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जमशेदपुरः बच्चे घंटों कर रहे स्मार्टफोन का इस्तेमाल, चिड़चिड़ेपन के हो रहे शिकार - ईटीवी भारत

जमशेदपुर में एक सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत बच्चे रोजाना पांच से छः घंटों तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. लौहनगरी के मनोचिकित्सक का कहना है कि इससे बच्चे मानसिक तौर पर रोगी बन चुके हैं.

स्मार्टफोन इस्तेमाल करते बच्चे
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Published : Jul 26, 2019, 11:48 PM IST

जमशेदपुरः मोबाइल फोन आजकल लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. हर आयुवर्ग के हाथ में मोबाइल है, लेकिन जिस तरह मोबाइल के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित और अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी हैं. लौहनगरी में एक सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत बच्चे रोजाना पांच से 6 घंटों तक स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं.

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जमशेदपुर की गिनती स्मार्ट सिटी में होती है और यहां के बच्चे भी स्मार्ट तो हो रहे हैं, लेकिन स्मार्टफोन की लत के कारण वह मानसिक रूप से रोगी बनते जा रहे हैं. मोबाइल फोन के अत्याधिक उपयोग से उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है.


स्मार्टफोन के इस्तेमाल से चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी


मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि एक सर्वे के अनुसार बच्चे अब प्ले ग्राउंड में खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यह सर्वे दसवीं और ग्यारहवीं के बच्चों पर किया गया है. डॉक्टर ने बताया कि बच्चों पर अध्य्यन करने पर पता चला कि उनका ध्यान ऑनलाइन एक्टिविटी में ज्यादा रहता है. इससे पढ़ाई, नींद और सर्वांगीण विकास पर असर पड़ता है. उन्होंने बताया कि शोध के मुताबिक 36 प्रतिशत बच्चों का स्मार्टफोन का इस्तेमाल के कारण उनके माता-पिता से अनबन होता है. इन बच्चों में चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी देखने को मिलती है.


मोबाइल के दायरे तक सीमित बच्चे


स्मार्टफोन के उपयोग के कारण बच्चों के माता-पिता भी खासा परेशान हैं. अभिभावकों का कहना है कि मोबाइल के एडिक्शन से बच्चे मैदान में नहीं जाते हैं. सारा दिन मोबाइल में सोशल एक्टिविटी करते हैं. इस वजह से शारीरिक विकास रुक जाता है. और मानसिक रूप से वह उसी मोबाइल के दायरे तक सीमित रह गए हैं.

जमशेदपुरः मोबाइल फोन आजकल लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. हर आयुवर्ग के हाथ में मोबाइल है, लेकिन जिस तरह मोबाइल के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित और अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी हैं. लौहनगरी में एक सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत बच्चे रोजाना पांच से 6 घंटों तक स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं.

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जमशेदपुर की गिनती स्मार्ट सिटी में होती है और यहां के बच्चे भी स्मार्ट तो हो रहे हैं, लेकिन स्मार्टफोन की लत के कारण वह मानसिक रूप से रोगी बनते जा रहे हैं. मोबाइल फोन के अत्याधिक उपयोग से उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है.


स्मार्टफोन के इस्तेमाल से चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी


मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि एक सर्वे के अनुसार बच्चे अब प्ले ग्राउंड में खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यह सर्वे दसवीं और ग्यारहवीं के बच्चों पर किया गया है. डॉक्टर ने बताया कि बच्चों पर अध्य्यन करने पर पता चला कि उनका ध्यान ऑनलाइन एक्टिविटी में ज्यादा रहता है. इससे पढ़ाई, नींद और सर्वांगीण विकास पर असर पड़ता है. उन्होंने बताया कि शोध के मुताबिक 36 प्रतिशत बच्चों का स्मार्टफोन का इस्तेमाल के कारण उनके माता-पिता से अनबन होता है. इन बच्चों में चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी देखने को मिलती है.


