चाईबासा: कोरोना संकटकाल के दौर में आजकल बाजार में साग-सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के कई आम लोगों और आर्थिक रूप कमजोर तबके के लोगों के थाली से साग-सब्जी के रूप में पौष्टिक भोजन दूर होता जा रहा है, जबकि कोरोना से बचाव के लिये आजकल लोगों को पौष्टिक भोजन की सख्त जरूरत है. ऐसी परिस्थिति में प्रदान संस्था की ओर से लोगों को साग-सब्जी उगाने के लिये प्रोत्साहित कर इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
बीजारोपण की दी जानकारी
संस्था की ओर से चक्रधरपुर अनुमंडल के बंदगांव प्रखंड के लांडुपोदा पंचायत के तिलोपोदा गांव से इसकी शुरुआत की गई है. इस गांव के किसान और महिला समूह के 60 लोगों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रदान संस्था के एक्जिक्यूटिव दीपशिखा, तारक नाथ दास और मो. शहाबुद्दीन की ओर से किसानों को प्रायोगिक तौर पर जानकारी देते हुए जमीन तैयार करने से लेकर बीजरोपण की जानकारी दी जा रही है.
लोगों को मिलेगा रोजगार
प्रदान संस्था की ओर से ग्रामीण किसानों और महिला समूहों को उनके घर के पास मौजूद छोटे जगह में ही मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से विभिन्न प्रकार की साग-सब्जियां उगाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक में मात्र तीन डिसमिल जमीन में ही किसान कई प्रकार की साग-सब्जियां उगाएंगे. इसमें जमीन में प्लॉट और मेढ़ बनाकर मटर, पालक, मूली, बिन्स आदि सब्जियां लगाई जा रही हैं. साथ ही इस जमीन के ऊपर तार और प्लास्टिक वायर से मचान बनाकर ऊपर में करैला, खीरा समेत अन्य लत्तर प्रजाति की सब्जियां उगायी जाऐंगी. इससे किसानों को कम जमीन और कम खर्च पर अधिक सब्जियां मिलेंगी, जिससे ग्रामीण किसानों के भोजन से महंगी साग-सब्जी की कमी दूर होगी. साथ ही वे इसे बेचकर रोजगार से भी जुड़ सकते हैं.
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जैविक खाद और कीटनाशक भी बना रहे हैं ग्रामीण
प्रदान संस्था की ओर से गांव के किसानों और महिला समूहों को गांव-घर में मौजूद संसाधनों से जैविक खाद और कीटनाशक बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसे वे अपने खेती और बागवानी में उपयोग करेंगे. संस्था के प्रशिक्षण पाकर ग्रामीण किसान और महिला समूह के लोग गोबर, गोमूत्र, नीम की पत्तियां, मिर्च, तंबाकू पाउडर, लहसुन, महुआ, गुड़ आदि सामानों का उपयोग कर एक-दो सप्ताह के समय में जैविक खाद और कीटनाशक बना रहे हैं.
क्या कहते हैं प्रदान संस्था के कर्मी
प्रदान संस्था के एक्जिक्यूटिव मो. शहाबुद्दीन ने बताया कि मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक में मात्र दो-तीन डिसमिल जमीन में ही किसान कई प्रकार की साग-सब्जियां उगा पाएंगे. नीचे जमीन पर मटर, पालक, मूली, बिंस आदि सब्जियां और मचान बनाकर ऊपर में करैला, खीरा समेत अन्य लत्तर प्रजाति की सब्जियां उगायी जायेंगी, जिससे किसानों को कम जमीन में कम खर्च पर अधिक सब्जिया मिलेगी, जिससे ग्रामीण किसानों के भोजन से महंगी साग-सब्जी की कमी दूर होगी. साथ ही वे इसे बेचकर रोजगार से भी जुड़ सकते हैं.