जमशेदपुरः लौहनगरी में तमाम महिला, पुरुष सहायक पुलिस वर्दी में जिला पुलिस मुख्यालय पहुंचे और अपनी नौकरी को स्थाई करने की मांग को लेकर आंदोलन किया. उनका कहना है कि उन्हें झारखंड पुलिस का स्थाई सदस्य बनाया जाए.
तीन साल बाद फंसा मामला
बता दें कि साल 2017 में रघुवर सरकार ने 12 अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से वहां के युवाओं को एक योजना के तहत सहायक पुलिस बना कर बहाली की थी. इन जवानों का मासिक वेतन 10 हजार रुपया तय किया गया था और उन्हें 3 वर्षों के बाद उनके काम को देखते हुए जिला पुलिस बल में बहाल कर लेने की बात कही गई थी. मगर अब समस्या बड़ी हो गई जब सहायक पुलिस की बहाली हुई थी तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी. मगर हालात बदले और 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार आ गई.
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इस बीच सहायक पुलिस का अगस्त में 3 साल का समय पूरा हो गया. अब समस्या खड़ी हो गई कि तत्कालीन सीएम रघुवर की सहायक पुलिस की स्थायीकरण हेमंत सोरेन की सरकार क्यों करें. अब इस मसले पर सरकार मौन है. इसको देखते हुए बुधवार को जिले के तमाम महिला, पुरुष सहायक पुलिस वर्दी में जिला पुलिस मुख्यालय पहुंचे और अपने नौकरी को स्थाई करने की डिमांड को आंदोलन का रूप दिया और कहा कि सरकार वादा खिलाफी ना करें. उन्हें नक्सल से दूर रहने लिए बहाल कराया गया था, उन्हें झारखंड पुलिस बल का हिस्सा बनाए.