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TATA Workers Union High School के बच्चे बता रहे 'दिल' की बात, जानें पूरा माजरा - प्लास्टिक बोतल रीसाइक्लिंग

TATA Workers Union High School के बच्चे आजकल अनोखे अंदाज में दिल की बात बता रहे हैं. इससे टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय कदमा के बच्चों की चारों तरफ सराहना हो रही है. दिल की बात से इन बच्चों के दिमाग की तमाम उलझनें दूर हो रहीं हैं और बच्चे विज्ञान की कठिन गुत्थियों को आसानी से समझ रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

TATA Workers Union High School
टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय
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Published : Jan 2, 2022, 6:08 AM IST

जमशेदपुर: बड़ी सोच बड़े संसाधनों की मोहताज नहीं है. यह बात हमें सिखा रहे हैं TATA Workers Union High School के बच्चे. जमशेदपुर के कदमा में टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय के बच्चे अपने साथियों को अनोखे अंदाज में दिल और शरीर के अन्य अंगों की बात बता रहे हैं.

दरअसल, छात्र-छात्राओं ने टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय को ही साइंस पार्क में बदल दिया है. इस साइंस पार्क में यूज्ड बोतल से विभिन्न मॉडल बनाए हैं, जिसको देखकर टीचर की मदद से बच्चे साइंस की गुत्थियों को समझ रहे हैं. इन बच्चों ने अपनी सोच और लगन से बेकार प्लास्टिक बोतलों से स्कूल की दीवार बना न सिर्फ स्कूल परिसर को सुंदर और सुरक्षित बना दिया है, बल्कि यूज्ड बोतलों का दोबारा इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण की भी पहल की है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-सरकारी स्कूलों के लिए 'मॉडल' है ये स्कूल, शिक्षकों के अथक प्रयास से राज्यभर में नाम

विद्यार्थियों के साइंस पार्क में आप विज्ञान के गूढ़ विषयों को आसानी से मॉडल के जरिये समझ सकते हैं. बच्चों की यह पहल आसपास चर्चा का विषय बनी हुई है. स्कूल की विज्ञान की शिक्षक शिप्रा मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि कोरोना काल के लाॅक डाउन के लंबे अंतराल के बाद जब विद्यालय परिसर खुला तो परिसर में सैकड़ों की संख्या में बेकार प्लास्टिक बॉटल्स बिखरी थीं.

पहले तो प्रबंधन ने इसे बाहर फेंकने का मन बनाया. बाद में सोचा कि इस बोतल का दोबारा उपयोग कर कुछ नया किया जाए. इसके बाद विद्यार्थियों के साथ मिलकर बोतलों को एक जगह एकत्रित किया और 2500 यूज्ड बोतलों से दीवार खड़ी कर दी और 100 मीटर लंबा गार्डन तैयार किया. इसकी फेंसिंग कराई और पार्क में पौधे लगाए . इससे बेकार प्लास्टिक का दोबारा उपयोग कर पर्यावरण के नुकसान को बढ़ाने से रोक लिया.

TATA Workers Union High School
प्लास्टिक की यूज्ड बोतल से बनाया साइंस पार्क

विद्यार्थियों ने बनाया प्लास्टिक बोतल का मॉडल

टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय की छात्रा शकुंतला प्रमाणिक का कहना है कि गणित के कुछ विषय बगैर मॉडल के समझने में दिक्कत आती थी. इसलिए टीचर की मदद से मानव के विभिन्न अंगों के मॉडल बनाए, इससे उनकी कार्यप्रणाली को समझना आसान हो गया. इसके अलावा फूल-पौधे लगाने से बाग भी सुंदर हो गया. स्कूल की प्रधानाचार्य सेतेंग केरकेट्टा ने स्कूल के छात्र-छात्राओं की तारीफ की है.उन्होंने बताया कि बच्चों ने करीब 17 सौ बोतलों से दीवार बनाई है तो करीब 700 बोतलों की मदद से साइंस पार्क बनाया है.

इसमें आंख, पाचन तंत्र, रक्तवाहिनी तंत्र, श्वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र के मॉडल बनाए गए हैं. इसके अलावा बोतलों की मदद से पार्क में प्रवेश करते समय एक प्रतीकात्मक आदर्श विद्यार्थी का पुतला भी बनाया गया है, जिसे स्कूल के ड्रेस पहना कर गेट पर रखा गया है. यह सभी विद्यार्थियों का स्वागत करता है और विद्यार्थी संस्कार अपनाने का संदेश देता है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में सरकारी स्कूलों को बनाया जाएगा मॉडल, विद्यार्थियों को मिलेगी बेहतर शिक्षा

TATA Workers Union High School
प्लास्टिक के बोतल को रिसाइकिल करने का संदेश दे रहे

पार्क में बोतल की बेंच

स्कूल की छात्रा सीमा पातर ने बताया कि स्कूल के गेट को भी बोतलों से बनाया गया है. पार्क में बैठने के लिए एक बेंच है, उसमें भी बोतल का प्रयोग किया गया है. वैसे इस प्रकार के पार्क के लिए कम से कम 2 से ढाई लाख रुपया की लागत आती है लेकिन स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से बच्चों ने करीब 7 महीनों में अपनी मेहनत से तैयार किया है. इस पार्क को तैयार करने में नौवीं और दसवीं के छात्र-छात्राओं का योगदान है. यहां बच्चे ही पेड़ पौधों की देखभाल भी करते हैं.

