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भूले-भटके नौनिहालों का जीवन सवांरता अनाथालय, स्मार्ट क्लासेज से मुहैया कराई जा रही शिक्षा - जमशेदपुर में स्मार्ट क्लासेज से शिक्षा दी जा रही

कोरोना वायरस के कारण बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस चल रही है ताकि पढ़ाई पर विपरीत असर न पड़े. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित मदर टेरेसा अनाथालय में. जहां बच्चे स्मार्ट क्लासेस के सहारे तालीम हासिल कर रहे हैं. जिससे इन भूले-भटके नौनिहालों का जीवन संवर रहा हैं.

Mother Teresa Orphanage
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Published : Aug 13, 2020, 8:43 PM IST

जमशेदपुर: कोरोना वायरस के कारण बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस चल रही है. ताकि छात्रों की पढ़ाई पर विपरीत असर न पड़े. टीचर्स बच्चों को प्रोजेक्ट दे रहे हैं, साथ ही उन्हें रचनात्मक कार्यों से भी जोड़ा जा रहा है. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. जहां जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित मदर टेरेसा अनाथालय में बच्चे स्मार्ट क्लासेस के सहारे तालीम हासिल कर रहे हैं. जिससे इन भूले-भटके नौनिहालों का जीवन संवर रहा हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

39 छात्रों का भरण पोषण

मदर टेरेसा अनाथालय की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी. यहां 39 छात्र और छात्राओं का भरण-पोषण किया जाता है. इनमें से कई नौनिहालों के छात्र और छात्राओं के माता-पिता जन्म देते ही गुजर चुके हैं, तो वहीं कई नौनिहाल छात्र-छात्राओं के माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया था, ऐसे बच्चों के जीवन को संवारने के लिए मदर टेरेसा प्रबंधन ने उनके तालीम के लिए ग्रुप का बंटवारा कर शिक्षा देते हैं.

ऑनलाइल क्लास से प्राप्त कर रहें शिक्षा

छोटे बच्चों को बड़े बच्चे शिक्षा देते हैं, तो वहीं बड़े बच्चों को उच्च तालीम के छात्र-छात्राएं शिक्षा देते हैं. इसके साथ ही बच्चों के लिए प्रोजेक्ट के सहारे शिक्षा दी जाती है. इनके लिए नियमित रूप से सुबह दो घंटे के बाद शाम दो घंटे ही तालीम दी जा रही है. साथ ही नवजात छात्र-छात्राओं के लिए प्रबंधन की और से ऑनलाइन खेल का भी आयोजन किया जाता है.

ये भी पढ़ें- पुल पर खून से लिख डाला PUBG, बिखरे हैं खून के छींटे

सहायता राशि

मदर टेरेसा अनाथालय के प्रबंधक ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अनुदान राशि नहीं दी जाती है. दोस्तों और सगे संबंधियों के सहयोग से इसे चलाया जा रहा है. पत्नी और पति अपनी कमाई का आधा हिस्सा गरीब और अनाथ बच्चों के लिए हमेशा देते हैं. जिसके सहयोग से अनाथालय चलाया जा रहा है. मदर टेरेसा के संस्थापक हरपाल सिंह पेशे से शिक्षक हैं. वह नवजातों को स्वतः ही पढ़ाते हैं.

ऑनलाइन शिक्षा ने सब कुछ बदल दिया

मदर टेरेसा में रहने वाले छात्राओं का कहना है. ऑनलाइन शिक्षा ने सब कुछ बदल सा दिया है. सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए हमें ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जा रहा है. लेकिन स्कूल में चलने वाली पढ़ाई से बच्चे ज्यादा सीख पाते हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के कारण देश भर के स्कूल और कॉलेज बंद हुए, लाखों लोगों की जान चली गई. लाखों लोगों का रोजगार छिन गया. लेकिन आपदा की इस स्थिति में मदर टेरेसा अनाथालय बहुत ही उम्दा कार्य कर रहा है.

