जमशेदपुर: झारखंड में बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर पुलिस काफी चिंतित है. सूबे की पुलिस इस दिशा में नई कार्य योजना बना रही है. पूर्वी सिंहभूम में पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एटीएम कार्डधारियों को फोन करके साइबर अपराधियों ने लोगों को अपना शिकार बनाया है.
पूर्वी सिंहभूम के कई इलाकों में पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. जिसमें एटीएम कार्डधारियों को फोन कर शातिर अपराधी लोगों से पासवर्ड और ओटीपी पूछकर उनकी गाढ़ी कमाई पर अपने हाथ साफ किये हैं. इस घटना में लोग जानकारी के अभाव में लगातार ठगी के शिकार हो रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से लेकर दिसंबर 2019 तक लगभग करोड़ों रुपए साइबर अपराधियों ने छल करके बैंक धारकों से उड़ाए हैं. लेकिन साइबर अपराधियों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है.
साइबर अपराधों का लगातार बढ़ रहा ग्राफ
साल 2020 के जनवरी महीने के शुरुआती 14 दिनों में 20 से अधिक साइबर अपराध की घटनाएं हुई हैं. लेकिन इन मामलों में पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं. जनवरी महीने में दर्ज साइबर ठगी के इन मामलों में ठगी और फेसबुक से संबंधित मामले भी शामिल हैं. लेकिन इन अपराधों के सरगना तक पहुंचने का रास्ता पुलिस नहीं खोज पा रही है. साइबर अपराध का शिकार आए दिन कोई न कोई हो रहा है. आंकड़ों की बात करें तो खातों से रकम निकालने में साइबर अपराधी इतने माहिर हैं कि एक साथ दो-दो लाख रुपए भी उड़ा ले रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में साइबर थाना क्षेत्र से लाख रुपए से अधिक राशि निकालने के कई मामले सामने आ चुका है.
तकनीकी रूप से कमजोर है साइबर पुलिस
बिस्टुपुर स्थित साइबर थाने में वर्तमान में 3 इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी के साथ 4 एसआई हैं. जहां दो कंप्यूटर के सहारे साइबर अपराधियों की खोजबीन हो रही है. जबकि साइबर थाने में तकनीकी रूप से उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को उचित संख्या में नियुक्त किया जाना चाहिए. वर्तमान में बिस्टुपुर थाने में कई ऐसे कर्मचारी भी कार्यरत हैं, जिन्हें तकनीकी रूप से समझ नहीं है.
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कैसे मामले आ रहे हैं सामने
जमशेदपुर और आसपास के क्षेत्रों में फेसबुक हैक, युवती की तस्वीर से छेड़छाड़, व्हाट्सएप हैक, खाते से पैसा निकासी, एटीएम कार्ड के नवीकरण के नाम पर ओटीपी पूछना और लॉटरी के नाम पर पैसे की निकासी जैसे मामले पुलिस के पास लगातार आ रहे हैं. आकंड़ों के मुताबिक साल 2019 के जनवरी में 18, फरवरी में 14, मार्च में 16, अप्रैल में 11, मई महीने में 18, जून महीने में 21, जुलाई महीने में 16, अगस्त महीने में 31, सितंबर में 24, अक्टूबर महीने में 35, नवंबर महीने में 24 और दिसंबर में 16 केस रजिस्टर्ड किए गए हैं. वहीं, कई ऐसे मामले भी होते हैं, जिनमें प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाती है और वह रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो पाता है.