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जमशेदपुर: कोरोना काल में छलका बैंड वालों का दर्द, दाने-दाने को हुए मोहताज - जमशेदपुर में कोरोना के कारण बैंड वालों को आर्थिक समस्या

जमशेदपुर शहर में बैंड बाजा वालों को कोरोना के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इनका कहना है कि इस समस्या पर एमएचए की गाइडलाइन में बैंड बाजा का कहीं जिक्र नहीं है, ना ही कोई निर्देश दिया गया है. जिसके कारण उन्हें आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

band baja
बैंड बाजा
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Published : Jun 14, 2020, 10:39 PM IST

जमशेदपुर: कोविड-19 को लेकर देश में जारी लॉकडाउन के पांचवें चरण में सरकार ने कुछ सेवाएं शुरू करने की छुट दी है. एमएचए की गाइडलाइन में शादी-विवाह में सिर्फ पचास लोगों को शामिल करने को कहा गया है, लेकिन इसमें बैंड बाजा वालों को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है, ना ही कोई निर्देश जारी किया गया है. जिसके कारण बैंड वलों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है और वे अब भुखमरी के कगार पर है.

देखें पूरी खबर

बैंड बाजा की हैं सौ दुकानें

जानकारी के अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिला में 100 के करीब बैंड बाजा बुक करने की दुकानें हैं. जिनमें शहरी क्षेत्र में 60 के करीब दुकानें हैं. इन सभी बैंड बाजा वालों के पास काम करने वाले कलाकार बिहार के दरभंगा और समस्तीपुर के रहने वाले हैं. इसके अलावा लाइट और कैसियो के लिए स्थानीय स्तर के लोग काम करते हैं.

एक लगन में होती थी, दो से तीन लाख की कमाई

बैंड के पूरे सेट में कुल 25 की संख्या रहती है, जिनमें 11 बैंड वाले, 10 लाइट वाले, एक कैसियो बजाने वाला, दो ऑटो चालक, एक हेल्पर रहता है. पूरे एक सेट की बुकिंग 18 से 20 हजार रुपये में होती है. सिर्फ बैंड बाजा की बुकिंग 8 से 9 हजार रूपये में होती है. बैंड वालों का कहना है कि उन्हें एक लगन में 2 से 3 लाख तक कि कमाई हो जाती है.

अंतिम बार गुंजी है 11 मार्च को बैंड की धुन

लॉकडाउन से पूर्व 11 मार्च के लग्न के दिन शहर में अंतिम बार बैंड बाजा की धुन सुनने को मिली है और उस के बाद आज तक बंद है. 11 मार्च के बाद लगन में बुकिंग के सभी ऑर्डर कैंसिल कर दिया गया है और अब आगामी लगन के लिए भी बुकिंग नहीं हो रही है.

क्या है बैंड मालिक कहना

सुभाष बैंड के मालिक कीस्टो दास ने बताया है कि 11 मार्च को अंतिम बार बैंड बाजा बजा था. लॉकडाउन के कारण सभी आर्डर कैंसल कर दिया गया है. जिनका एडवांस अब धीरे-धीरे चुकाना है.उनकी स्थिति काफी दयनीय ही गयी है. कुछ लोग अपने बुकिंग डेट को नवंबर में शिफ्ट कर रहे है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि उस समय भी काम कर पाएंगे या नहीं. बैेड मालिक कीस्टो दास ने सरकार से बैंड वालों के लिए मार्गदर्शन की अपील की है.

ये भी पढ़ें-हजारीबाग डॉक्टर्स ने पेश की मिसाल, मानिसक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को खुद कराया अस्पताल में भर्ती

दो साल चले गए हैं पीछे

कोलकाता बैंड मालिक मो आफताब बताते हैं कि अभी कोई बुकिंग नहीं हो रही है. जो बुकिंग की गयी थी, वो कैंसल की जा रही है. सरकार के तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं है. एक सीजन में 2 से 3 लाख कमाते थे अब एक साल पीछे चले गए हैं.

