जमशेदपुरः मोबाइल फोन आजकल लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. हर आयुवर्ग के हाथ में मोबाइल है, लेकिन जिस तरह मोबाइल के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित और अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी हैं. लौहनगरी में एक सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत बच्चे रोजाना पांच से 6 घंटों तक स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं.
जमशेदपुर की गिनती स्मार्ट सिटी में होती है और यहां के बच्चे भी स्मार्ट तो हो रहे हैं, लेकिन स्मार्टफोन की लत के कारण वह मानसिक रूप से रोगी बनते जा रहे हैं. मोबाइल फोन के अत्याधिक उपयोग से उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है.
स्मार्टफोन के इस्तेमाल से चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी
मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि एक सर्वे के अनुसार बच्चे अब प्ले ग्राउंड में खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यह सर्वे दसवीं और ग्यारहवीं के बच्चों पर किया गया है. डॉक्टर ने बताया कि बच्चों पर अध्य्यन करने पर पता चला कि उनका ध्यान ऑनलाइन एक्टिविटी में ज्यादा रहता है. इससे पढ़ाई, नींद और सर्वांगीण विकास पर असर पड़ता है. उन्होंने बताया कि शोध के मुताबिक 36 प्रतिशत बच्चों का स्मार्टफोन का इस्तेमाल के कारण उनके माता-पिता से अनबन होता है. इन बच्चों में चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी देखने को मिलती है.
मोबाइल के दायरे तक सीमित बच्चे
स्मार्टफोन के उपयोग के कारण बच्चों के माता-पिता भी खासा परेशान हैं. अभिभावकों का कहना है कि मोबाइल के एडिक्शन से बच्चे मैदान में नहीं जाते हैं. सारा दिन मोबाइल में सोशल एक्टिविटी करते हैं. इस वजह से शारीरिक विकास रुक जाता है. और मानसिक रूप से वह उसी मोबाइल के दायरे तक सीमित रह गए हैं.