जमशेदपुर: बड़ी सोच बड़े संसाधनों की मोहताज नहीं है. यह बात हमें सिखा रहे हैं TATA Workers Union High School के बच्चे. जमशेदपुर के कदमा में टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय के बच्चे अपने साथियों को अनोखे अंदाज में दिल और शरीर के अन्य अंगों की बात बता रहे हैं.

दरअसल, छात्र-छात्राओं ने टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय को ही साइंस पार्क में बदल दिया है. इस साइंस पार्क में यूज्ड बोतल से विभिन्न मॉडल बनाए हैं, जिसको देखकर टीचर की मदद से बच्चे साइंस की गुत्थियों को समझ रहे हैं. इन बच्चों ने अपनी सोच और लगन से बेकार प्लास्टिक बोतलों से स्कूल की दीवार बना न सिर्फ स्कूल परिसर को सुंदर और सुरक्षित बना दिया है, बल्कि यूज्ड बोतलों का दोबारा इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण की भी पहल की है.

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विद्यार्थियों के साइंस पार्क में आप विज्ञान के गूढ़ विषयों को आसानी से मॉडल के जरिये समझ सकते हैं. बच्चों की यह पहल आसपास चर्चा का विषय बनी हुई है. स्कूल की विज्ञान की शिक्षक शिप्रा मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि कोरोना काल के लाॅक डाउन के लंबे अंतराल के बाद जब विद्यालय परिसर खुला तो परिसर में सैकड़ों की संख्या में बेकार प्लास्टिक बॉटल्स बिखरी थीं.

पहले तो प्रबंधन ने इसे बाहर फेंकने का मन बनाया. बाद में सोचा कि इस बोतल का दोबारा उपयोग कर कुछ नया किया जाए. इसके बाद विद्यार्थियों के साथ मिलकर बोतलों को एक जगह एकत्रित किया और 2500 यूज्ड बोतलों से दीवार खड़ी कर दी और 100 मीटर लंबा गार्डन तैयार किया. इसकी फेंसिंग कराई और पार्क में पौधे लगाए . इससे बेकार प्लास्टिक का दोबारा उपयोग कर पर्यावरण के नुकसान को बढ़ाने से रोक लिया.

TATA Workers Union High School
प्लास्टिक की यूज्ड बोतल से बनाया साइंस पार्क

विद्यार्थियों ने बनाया प्लास्टिक बोतल का मॉडल

टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय की छात्रा शकुंतला प्रमाणिक का कहना है कि गणित के कुछ विषय बगैर मॉडल के समझने में दिक्कत आती थी. इसलिए टीचर की मदद से मानव के विभिन्न अंगों के मॉडल बनाए, इससे उनकी कार्यप्रणाली को समझना आसान हो गया. इसके अलावा फूल-पौधे लगाने से बाग भी सुंदर हो गया. स्कूल की प्रधानाचार्य सेतेंग केरकेट्टा ने स्कूल के छात्र-छात्राओं की तारीफ की है.उन्होंने बताया कि बच्चों ने करीब 17 सौ बोतलों से दीवार बनाई है तो करीब 700 बोतलों की मदद से साइंस पार्क बनाया है.

इसमें आंख, पाचन तंत्र, रक्तवाहिनी तंत्र, श्वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र के मॉडल बनाए गए हैं. इसके अलावा बोतलों की मदद से पार्क में प्रवेश करते समय एक प्रतीकात्मक आदर्श विद्यार्थी का पुतला भी बनाया गया है, जिसे स्कूल के ड्रेस पहना कर गेट पर रखा गया है. यह सभी विद्यार्थियों का स्वागत करता है और विद्यार्थी संस्कार अपनाने का संदेश देता है.

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TATA Workers Union High School
प्लास्टिक के बोतल को रिसाइकिल करने का संदेश दे रहे

पार्क में बोतल की बेंच

स्कूल की छात्रा सीमा पातर ने बताया कि स्कूल के गेट को भी बोतलों से बनाया गया है. पार्क में बैठने के लिए एक बेंच है, उसमें भी बोतल का प्रयोग किया गया है. वैसे इस प्रकार के पार्क के लिए कम से कम 2 से ढाई लाख रुपया की लागत आती है लेकिन स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से बच्चों ने करीब 7 महीनों में अपनी मेहनत से तैयार किया है. इस पार्क को तैयार करने में नौवीं और दसवीं के छात्र-छात्राओं का योगदान है. यहां बच्चे ही पेड़ पौधों की देखभाल भी करते हैं.

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