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पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर पहुंचे ढाकी बाजानेवाले कलाकार, कहा- शहरों में मिलते हैं अच्छे पैसे

जमशेदपुर में नवरात्रि के अवसर पर पश्चिम बंगाल के 24 परगना से ढाकी बाजानेवाले आए हैं. अपने सुसज्जित ढाकी को बजाकर पूजा कमेटी के सदस्यों को आकर्षित करते हैं. जिसके बाद सदस्य ढाकी बाजक को बुक कर पूजा पंडाल ले जाते हैं.

जमशेदपुर पहुंचे बंगाल के ढाकी बाजक
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Published : Oct 4, 2019, 11:06 AM IST

जमशेदपुरः दुर्गा पूजा के अवसर पर बंगाल से बड़ी तादाद में ढाकी वाले आते हैं. इस मौके पर टाटानगर रेलवे स्टेशन परिसर का दृश्य अद्भुद रहता है. ढाकी बाजक अलग-अलग तरीकों से सुसज्जित ढाक को अपने अंदाज में बजाकर ढाक बुक करने वाले पूजा कमेटी के सदस्यों को आक्रषित करते हैं.

देखें पूरी खबर

लोगों का कहना है कि ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा मायके आती हैं, इस दौरान उनके अभिनंदन में ढाकी बजाया जाता है. ढाक के बजने से ही देवी मां के आगमन का पता चल जाता है. ढाकी वाले बताते हैं कि साल भर वो खेती करते हैं और पूजा के दौरान अपनी रोजी रोटी को बढ़ाने के लिए अलग राज्यों में जाते हैं. ये लोग विजयादशमी के दूसरे दिन वापस अपने घर लौट जाते है.

ये भी पढ़ें- शारदीय नवरात्र में रजरप्पा मंदिर की सजावट, फूलों के श्रृंगार से कारीगरों ने मंदिर को बनाया और भी भव्य

दरअसल, बंगाल में ढाकी बाजक को ज्यादा पैसे नहीं मिल पाते हैं. इसलिए वह दूसरे राज्यों में पूजा कमिटी के साथ दर तय करते हैं, जिसके बाद ढाकी वाले अपने ढाक के साथ पूजा पंडाल जाते हैं. ढाकी बुक करने की कीमत 15 हजार से शुरू होती है. इधर पूजा कमिटी के सदस्य अपने पसंद के ढाक बजाने वाले को बुक करते हैं. ढाक बुक करने आए सुखवंत सिंह ने बताया कि बंगाल का ढाक अच्छा होता है जिसे ये ढाक बाजक बहतरीन तरीके से बजाते है और पूजा पंडाल में डाक की गूंज से देवी मां को खुश करते हैं.

जमशेदपुरः दुर्गा पूजा के अवसर पर बंगाल से बड़ी तादाद में ढाकी वाले आते हैं. इस मौके पर टाटानगर रेलवे स्टेशन परिसर का दृश्य अद्भुद रहता है. ढाकी बाजक अलग-अलग तरीकों से सुसज्जित ढाक को अपने अंदाज में बजाकर ढाक बुक करने वाले पूजा कमेटी के सदस्यों को आक्रषित करते हैं.

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लोगों का कहना है कि ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा मायके आती हैं, इस दौरान उनके अभिनंदन में ढाकी बजाया जाता है. ढाक के बजने से ही देवी मां के आगमन का पता चल जाता है. ढाकी वाले बताते हैं कि साल भर वो खेती करते हैं और पूजा के दौरान अपनी रोजी रोटी को बढ़ाने के लिए अलग राज्यों में जाते हैं. ये लोग विजयादशमी के दूसरे दिन वापस अपने घर लौट जाते है.

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दरअसल, बंगाल में ढाकी बाजक को ज्यादा पैसे नहीं मिल पाते हैं. इसलिए वह दूसरे राज्यों में पूजा कमिटी के साथ दर तय करते हैं, जिसके बाद ढाकी वाले अपने ढाक के साथ पूजा पंडाल जाते हैं. ढाकी बुक करने की कीमत 15 हजार से शुरू होती है. इधर पूजा कमिटी के सदस्य अपने पसंद के ढाक बजाने वाले को बुक करते हैं. ढाक बुक करने आए सुखवंत सिंह ने बताया कि बंगाल का ढाक अच्छा होता है जिसे ये ढाक बाजक बहतरीन तरीके से बजाते है और पूजा पंडाल में डाक की गूंज से देवी मां को खुश करते हैं.

Intro:जमशेदपुर।

दुर्गा पूजा में ढाकी का अलग महत्व होता है ।झारखंड से सटे बंगाल से बड़ी तादाद में ढाकीवाले जमशेदपुर टाटानगर स्टेशन आते है स्टेशन परिसर में अलग अलग तरीके के ढाकी को अपने अंदाज में बजाकर पूजा कमिटी को आकर्षित करए है ।ढाकी वालों का कहना है सालों भर वो खेती करते है पूजा के मौके पर शहर आते है यहां बंगाल से ज़्यादा पैसा मिलता है।


Body:जमशेदपुर टाटानगर रेलवे स्टेशन परिसर में दुर्गा पूजा के अवसर पर बंगाल के बिभिन्न ज़िला से बड़ी तादाद में ढाकी वाले आते है ।स्टेशन परिसर में ढाकी वालों का मेला लग जाता है ।
अलग अलग तरीके के सुसज़्ज़ित ढाक को अपने अंदाज में बजाकर ढाकी वाले ढाक बुक करने आये पूजा कमिटी के सदस्यों को आकर्षित करए है।
पूजा कमिटी और ढाकी वालों के बीच दर तय होता है उसके बाद ढाकी वाले अपने ढाक के साथ पूजा पंडाल जाते है ।
ढाकी बुक करने का कीमत 15 हज़ार से शुरू हित है ।ढाकी बजाने वाले के सदस्य बढ़ाये जाने पर कीमत में बढ़ जाता है।
मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा अपने पूरे परिवार के साथ मायके आती है इस दौरान उनके अभिनंदन में ढाकी बजाया जाता है।
ढाक के बजने से ही माँ के आगमन का पता चल जाता है ।

ढाकी वाले बताते है कि सालों भर वो खेती करए है पूजा के दौरान शहर आते है क्योंकि बंगाल से यहां ज़्यादा पैसा यहां मिलता है ।

बाईट to बाईट उमाकांत गोराई ,दुलाल ढाकी बजाने वाला

ढाकी वाले झूम झूम कर ढाकी बजाते है ।
इधर पूजा कमिटी के सदस्य अपने पसन्द के ढाक बजाने वाले को बुक करते है।ढाक बुक करने आये सुखवंत सिंह ने बताया कि बंगाल का ढाक अच्छा होता है जो दमदार होता है।इस बार दर कुछ ज़्यादा है ।
बाईट सुखवंत सिंह सदस्य पूजा कमिटी


Conclusion:बंगाल के बेलदा,झाड़ग्राम,मेदिनीपुर,चन्द्रकोना,24 परगना केशपुर से ढाकी वाले दूसरे शहर आते है ।जो विजयादशमी के दूसरे दिन वापस अपने घर लौट जाते है।
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