मोबाइल के दायरे तक सीमित बच्चे


स्मार्टफोन के उपयोग के कारण बच्चों के माता-पिता भी खासा परेशान हैं. अभिभावकों का कहना है कि मोबाइल के एडिक्शन से बच्चे मैदान में नहीं जाते हैं. सारा दिन मोबाइल में सोशल एक्टिविटी करते हैं. इस वजह से शारीरिक विकास रुक जाता है. और मानसिक रूप से वह उसी मोबाइल के दायरे तक सीमित रह गए हैं.

Intro:एंकर-- लौहनगरी में एक सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत बच्चे स्मार्टफ़ोन का उपयोग रोजाना पाँच से छः घंटों तक कर रहे हैं.स्मार्टफोन ने बच्चों को रोगी बना दिया है.लौहनगरी के मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय अग्रवाल की माने तो इससे बच्चे मानसिक तौर पर रोगी बन चुके हैं.पेश है यह रिपोर्ट।


Body:वीओ1--आधुनिकता की दौड़ में देश आगे तो बढ़ रहा है.पर कहीं-न कहीं इंटरनेट क्रांति का नाकारात्मक असर भी पड़ रहा है. स्मार्टफोन के कारण बच्चों का बचपन छीन गया है.जमशेदपुर की गिनती स्मार्ट सिटी में होती है. और यहां से बच्चे भी स्मार्ट तो हो रहे हैं लेकिन स्मार्टफोन की लत के कारण वह मानसिक रूप से रोगी बनते जा रहे हैं.एक सर्वे के अनुसार बच्चे अब प्ले ग्राउंड में खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इससे उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ता है.यह सर्वे क्लास 10 वीं व 11वीं के बच्चों पर किया गया है.इन बच्चों पर अध्य्यन करने पर पता चला ऑनलाइन एक्टिविटी में इनका ध्यान ज्यादा रहता है.इससे पढ़ाई,नींद व सम्पूर्ण विकास में असर पड़ता है.शोध के मुताबिक 36 प्रतिशत बच्चों में माता-पिता से अनबन होता है.स्मार्टफोन के कारण बच्चों में विटामिन डी की कमी तथा शारीरिक विकास भी रुक जाता है. इन बच्चों में चिड़चिड़ापन,एकाग्रता की कमी देखने को मिली है. बाइट--डॉक्टर संजय अग्रवाल(मनोचिकित्सक) वीओ2--वहीं स्मार्टफोन के उपयोग के कारण बच्चों के माता-पिता भी इस बात से खासा परेशान हैं. अभिभावकों का कहना है कि इस एडिक्शन के कारण बच्चे मैदान में नहीं जाते हैं. सारा दिन मोबाइल में सोशल एक्टिविटी करते हैं. इस वजह से शारीरिक विकास रुक जाता है. और मानसिक रूप से वह उसी मोबाइल के दायरे तक सीमित रह गए हैं.इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन जैसी समस्या हो रही है। बाइट--डॉक्टर नेहा तिवारी(अभिभावक) वीओ3--वहीं लौहनगरी के कई युवा छात्रों में मोबाइल को लेकर बेचैनी सी है.सोते जागते मोबाइल आदतों में शुमार है.मोबाइल की लत किसी नशे से कम नहीं है.इसे प्रयोग नहीं करने पर शरीर में बेचैनी सी लगती है।युवाओं पर स्मार्ट फ़ोन की तस्दीक यह दिखाती है कि रोजमर्रा के काम जैसा मोबाइल का प्रयोग किया जा रहा है। बाइट--प्रतीक(छात्र)


Conclusion:बहरहाल आधुनिक जमाने में इंटरनेट क्रांति ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है.जहाँ बच्चे स्मार्टफोन के कारण अपने माता-पिता से दूर होते जा रहे हैं.प्रतिस्पर्धा के दौर में स्मार्टफोन ने बच्चों को बीमार बना दिया है.
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