उन्हें नोटिस भी दिया. इधर विक्रमा तिवारी ने 2011 में उस जमीन पर ओम प्रकाश कसेरा नाम के व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी.

पत्नी ने भी की थी आत्मदाह की कोशिश: आरपीएफ पोस्ट प्रभारी ने बताया कि लीज की जमीन को किसी दूसरे को सिर्फ एक बार पावर ऑफ अटॉर्नी के रूप में दिया जा सकता है. इधर पावर ऑफ अटॉर्नी मिलने के बाद ओम प्रकाश ने किस्तों में लीज की जमीन का शुल्क जमा कर दिया. 2024 मार्च तक शुल्क जमा करने के बाद रेलवे बोर्ड ने उक्त जमीन को लीज धारी को कब्जा दिलाने के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद आरपीएफ की टीम लैंड डिपार्टमेंट और स्थानीय थाना उक्त जमीन को ओम प्रकाश कसेरा को कब्जा दिलाने के लिए पहुंची लेकिन सुनील कुमार पिल्लै के परिवार वालों ने विरोध करना शुरू कर दिया. इस दौरान सुनील की पत्नी ने खुद को जलाने का प्रयास किया. आरपीएफ की सूझबूझ से महिला और उसकी बेटी को आरपीएफ पोस्ट लाया गया और समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया.

सुनील के पास जमीन से संबंधित कागजत नहीं: आरपीएफ पोस्ट प्रभारी ने बताया कि इस दौरान सुनील पिल्लै से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. उसी दौरान यह पता चला कि उक्त जमीन के पास सुनील आत्मदाह करने का प्रयास कर रहा था. जख्मी हालत में उसके बेटे ने उसे रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया जहां से डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए टीएमएच रेफर कर दिया. आरपीएफ पोस्ट प्रभारी संजय तिवारी ने बताया कि इस पूरे मामले में सुनील के पास जमीन से संबंधित कोई कागजात नहीं थे. कहा कि रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद अब आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने विवादित ज़मीन से संबंधित सभी दस्तावेज को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया.

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जमशेदपुर: बागबेड़ा थाना क्षेत्र के रेलवे कॉलोनी में जमीन कब्जा करने के मामले में आत्मदाह करने वाले रेलवे कर्मचारी सुनील पिल्लै की इलाज के दौरान मौत हो गई. सुनील ने आरपीएफ और लैंड डिपार्टमेंट पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था. आरपीएफ और रेलवे लैंड डिपार्टमेंट ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया. कहा कि मामले में विवादित लैंड का कोई लीज से संबंधित कागजात सुनील के पास नहीं था. रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार कार्रवाई की जायेगी.

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सुनील बागबेड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत ट्रैफिक कॉलोनी में रहते थे. घटना के बाद टीएमएच अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सुनील पिल्ले ने खुद को जलाने के बाद आरपीएफ और लैंड डिपार्टमेंट पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था.

जानिए क्या है जमीन से जुड़ा पूरा मामला: रेल प्रशासन ने यह बताया कि वर्ष 1984 में उक्त खाली जमीन को रेलवे ने विक्रमा तिवारी को लीज पर दी थी. खाली जमीन के बगल में ही रेल कर्मचारी सुनील पिल्लै का क्वार्टर भी था. आरपीएफ पोस्ट प्रभारी संजय तिवारी ने बताया कि 1984 के बाद रेलवे की जमीन को लीज में देने का प्रावधान बंद हो चुका है. इधर 1984 के बाद विक्रमा तिवारी ने जमीन का सालाना शुल्क कुछ साल देने के बाद बंद कर दिया. रेलवे ने कई बार उन्हें नोटिस भी दिया. इधर विक्रमा तिवारी ने 2011 में उस जमीन पर ओम प्रकाश कसेरा नाम के व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी.

पत्नी ने भी की थी आत्मदाह की कोशिश: आरपीएफ पोस्ट प्रभारी ने बताया कि लीज की जमीन को किसी दूसरे को सिर्फ एक बार पावर ऑफ अटॉर्नी के रूप में दिया जा सकता है. इधर पावर ऑफ अटॉर्नी मिलने के बाद ओम प्रकाश ने किस्तों में लीज की जमीन का शुल्क जमा कर दिया. 2024 मार्च तक शुल्क जमा करने के बाद रेलवे बोर्ड ने उक्त जमीन को लीज धारी को कब्जा दिलाने के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद आरपीएफ की टीम लैंड डिपार्टमेंट और स्थानीय थाना उक्त जमीन को ओम प्रकाश कसेरा को कब्जा दिलाने के लिए पहुंची लेकिन सुनील कुमार पिल्लै के परिवार वालों ने विरोध करना शुरू कर दिया. इस दौरान सुनील की पत्नी ने खुद को जलाने का प्रयास किया. आरपीएफ की सूझबूझ से महिला और उसकी बेटी को आरपीएफ पोस्ट लाया गया और समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया.

सुनील के पास जमीन से संबंधित कागजत नहीं: आरपीएफ पोस्ट प्रभारी ने बताया कि इस दौरान सुनील पिल्लै से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. उसी दौरान यह पता चला कि उक्त जमीन के पास सुनील आत्मदाह करने का प्रयास कर रहा था. जख्मी हालत में उसके बेटे ने उसे रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया जहां से डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए टीएमएच रेफर कर दिया. आरपीएफ पोस्ट प्रभारी संजय तिवारी ने बताया कि इस पूरे मामले में सुनील के पास जमीन से संबंधित कोई कागजात नहीं थे. कहा कि रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद अब आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने विवादित ज़मीन से संबंधित सभी दस्तावेज को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया.

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