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जमशेदपुरः सूने मकान, खाली दुकान, आर्थिक तंगी में मकान मालिक और होटल व्यवसायी - आर्थिक तंगी में होटल व्यवसायी

वैश्विक महामारी कोरोना ने मकान-दुकान सबको सूना कर दिया. झारखंड का औद्योगिक शहर जमशेदपुर में करीब 70% आबादी बाहरी मजदूरों की है, जो लॉकडाउन में अब अपने घर लौट चुके हैं. जिससे पूर्वी सिंहभूम जिला के शहरी इलाकों में किरायदार के रूप में रहने वालों में तकरीबन पचास फीसदी की कमी आ गई है. साथ ही लॉज, होस्टल, होटल और पीजी के व्यवसाय को गहरा धक्का लगा है. अब इससे जुड़े लोग आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

Landlord and hotelier in financial crisis in Jamshedpur
आर्थिक तंगी में मकान मालिक और होटल व्यवसायी
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Published : Jul 30, 2020, 6:13 PM IST

जमशेदपुरः वैश्विक महामारी कोरोना ने गुलजार गलियों को वीराना बना दिया है. एक वक्त था जब औद्योगिक नगरी जमशेदपुर भागती-दौड़ती नजर आती थी. हजारों लोग इन संस्थान, मकानों, दुकानों से अपना पेट पालते थे. धीरे-धीरे कोरोना का प्रकोप बढ़ा और पूरा देश लॉकाडउन की चपेट में आ गया. जिससे करीब 70 फीसदी बाहरी मजदूरों ने शहर छोड़ दिया, हजारों स्टूडेंट्स ने हॉस्टल, लॉज, मकान और पीजी छोड़ कर अपने घर लौट गए. जिससे दुकानें बंद हो गईं, मकान खाली होने लगे, स्कूल बंद हुए तो लॉज और हॉस्टल खाली हो गए. जिससे होटल, लॉज और मकान मालिकों के सामने आर्थिक संकट आ गया है.

देखें पूरी खबर

वीरान हुई साकची

जमशेदपुर का व्यवसायिक केन्द्र साकची पूरी तरह से वीरान हो गया. यहां करीब 3 से 4 हजार विद्यार्थियों का बसेरा था. शहर के काशीडीह, आमबगान में जहां रौनक रहती थी. लेकिन आज वहां सबकुछ खाली-खाली है.

ठप पड़ा व्यवसाय

शहर में बिस्टुपुर, साकची, मानगो, डिमना, गुरुद्वारा रोड इलाके में सबसे ज्यादा हॉस्टल हैं. लॉकडाउन की वजह से आज पूरा व्यवसाय ठप पड़ गया है. जिस स्टूडेंट्स से हॉस्टल और किराए के मकान चलते थे. आज सारे मकान और हॉस्टल खाली पड़े हैं और करीब 4 महीनों से किराया नहीं लग पाया है.

तंगी के दौर में मकान मालिक

इस लॉकडाउन में किराए से अपनी आजीविका चलाने वाले मकान मालिक अब आर्थिक तंगी के दौर में है. लॉकडाउन और कोरोना की वजह से उनके मकान करीब 4 महीनों से खाली है. खाली मकान में अब कोई भी नया किराएदार नहीं आ रहे हैं. कोरोना से संक्रमण की वजह से नए किराएदार नहीं मिल रहे हैं. जिससे उन्हें अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है.

जमशेदपुरः वैश्विक महामारी कोरोना ने गुलजार गलियों को वीराना बना दिया है. एक वक्त था जब औद्योगिक नगरी जमशेदपुर भागती-दौड़ती नजर आती थी. हजारों लोग इन संस्थान, मकानों, दुकानों से अपना पेट पालते थे. धीरे-धीरे कोरोना का प्रकोप बढ़ा और पूरा देश लॉकाडउन की चपेट में आ गया. जिससे करीब 70 फीसदी बाहरी मजदूरों ने शहर छोड़ दिया, हजारों स्टूडेंट्स ने हॉस्टल, लॉज, मकान और पीजी छोड़ कर अपने घर लौट गए. जिससे दुकानें बंद हो गईं, मकान खाली होने लगे, स्कूल बंद हुए तो लॉज और हॉस्टल खाली हो गए. जिससे होटल, लॉज और मकान मालिकों के सामने आर्थिक संकट आ गया है.

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वीरान हुई साकची

जमशेदपुर का व्यवसायिक केन्द्र साकची पूरी तरह से वीरान हो गया. यहां करीब 3 से 4 हजार विद्यार्थियों का बसेरा था. शहर के काशीडीह, आमबगान में जहां रौनक रहती थी. लेकिन आज वहां सबकुछ खाली-खाली है.

ठप पड़ा व्यवसाय

शहर में बिस्टुपुर, साकची, मानगो, डिमना, गुरुद्वारा रोड इलाके में सबसे ज्यादा हॉस्टल हैं. लॉकडाउन की वजह से आज पूरा व्यवसाय ठप पड़ गया है. जिस स्टूडेंट्स से हॉस्टल और किराए के मकान चलते थे. आज सारे मकान और हॉस्टल खाली पड़े हैं और करीब 4 महीनों से किराया नहीं लग पाया है.

तंगी के दौर में मकान मालिक

इस लॉकडाउन में किराए से अपनी आजीविका चलाने वाले मकान मालिक अब आर्थिक तंगी के दौर में है. लॉकडाउन और कोरोना की वजह से उनके मकान करीब 4 महीनों से खाली है. खाली मकान में अब कोई भी नया किराएदार नहीं आ रहे हैं. कोरोना से संक्रमण की वजह से नए किराएदार नहीं मिल रहे हैं. जिससे उन्हें अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है.

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