जमशेदपुरः प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपने विधानसभा क्षेत्र के सोनारी दोमुहानी स्वर्णरेखा घाट का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा आरती की तर्ज पर दोमुहानी घाट पर स्वर्णरेखा आरती की जाएगी और मरीन ड्राइव को पर्यटन स्थल बनाया जाएगा, जिसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है.
जमशेदपुर दौरे पर आए जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा के कांग्रेस विधायक सह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपने विधानसभा क्षेत्र के सोनारी कागल नगर स्थित दो नदियों का संगम स्थल दोमुहानी घाट पहुंचे. उन्होंने घाट का जायजा लिया और यहां गंगा आरती की तर्ज पर स्वर्णरेखा आरती की योजना बनाई है. इस दौरान पूर्वी सिंहभूम उपायुक्त विजया जाधव, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर, जुस्को के अधिकारी मौजूद रहे. दोमुहानी घाट का निरीक्षण करने के बाद मंत्री बन्ना गुप्ता मरीन ड्राइव का निरीक्षण किया और साफ-सफाई को लेकर दिशा निर्देश भी दिए.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि वर्तमान हालात में ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए पर्यावरण को बचाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है, जिसके लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि गंगा आरती की तर्ज पर अब सोनारी दोमुहानी घाट पर स्वर्णरेखा आरती की जाएगी, इसके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, स्वर्णरेखा नदी से हमें पीने का पानी मिलता है लेकिन यह नदी धीरे धीरे अपना अस्तित्व खो रही है, जिसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि स्वर्णरेखा आरती मंडप को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे इसकी ख्याति विश्वस्तर पर पहुंचे साथ ही यहां लोगों को रोजगार मिले. स्वर्णरेखा नदी की आरती के जरिये लोगों को इसकी आस्था के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे इसका संरक्षण हो सके.
स्वास्थ्य मंत्री मरीन ड्राइव का निरीक्षण करने के बाद कहा कि मरीन ड्राइव के किनारे फलदार पेड़ लगाए जाएंगे, बैठने की व्यवस्था के साथ रौशनी की व्यवस्था की जाएगी. नदी में डेंजर जोन का सीमांकन किया जाएगा. इसके साथ ही नदी में मूर्ति विसर्जन के लिए जगह चिन्हित कर बैरिकेडिंग की जाएगी और विसर्जन के बाद पोकलेन के जरिये अवशिष्ट पदार्थों को पानी से बाहर निकाला जाएगा और गड्ढे में गाड़ा जाएगा. नदी में दूषित जल ना आ सके इसके लिए फ्लैट और मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूक कर उसपर अमल करवाया जाएगा. उन्होंने मूर्तिकारों से अपील किया है कि मूर्ति बनाने के दौरान ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें, जिससे विसर्जन के बाद नदी का जल सुरक्षित रह सके.