जमशेदपुर: जिले में इन दिनों बीमार होना मना है. कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. अस्पतालों में बेड की कमी होने के कारण कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल की चौखट पर दम तोड़ रहे हैं. वेस्ट बोकारो के टाटा स्टील माइनिंग से जमशेदपुर आए एक कर्मचारी को सुगर और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल में तीन अगस्त को भर्ती किया गया था. मरीज को तीन अगस्त और चार अगस्त को अस्पताल परिसर में रखा गया था. बेड फुल होने के कारण पीड़ित कर्मचारी के परिजनों को फोन पर जानकारी दी गई. अस्पताल में बने कोविड वार्ड के अंदर नहीं ले जाया गया. देखते ही देखते कर्मचारी ने दम तोड़ दिया.
केस नंबर-2
जमशेदपुर के गोलमुरी थाना क्षेत्र के रिफ्यूजी कॉलोनी के रहने वाले एक व्यक्ति को सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर एक अगस्त की शाम बिस्टुपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण मरीज को सीसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया. परिजनों के मुताबिक अस्पताल परिसर से दो अगस्त की शाम मरीज के भर्ती होने की सूचना दी गई. तीन अगस्त शाम चार बजे अस्पताल परिसर से परिजनों को संपर्क कर बताया गया कि मरीज की मौत हो चुकी है. परिजनों ने बताया कि अस्पताल परिसर से संपर्क किए गए कांटेक्ट नंबर पर दोबारा बात नहीं हो पाई.
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बता दें कि कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला पश्चिम सिंहभूम के तीनों जिलों की तकरीबन 50 लाख 67 हजार आबादी है. जिसके मुकाबले कोल्हान के बड़े अस्पताल में शुमार एमजीएम, टीएमएच, मर्सी, ब्रह्मानंद, इन सभी अस्पतालों में कोविड वार्ड बनाए गए हैं. जिसके कारण अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों के लिए चिकित्सा की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.
ताले लटके अस्पतालों में
जमशेदपुर सीमावर्ती से सटे सरायकेला-खरसावां जिले के तामुलिया स्थित ब्रह्मानंद अस्पताल के पांच डॉक्टर सहित आठ नर्स और बारह कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हैं. इसके बाद से तमुलिया अस्पताल में आए हुए सामान्य मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं लिया जा रहा है. वहीं कोरोना की जांच यहां नहीं कि जा रही है. तकरीबन दो सौ बेड वाले अस्पताल में सामान्य मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार एमजीएम अस्पताल में तकरीबन साठ से ज्यादा डॉक्टर और नर्स कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इसके कारण सामान्य रोगियों में डॉक्टर कम दिलचस्पी ले रहे हैं. इस अस्पताल में कोल्हान के बड़े केस रेफर भी किए जाते हैं. डेडिकेटेड सौ बेड वाले कोविड अस्पताल में बेड से ज्यादा मरीजों के कारण यहां पर भी सुविधा नाम मात्र की है.
मेडिका अस्पताल
बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल कुछ दिनों पहले बंद हो चुका है. डेढ़ सौ बेड वाले अस्पताल में किडनी, न्यूरो, मेडिसीन, के रोगियों का इलाज होता था. अस्पताल बंद होने के कारण यहां आने-जाने वाले मरीजों को चिकित्सा की सुविधा नहीं मिल पा रही है.
लाइफ लाइन नर्सिंग होम
साकची स्थित लाइफ लाइन नर्सिंग होम के एक दर्जन कर्मचारी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. इसके बाद से इस अस्पताल को बंद कर दिया गया है.
स्मृति सेवा सदन
डिमना रोड स्थित स्मृति सेवा सदन के एक डॉक्टर कोरोना से संक्रमित मिले थे. इसके बाद से अस्पताल को बंद कर दिया गया है.
मर्सी अस्पताल
सिदगोड़ा स्थित मर्सी अस्पताल के डॉक्टर सहित नर्स कर्मचारी कोरोना से संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद अस्पताल को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था. हालांकि कुछ मरीजों को यहां भर्ती कराया जा रहा है.
टाटा मुख्य अस्पताल
बिस्टुपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल में बीस से ज्यादा डॉक्टर कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक टाटा मुख्य अस्पताल में संक्रमण ज्यादा फैल चुका है. यहां पर भी आम जनों की बीमारी के लिए विशेष सुविधा नहीं की गई है.
जमशेदपुर में कोरोना केस
बता दें कि 1 अगस्त शनिवार को भी जिले में दो लोगों की मौत हो गई थी. जमशेदपुर में कुल कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 2608 है. इसमें 805 कोरोना मरीज स्वस्थ हो गए हैं. जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या 1803 है. वहीं, जिले में अभी तक कोरोना वायरस से 52 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं, झारखंड की बात करें तो गुरुवार को 734 कोरोना के नए मामले सामने आए हैं. अब राज्य में संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 15,864 पहुंच गया है. इनमें कुल 6,682 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं. वहीं, राज्य में कोरोना से अब तक 145 लोगों की मौत हो चुकी है. अब तक राज्य में कुल 35,8,316 लोगों की कोरोना जांच कराई गई है. अगर बात करें झारखंड में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट की तो यह 41.85% है. वहीं, राज्य में मृत्यु दर 0.92% हो गई है.