जमशेदपुर: देश मे कोरोना काल (Corona Period) के दौरान आम जनता के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. कई महीनों तक छोटे-बड़े सभी व्यवसाय बंद (Business Closed) रहे, जिसके व्यवसायियों को काफी नुकसान हुआ है. कोरोना के कारण शादी विवाह का कार्यक्रम (Wedding Ceremony) भी या तो बंद हैं या फिर लिमिटेड लोगों को शामिल होने की अनुमति है. वहीं सभी तरह के बड़े आयोजन भी इस दौर में नहीं हो रहे हैं, जिसके कारण लोगों को स्वादिष्ट खाना खिलाने वाले कैटरर भुखमरी के कगार पर हैं. जमशेदपुर जैसे शहर में सौ करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है.
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देश में मार्च 2020 से अब तक कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. कई ऐसे कारोबार जो पूरी तरह ठप हो गए हैं, जिसके कारण उस रोजगार से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय होते जा रही है. रोजगार नहीं मिलने के कारण शादी-विवाह या किसी बड़े आयोजन में स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाने वाले कैटरर खुद भुखमरी के कगार पर हैं. कोरोना काल में सरकार के गाइडलाइन के तहत किसी भी तरह के आयोजन को सीमित दायरे में किए जाने के कारण जमशेदपुर में कैटरिंग का कारोबार पूरी तरह प्रभावित हुआ है. कैटरिंग से जुड़े कारीगर, सप्लाई ब्यॉय सभी की आर्थिक स्थिति दयनीय है.
जमशेदपुर में 400 कैटरर
जमशेदपुर में कैटरिंग सेवा देने वाले छोटे बड़े 400 के लगभग कैटरर हैं, जिनमें 60 से ज्यादा बड़े कैटरर है. कोरोना काल से पहले एक कैटरर को साल भर में 40 के लगभग कैटरिंग का ऑर्डर मिलता था. जबकि कोरोना काल में काम पूरी तरह बंद है. एक कैटरर से बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार जुड़ा है, जिसमें मुख्य कुक, कारीगर, हेल्पर, वेटर, रेजा इसके अलावा भी कई लोग इस रोजगार से जुड़े हैं.
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कारीगरों का दर
- बड़े कुक का दर 1500 से 2000
- सामान्य कारीगर का दर 1200
- वेटर 500
- रेजा 400
सरकार से मदद की गुहार
25 साल से कैटरिंग का काम करने वाले कैटरर राजू दत्ता बताते हैं, कि एक कैटरिंग में मैन्यू के आधार पर ऑर्डर लिया जाता है, जिसमें खाना स्वादिष्ट बनाना एक चुनौती रहता है, क्योंकि ऑर्डर देने वालों को संतुष्ट करना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया, कि सामान्य दिनों में एक सीजन में 40 के लगभग काम मिलता था, जबकि साल भर में सौ से अधिक ऑर्डर मिलता था, लेकिन 2020 से अब तक काम बंद है, 2020 के नवंबर- दिसंबर में सरकार से कुछ छूट मिली थी, लेकिन काम नहीं हो पाया, लोगों में संक्रमण फैलने को लेकर डर है. उन्होंने बताया, कि जमशेदपुर में दो साल में सौ करोड़ के लगभग कैटरिंग के कारोबार पर असर पड़ा है, इस कारोबार में बाहर के कारीगर भी हैं, जिन्हें थोड़ा कम ही सही, लेकिन पैसे का भुगतान करना पड़ता है, जिससे वो काम ना छोड़ सके. कैटरिंग से जुड़े कलाकार अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
समय के साथ इंसान की जीवन में बदलाव
समय के साथ-साथ बदलती व्यवस्था में आम जनता के लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है. कोरोना से पहले की अपेक्षा अब किसी भी आयोजन में खाने के मैन्यू में बदलाव हुआ है. बदलते मैन्यू के साथ कैटरिंग का सामान भी बदला है. बाजारों में कंपटीशन के कारण कैटरिंग में नए-नए डिजाइन के बर्तन लेने के लिए कई कैटररों लोन लेकर अपने कारोबार को सजाया है, लेकिन आज उन्हें बैंक के ईएमआई चुकाने के लिए घर से पैसे जमा करने पड़ रहे हैं.
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लोगों को स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाने वाले बेरोजगार
बड़े कैटरर के अलावा कैटरिंग की सेवा देने वालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती खुद के परिवार के साथ उनके कर्मचारियों के परिवार का भरण पोषण करना है. कर्मचारी के बल पर ही कारोबार टिका हुआ है. कैटरिंग का काम करने वाले सुनील कुमार बताते हैं, कि लोगों को स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाने वाले हम आज खुद ही खाने को मोहताज हैं, साल भर में 10 लाख के लगभग का कारोबार होता था, इधर कोरोना काल में दस हजार का भी काम नहीं मिल रहा है.
कोरोना काल में 10 हजार से अधिक कारीगर प्रभावित
कैटरिंग कारोबार से कई कारोबार भी जुड़ा है, जो कोरोना काल में प्रभावित हुआ है. जमशेदपुर में कोरोना काल मे अब तक 10 हजार से अधिक कारीगर प्रभावित हुए हैं, जिनमे अधिकतर बंगाल और ओडिशा के रहने वाले हैं. काम बंद होने के कारण कई कारीगर जमशेदपुर शहर छोड़कर वापस अपने गांव चले गए हैं. जबकि कई कारीगरों ने छोटे होटलों में काम करना शुरू कर दिया है. कारीगर लव प्रसाद बताते हैं, कि कैटरिंग के काम मे अच्छी कमाई थी, लेकिन अब कोरोना काल में काम नहीं मिलने से होटल में काम कर परिवार चला रहे हैं. जमशेदपुर में बड़े कैटरर की संख्या 60 से अधिक है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कुल 400 के लगभग कैटरर हैं. 10 हजार से अधिक कारीगर, वेटर, रेजा इस कारोबार से जुड़े हैं.