जमशेदपुरः कोरोना वायरस में सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन के समय रिम्स निदेशक सहित प्रदेश के 35 आईपीएस अफसरों के तबादला का मुद्दा अब गरमाने लगा है. इस पर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरना भी शुरू कर दिया है. वहीं राजनैतिक बयानबाजी तेज हो गई है.
इसे लेकर बहारागोड़ा के पूर्व विधायक व भाजपा नेता कुणाल षाडंगी ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में देश वैश्विक महामारी से गुजर रहा है तो क्या जरुरत आन पड़ी थी कि आईपीएस की स्थानांतरण की.
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ने सभी जिलों को चेक नाका को सील कर दिया है और दूसरे जिले से शहर आने वाले हर लोगो को होम क्वारंटाइन में रहने कहा जा रहा है तो क्या आईपीएस अधिकारी होम क्वारंटाइन में जाएंगे.
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वहीं विपक्ष के आरोप पर सत्ता पक्ष ने पलटवार किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बहारागोड़ा के विधायक समीर महंती ने कहा कि मुख्यमंत्री का निर्णय राज्य की जनता के लिए लिया गया है. इसे विपक्ष को मुद्दा नहीं बनना चाहिए, बल्कि सहयोग करना चाहिए.
आईपीएस के स्थानांतरण के बहाने ही सही विपक्ष को सत्तापक्ष को घेरने एक अच्छा मौका मिल गया है. अब देखना यह है कि विपक्ष इस मामले को कितना गंभीरतापूर्वक लेती है.