जमशेदपुरः शहर में रक्तदान करने वालों की कमी नहीं रही है. किसी भी विशेष परिस्थिति में यहां के लोग रक्तदान करने के लिए तैयार रहते है. वहीं, किसी स्वयंसेवी संस्था की ओर से शहर में हर वक्त रक्तदान शिविर लगाया जाता रहा है, लेकिन कोरोना सक्रंमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लाॅकडाउन के कारण रक्तदान शिविर में कमी आई है. शहर के अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं हो रहा है, लेकिन छोटे स्तर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसमें भी सिर्फ गिने-चुने लोग ही हिस्सा ले रहे हैं. रक्तदान शिविर सिर्फ ब्लड बैंक तक सिमट कर रह गया है. जहां पहले प्रतिदिन ढाई सौ से तीन सौ यूनिट सग्रंह होता था. अब वह घटकर डेढ सौ से एक सौ अस्सी हो गया है. प्रतिमाह साढे़ आठ थिलेसिमीया पीड़ित मरीजों के लिए सत्रह सौ यूनिट प्रतिमाह जरूरत होती है.
60 से 65 हजार यूनिट रक्त की आवश्यकता
शहर में चार जगह पर ब्लड बैक स्थित है, जिसमें एमजीएम अस्पताल, सदर अस्पताल सरकारी, ब्लड बैंक और ब्राह्रामनंद अस्पताल है. पूर्वी सिहभूम जिले में सबसे बड़ा रक्तदान शिविर रेड क्रॉस की ओर से लगाया जाता है. रेड क्रॉस से मिली जानकारी अनुसार लाॅकडाउन के कारण 25 मार्च से लेकर 8 जून तक बाहर के सारे कैंप स्थगित हो गए, लेकिन केवल जमशेदपुर ब्लड बैंक में शिविर का आयोजन किया गया. जिसकी वजह से रक्तदान में गिरावट आई है. पिछले वर्ष अप्रैल से दिसबंर 2019 तक जहां 3500 यूनिट रक्तदान रेड क्रास ने किया था. वहीं इस वर्ष यह 2800 यूनिट के आस-पास है. अब धीरे-धीरे सभी स्थिति सामान्य हो रही है. उसी अनुसार रक्तदान शिविरों का आयोजन भी सामान्य हो रहा है. इस संबंध में रेड क्रॉस के मानद महासचिव विजय सिंह ने बताया कि जमशेदपुर में साल भर में 60 से 65 हजार यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन इतना रक्त कैंप के माध्यम से नहीं हो पाता है. इस बार तो कोविड-19 के कारण रक्तदाताओं में कमी आई है.
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रक्तदान शिविर का आयोजन
वहीं, जमशेदपुर के कई स्वंयसेवी संगठन समय-समय पर रक्तदान करते आ रहे है. कोविड-19 के दौर में भी ब्लड बैंक में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. हालांकि बड़े स्तर पर तो रक्तदान नहीं किया जा रहा है, लेकिन छोटे स्तर पर रक्तदान शिविर हो रहे है. कई समाजिक संगठनों ने प्रत्येक माह अंतिम रविवार को शिविर लगाया, ताकि ब्लड की कमी न हो. इस सबंध में एक स्वंयसेवी संस्था के संचालक सुनील कुमार ने बताया कि वे काफी समय से रक्तदान शिविर का आयोजन अपने संस्था के माध्यम से कराते आ रहे हैं. चुकी कोरोना काल में एक डर के कारण रक्त दाताओं की कमी तो हुई है, लेकिन फिर भी जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को रक्तदान करने की अपील कर रहे है.
प्लाज्मा ब्लड की आवश्यकता
कोविड-19 में सबसे ज्यादा प्लाज्मा ब्लड की आवश्यकता होती है और वह भी ऐसे लोगों का प्लाज्मा जो कोरोना सक्रंमण से ठीक हुए हो. वैसे लोगों को खोजने में भी काफी परेशानी होती है. रक्तदाताओं का कहना है कि वे लोग खुशी से रक्तदान करते है. कई लोग तो ऐसे है कि हर तीन माह में रक्तदान करते हैं और वैसे लोगों को इंतजार रहता है कि रक्तदान शिविर कहां लगाया जाता है.