काबिले तारीफ है कार्य

पीएम मोदी ने अपने मन की बात में कहा था कि ये आपदा को अवसर में बदलने का सबसे सही समय है. मदर टेरेसा अनाथालय इस महामारी के समय में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा कर, इस बात को चरितार्थ करता नजर आ रहा है. जो काबिले तारीफ है.

जमशेदपुर: कोरोना वायरस के कारण बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस चल रही है. ताकि छात्रों की पढ़ाई पर विपरीत असर न पड़े. टीचर्स बच्चों को प्रोजेक्ट दे रहे हैं, साथ ही उन्हें रचनात्मक कार्यों से भी जोड़ा जा रहा है. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. जहां जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित मदर टेरेसा अनाथालय में बच्चे स्मार्ट क्लासेस के सहारे तालीम हासिल कर रहे हैं. जिससे इन भूले-भटके नौनिहालों का जीवन संवर रहा हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

39 छात्रों का भरण पोषण

मदर टेरेसा अनाथालय की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी. यहां 39 छात्र और छात्राओं का भरण-पोषण किया जाता है. इनमें से कई नौनिहालों के छात्र और छात्राओं के माता-पिता जन्म देते ही गुजर चुके हैं, तो वहीं कई नौनिहाल छात्र-छात्राओं के माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया था, ऐसे बच्चों के जीवन को संवारने के लिए मदर टेरेसा प्रबंधन ने उनके तालीम के लिए ग्रुप का बंटवारा कर शिक्षा देते हैं.

ऑनलाइल क्लास से प्राप्त कर रहें शिक्षा

छोटे बच्चों को बड़े बच्चे शिक्षा देते हैं, तो वहीं बड़े बच्चों को उच्च तालीम के छात्र-छात्राएं शिक्षा देते हैं. इसके साथ ही बच्चों के लिए प्रोजेक्ट के सहारे शिक्षा दी जाती है. इनके लिए नियमित रूप से सुबह दो घंटे के बाद शाम दो घंटे ही तालीम दी जा रही है. साथ ही नवजात छात्र-छात्राओं के लिए प्रबंधन की और से ऑनलाइन खेल का भी आयोजन किया जाता है.

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सहायता राशि

मदर टेरेसा अनाथालय के प्रबंधक ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अनुदान राशि नहीं दी जाती है. दोस्तों और सगे संबंधियों के सहयोग से इसे चलाया जा रहा है. पत्नी और पति अपनी कमाई का आधा हिस्सा गरीब और अनाथ बच्चों के लिए हमेशा देते हैं. जिसके सहयोग से अनाथालय चलाया जा रहा है. मदर टेरेसा के संस्थापक हरपाल सिंह पेशे से शिक्षक हैं. वह नवजातों को स्वतः ही पढ़ाते हैं.

ऑनलाइन शिक्षा ने सब कुछ बदल दिया

मदर टेरेसा में रहने वाले छात्राओं का कहना है. ऑनलाइन शिक्षा ने सब कुछ बदल सा दिया है. सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए हमें ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जा रहा है. लेकिन स्कूल में चलने वाली पढ़ाई से बच्चे ज्यादा सीख पाते हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के कारण देश भर के स्कूल और कॉलेज बंद हुए, लाखों लोगों की जान चली गई. लाखों लोगों का रोजगार छिन गया. लेकिन आपदा की इस स्थिति में मदर टेरेसा अनाथालय बहुत ही उम्दा कार्य कर रहा है.

काबिले तारीफ है कार्य

पीएम मोदी ने अपने मन की बात में कहा था कि ये आपदा को अवसर में बदलने का सबसे सही समय है. मदर टेरेसा अनाथालय इस महामारी के समय में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा कर, इस बात को चरितार्थ करता नजर आ रहा है. जो काबिले तारीफ है.

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