जमशेदपुर: पूर्व विधायक सह प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान उन्होंने हेमंत सरकार के ओर से पूर्व की रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द करने के निर्णय के खिलाफ असंतोष जाहिर करते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. कुणाल षाड़ंगी ने अन्य कई बिंदुओं से भी राज्यपाल को अवगत कराते हुए युवाओं और राज्यहित में त्वरित हस्तक्षेप का आग्रह किया.
कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल से आग्रह किया कि झारखंड सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने के संबंंध आदेश जारी किए जायें. उन्होंने कहा कि नई नीति के अभाव में पुरानी नियोजन नीति को रद्द कर देना राजनीतिक निर्णय है, जिससे हजारों योग्य और चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है. बातचीत के क्रम में पूर्व विधायक ने राज्यपाल से कहा कि जब पूर्व के विज्ञापन और नियोजन नीति के आधार पर सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं तो उसी विज्ञापन से हुई उसी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के खिलाफ यह शासकीय अन्याय क्यों? अगर नियोजन नीति गलत थी तो राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में उसके पक्ष में बात क्यों रखी? फिर हाइ कोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज क्यों किया?
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कुणाल षाडंगी का हेमंत सरकार पर आरोप
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सरकार बनने के बाद से महीनों तक कोर्ट से बिना स्टे ऑर्डर लिए नौ महीनों तक बहाली रोकी गई है और सालभर के बाद पूरी सूचि खत्म कर दी गई, यह सरासर अमानवीय निर्णय है, 11-13 जिलों के इतिहास, संस्कृत और संगीत के शिक्षक, PRT शिक्षक, पंचायत सचिव अभ्यर्थी, रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के हजारों अभ्यर्थी, जिनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होकर बस ज्वाइनिंग बाकी थी, उनके साथ यह अन्याय हुआ है, जबकि उसी परीक्षा को पास कर कई लोग नौकरी कर रहे हैं, कैबिनेट सचिव छठी जेपीएससी का कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2016 बता कर गुमराह कर रहे हैं, जबकि वास्तविक रूप से वह 1 अगस्त 2010 था, सातवीं जेपीएससी का कट ऑफ उस हिसाब से अगस्त 2011 होना चाहिए, उसे 2016 रखा गया है, पिछले बार सातवीं जेपीएससी की जो विज्ञापन निकली थी उसमें भी कट ऑफ का वर्ष 2011 निर्धारित था.