जमशेदपुर: मंत्री बन्ना गुप्ता के वायरल वीडियो मामले को लेकर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने एसएसपी जमशेदपुर को एक बार फिर पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से विधायक सरयू राय ने जानकारी लेनी चाही है कि अभी तक इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की. पत्र के माध्यम से उन्होंने आशंका जाहिर की है कि उन्हें समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को जमशेदपुर पुलिस ने न्यायालय में भेज दिया है. इस बारे में पुलिस ने जांच को सार्वजनिक नहीं किया है.
उन्होंने कहा है कि क्योंकि यह वीडियो राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से संबंधित है, जो जमशेदपुर पश्चिम से विधायक हैं और इस मामले की प्राथमिकी भी उन्हीं के द्वारा पुलिस को भेजे गए एक पत्र के आधार पर दायर की गयी है, इसलिए जांच के आधार स्पष्ट होना जरूरी है.
विधायक सरयू राय ने कई अहम बिंदुओं पर दिलाया ध्यान: विधायक सरयू राय ने एसएसपी को लिखे पत्र में कई बिंदुओं पर ध्यान दिलाया है. उन्होंने एसएसपी को लिखे पत्र के माध्यम से दावा किया है कि उस 21 सेकेंड के वीडियो रिकाॅर्डिंग में कोई काट-छांट की गई हो, ऐसा नहीं लग रहा है. उन्होंने इसके साथ ही कई सवाल पूछे हैं.
उन्होंने कहा कि वीडियो जारी कर सफाई देने वाली महिला से पुलिस को पूछना चाहिए कि वह कौन है? कहां रहती है? उसका पति कौन है? उसने अपने पति के साथ यह वीडियो चैट कब किया है? क्या वह अपने पति के साथ अक्सर ऐसी चैटिंग करती रहती है? इस चैटिंग में वह यह नहीं बता रही है कि उसने अपने पति के साथ हुई चैटिंग में अपनी ओर से जिस मोबाईल फोन का इस्तेमाल किया है उसका नंबर क्या है? और उसके पति ने चैटिंग में जिस मोबाइल का इस्तेमाल किया है उसका नंबर क्या है? वह फोन कहां है? इसके बारे में इस महिला से पुलिस को पूछताछ करने की आवश्यकता है.
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'महिला के बारे में पुलिस दे आधिकारिक जानकारी': उन्होंने पुलिस से सवाल किया कि इस महिला की वीडियो रिकाॅर्डिंग सोशल मीडिया पर आए 2 दिन हो गये, लेकिन अभी तक आधिकारिक जानकारी नहीं है कि पुलिस ने उस महिला की तलाश की है या नहीं? यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि जमशेदपुर पुलिस ने इस महिला के पति की खोजबीन की है या नहीं? पुलिस को इसकी जानकारी देनी चाहिए.
उन्होंने पुलिस से कहा कि मंत्री बन्ना गुप्ता और वीडियो जारी करने वाली महिला और उसके पति से पूछताछ करनी चाहिए. अगर उनके बयान में अंतर पाया जाता है तो मंत्री, महिला और उसके पति को आमने सामने बैठाकर पूछताछ की जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मंत्री के प्रभाव को देखते हुए सुझाव दिया है कि इस मामले की जांच पूर्वी सिंहभूम जिला पुलिस के अधिकारियों से कराने के बदले राज्य सरकार के कम से कम आईजी स्तर के पदाधिकारी से करानी चाहिए.