रांची/जमशेदपुर: करीब सात साल तक कानूनी लड़ाई और राजनीतिक संघर्ष के बाद 19 मई का दिन 3469 शिक्षकों की नियुक्ति का गवाह बना. रांची के खेलगांव स्टेडियम में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शिक्षकों के बीच नियुक्ति पद का वितरण किया. लेकिन सरकार के इस पहल पर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं. खासकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो यहां तक कह दिया कि यही मुख्यमंत्री हैं जो शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को हमारी सरकार का पाप कहते थे. लेकिन अब उसी का श्रेय ले रहे हैं. नियुक्त शिक्षकों को बधाई देते हुए रघुवर दास ने सुर्पीम कोर्ट के प्रति विशेष रूप से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं हुआ होता तो इन शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाती.
रघुवर दास ने कहा है कि सीएम हेमंत सोरेन की परेशानियों को समझते हैं. आज उन्हीं नियुक्तियों का श्रेय लेने के लिए विज्ञापन दे रहे हैं, जिसे रघुवर सरकार का पाप कहा करते थे. उन्होंने कहा कि रोजगार देना पाप नहीं पुण्य का काम होता है. आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से सीएम को मजबूर होकर नियुक्त पत्र बांटना पड़ा. जनता को ये जानने का हक है कि इन नियुक्तियों को रोकने के लिए हेमंत सरकार ने क्या-क्या प्रपंच किये हैं?
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आज शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्ति देखने को मिल रही है। कई नियुक्तियां, कई झंझावातों के बाद हुई लेकिन हमने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया। कोरोना महामारी आप सभी ने देखा। मूलभूत संरचनाओं के अभाव के बाद भी शांतिपूर्वक राज्य के लोगों को बचाने का काम किया गया।इसके बाद एक और महामारी ने… pic.twitter.com/9MaDYk1GVe
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) May 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) May 19, 2023आज शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्ति देखने को मिल रही है। कई नियुक्तियां, कई झंझावातों के बाद हुई लेकिन हमने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया। कोरोना महामारी आप सभी ने देखा। मूलभूत संरचनाओं के अभाव के बाद भी शांतिपूर्वक राज्य के लोगों को बचाने का काम किया गया।इसके बाद एक और महामारी ने… pic.twitter.com/9MaDYk1GVe
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रघुवर दास ने कहा कि हाईस्कूल के 17,786 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हमारी भाजपा सरकार ने 2016 में शुरू की थी. हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र मेरी सरकार दे चुकी थी. प्रक्रिया के अंतिम चरण में यह मामला न्यायालय में चला गया, जिसकी वजह से बाकी कि प्रक्रिया लंबित हो गयी. हेमंत सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले नियुक्तियों को ठंढे बस्ते में डाल दिया. न्यायालय में मजबूती से पक्ष रखने की बजाय मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार झारखंड के युवाओं को नौकरी नहीं मिले, इसके लिए प्रयास करती रही. इतना ही नहीं हेमंत सरकार ने मेरी सरकार में शुरू की गयी नियुक्तियों से संबंधित सभी विज्ञापनों को ही वापस लेने का आदेश दिया था. उन्हीं विज्ञापनों में पंचायत सचिव और लिपिक का भी विज्ञापन शामिल था. रघुवर दास ने आरोप लगाया कि सिर्फ इसलिए अड़चन डाला गया कि इन नियुक्तियों का श्रेय पूर्वर्ती सरकार को चला जाएगा.
उन्होंने कहा कि कि अभी तो हेमंत सरकार को पंचायत सचिव और लिपिकों को भी नियुक्ति पत्र देना पड़ेगा. हेमंत सरकार की लटकाओ, अटकाओ और भटकाओ की राजनीति की वजह से झारखंड के हजारों युवा पिछले कई सालों से अपने हक के लिए भटक रहे हैं. उन्होंने सीएम से पूछा कि सरकार की इस लापरवाही से युवाओं के जो कीमती साल बर्बाद हुए हैं, उसे हेमंत सोरेन वापस कर पाएंगे.