कोरोना के डर से बुकिंग बंद है

शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बैंड वाले जयशीराम बताते है की कोरोना का डर से बुकिंग नही हो रहा है अब कलाकार भी नही लौट रहे हैं, सब भगवान भरोसे है. बैंड वालों की इस समस्या पर एमएचए की गाइडलाइन में बैंड बाजा का कहीं जिक्र नहीं है, ना ही कोई निर्देश दिया गया है, शादी में 50 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के आगे किसी का जोर नही और बैंड के ना बजने से बैंड बाजा से जुड़ी व्यवस्था भी कठिनाई का सामना कर रही है, ऐसे में सरकार को अपनी नीति स्प्ष्ट करनी चाहिए.

जमशेदपुर: कोविड-19 को लेकर देश में जारी लॉकडाउन के पांचवें चरण में सरकार ने कुछ सेवाएं शुरू करने की छुट दी है. एमएचए की गाइडलाइन में शादी-विवाह में सिर्फ पचास लोगों को शामिल करने को कहा गया है, लेकिन इसमें बैंड बाजा वालों को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है, ना ही कोई निर्देश जारी किया गया है. जिसके कारण बैंड वलों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है और वे अब भुखमरी के कगार पर है.

देखें पूरी खबर

बैंड बाजा की हैं सौ दुकानें

जानकारी के अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिला में 100 के करीब बैंड बाजा बुक करने की दुकानें हैं. जिनमें शहरी क्षेत्र में 60 के करीब दुकानें हैं. इन सभी बैंड बाजा वालों के पास काम करने वाले कलाकार बिहार के दरभंगा और समस्तीपुर के रहने वाले हैं. इसके अलावा लाइट और कैसियो के लिए स्थानीय स्तर के लोग काम करते हैं.

एक लगन में होती थी, दो से तीन लाख की कमाई

बैंड के पूरे सेट में कुल 25 की संख्या रहती है, जिनमें 11 बैंड वाले, 10 लाइट वाले, एक कैसियो बजाने वाला, दो ऑटो चालक, एक हेल्पर रहता है. पूरे एक सेट की बुकिंग 18 से 20 हजार रुपये में होती है. सिर्फ बैंड बाजा की बुकिंग 8 से 9 हजार रूपये में होती है. बैंड वालों का कहना है कि उन्हें एक लगन में 2 से 3 लाख तक कि कमाई हो जाती है.

अंतिम बार गुंजी है 11 मार्च को बैंड की धुन

लॉकडाउन से पूर्व 11 मार्च के लग्न के दिन शहर में अंतिम बार बैंड बाजा की धुन सुनने को मिली है और उस के बाद आज तक बंद है. 11 मार्च के बाद लगन में बुकिंग के सभी ऑर्डर कैंसिल कर दिया गया है और अब आगामी लगन के लिए भी बुकिंग नहीं हो रही है.

क्या है बैंड मालिक कहना

सुभाष बैंड के मालिक कीस्टो दास ने बताया है कि 11 मार्च को अंतिम बार बैंड बाजा बजा था. लॉकडाउन के कारण सभी आर्डर कैंसल कर दिया गया है. जिनका एडवांस अब धीरे-धीरे चुकाना है.उनकी स्थिति काफी दयनीय ही गयी है. कुछ लोग अपने बुकिंग डेट को नवंबर में शिफ्ट कर रहे है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि उस समय भी काम कर पाएंगे या नहीं. बैेड मालिक कीस्टो दास ने सरकार से बैंड वालों के लिए मार्गदर्शन की अपील की है.

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दो साल चले गए हैं पीछे

कोलकाता बैंड मालिक मो आफताब बताते हैं कि अभी कोई बुकिंग नहीं हो रही है. जो बुकिंग की गयी थी, वो कैंसल की जा रही है. सरकार के तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं है. एक सीजन में 2 से 3 लाख कमाते थे अब एक साल पीछे चले गए हैं.

कोरोना के डर से बुकिंग बंद है

शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बैंड वाले जयशीराम बताते है की कोरोना का डर से बुकिंग नही हो रहा है अब कलाकार भी नही लौट रहे हैं, सब भगवान भरोसे है. बैंड वालों की इस समस्या पर एमएचए की गाइडलाइन में बैंड बाजा का कहीं जिक्र नहीं है, ना ही कोई निर्देश दिया गया है, शादी में 50 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के आगे किसी का जोर नही और बैंड के ना बजने से बैंड बाजा से जुड़ी व्यवस्था भी कठिनाई का सामना कर रही है, ऐसे में सरकार को अपनी नीति स्प्ष्ट करनी चाहिए.

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