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अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने 1971 युद्ध के वीर सैनिकों को किया सम्मानित, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

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Published : Dec 16, 2022, 8:55 PM IST

जमशेदपुर में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की ओर से 1971 में मिली जीत की खुशी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान युद्ध के वीर सैनिकों को सम्मानित किया गया (Honored The Brave Soldiers Of 1971 War)और शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.

Honored The Brave Soldiers Of 1971 War
Honored The Brave Soldiers Of 1971 War

जमशेदपुरः जमशेदपुर में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की ओर से 16 दिसंबर 1971 में मिली जीत की खुशी में गोलमुरी पुलिस लाइन स्थित वॉर मेमोरियल पर 1971 युद्ध के वीर सैनिकों को सम्मानित किया (Honored The Brave Soldiers Of 1971 War) गया. साथ ही युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. मौके पर पूर्व सैनिकों ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को देश के इतिहास को समझना होगा. आज का दिन हमारे देश के लिए गर्व करने का दिन है. इस दौरान अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर रणविजय सिंह और आर्मी कैंप सोनारी के कमांडिंग ऑफिसर के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

ये भी पढे़ं-श्रीनाथ स्कूल में विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों को डीसी ने किया सम्मानित, स्कूली बच्चों ने किया कारगिल युद्ध का चित्रांकन

शहीद जवानों को याद कर श्रद्धा-सुमन अर्पित कीः सबसे पहले आर्मी कैंप के अतिथियों ने शहीद जवानों को याद कर श्रद्धा-सुमन अर्पित (Tribute To Martyrs Of 1971 War) की. इसके बाद भारत माता की प्रतिमा, दिवंगत फील्ड मार्शल जनरल सैम मानिक शॉ और अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वीएम पाटिल को भी संगठन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने बारी-बारी से श्रद्धा-सुमन अर्पित की.

1971 युद्ध में शामिल वीरों के किया गया सम्मानितः मौके पर 1971 युद्ध के सम्मानित वीरों में थल सेना से रमेश सिंह, बलजीत सिंह, चंद्रमा सिंह, आरएन स्वैन, कोमल दुबे, सोनेलाल और भारतीय नौसेना से रामजी दुबे को ब्रिगेडियर रणविजय सिंह ने पुष्प और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित(Honored The Brave Soldiers Of 1971 War) किया. इस दौरान सभी वीरों ने अपनी पलटन की युद्ध के दौरान की जिम्मेदारी और उनके अदम्य साहस और वीरता की कहानी अपने जुबानी सुनाई.

93000 पाक सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पणः सैनिकों ने बताया कि इस युद्ध की घोषणा तीन दिसंबर 1971 और विजय 16 दिसंबर 1971 हुई थी. मगर यह लड़ाई छह महीने से लड़ी गई थी. विश्व युद्धों के बाद यह पहली लड़ाई थी जिसमें 93000 पाक सैनिकों ने भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम के आगे अपने अस्त्र-शस्त्र और सैन्य टुकड़ियों के साथ कमांडिंग इन चीफ जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष ढाका यूनिवर्सिटी में आत्मसमर्पण किया था. भारतीय युद्ध इतिहास में पिछले वर्ष इस दिन को स्वर्णिम विजय दिवस के रूप में मनाया गया था. आज का पावन दिन 51वां विजय दिवस के रूप में मनाया गया.

देश के इतिहास को जानें युवाः पूर्व सैनिक सेवा परिषद का कहना है आज युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए देश के इतिहास को समझने की जरूरत है. आज का दिन सिर्फ सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का दिन है.

जमशेदपुरः जमशेदपुर में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की ओर से 16 दिसंबर 1971 में मिली जीत की खुशी में गोलमुरी पुलिस लाइन स्थित वॉर मेमोरियल पर 1971 युद्ध के वीर सैनिकों को सम्मानित किया (Honored The Brave Soldiers Of 1971 War) गया. साथ ही युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. मौके पर पूर्व सैनिकों ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को देश के इतिहास को समझना होगा. आज का दिन हमारे देश के लिए गर्व करने का दिन है. इस दौरान अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर रणविजय सिंह और आर्मी कैंप सोनारी के कमांडिंग ऑफिसर के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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शहीद जवानों को याद कर श्रद्धा-सुमन अर्पित कीः सबसे पहले आर्मी कैंप के अतिथियों ने शहीद जवानों को याद कर श्रद्धा-सुमन अर्पित (Tribute To Martyrs Of 1971 War) की. इसके बाद भारत माता की प्रतिमा, दिवंगत फील्ड मार्शल जनरल सैम मानिक शॉ और अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वीएम पाटिल को भी संगठन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने बारी-बारी से श्रद्धा-सुमन अर्पित की.

1971 युद्ध में शामिल वीरों के किया गया सम्मानितः मौके पर 1971 युद्ध के सम्मानित वीरों में थल सेना से रमेश सिंह, बलजीत सिंह, चंद्रमा सिंह, आरएन स्वैन, कोमल दुबे, सोनेलाल और भारतीय नौसेना से रामजी दुबे को ब्रिगेडियर रणविजय सिंह ने पुष्प और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित(Honored The Brave Soldiers Of 1971 War) किया. इस दौरान सभी वीरों ने अपनी पलटन की युद्ध के दौरान की जिम्मेदारी और उनके अदम्य साहस और वीरता की कहानी अपने जुबानी सुनाई.

93000 पाक सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पणः सैनिकों ने बताया कि इस युद्ध की घोषणा तीन दिसंबर 1971 और विजय 16 दिसंबर 1971 हुई थी. मगर यह लड़ाई छह महीने से लड़ी गई थी. विश्व युद्धों के बाद यह पहली लड़ाई थी जिसमें 93000 पाक सैनिकों ने भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम के आगे अपने अस्त्र-शस्त्र और सैन्य टुकड़ियों के साथ कमांडिंग इन चीफ जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष ढाका यूनिवर्सिटी में आत्मसमर्पण किया था. भारतीय युद्ध इतिहास में पिछले वर्ष इस दिन को स्वर्णिम विजय दिवस के रूप में मनाया गया था. आज का पावन दिन 51वां विजय दिवस के रूप में मनाया गया.

देश के इतिहास को जानें युवाः पूर्व सैनिक सेवा परिषद का कहना है आज युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए देश के इतिहास को समझने की जरूरत है. आज का दिन सिर्फ सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का दिन है.

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