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अजब-गजबः वाणिज्य कर विभाग ने मजदूर को 3.5 करोड़ की जीएसटी भुगतान का भेजा नोटिस, किसान के नाम पर बनायी फर्जी कंपनी

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Published : Dec 4, 2020, 9:53 AM IST

Updated : Dec 4, 2020, 1:55 PM IST

मुसाबनी में किसान के नाम पर करोड़ों रुपये टर्न ओवर वाली फर्जी स्टील कंपनी बनाकर 5.58 करोड़ रुपये जीएसटी फ्रॉड का मामला प्रकाश में आया है. किसान लादूम मुर्मू राय पहाड़ी, जो कापागोड़ा का रहने वाला है एफआईआर में उसे नामजद आरोपी बनाया गया है.

मजदूर को नोटिस
मजदूर को नोटिस

घाटशिला/जमशेदपुरः घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड में जीएसटी घोटाले का अजीबोगरीब मामला सामने आया है जीएसटी अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मजदूर के आधार और पैन कार्ड पर कंपनी को जीएसटी नंबर वाणिज्य कर विभाग ने आवंटित कर दिया.

देखें पूरी खबर.

जानकारी के अनुसार मुसाबनी के रायपहाड़ी गांव निवासी व 198 रुपए रोज कमाने वाले मनरेगा मजदूर लादुम मुर्मू (48) को 3.5 करोड़ रुपए जीएसटी भुगतान का नोटिस भेजा. नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादूम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया.

पता चला कि उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक का गलत इस्तेमाल कर मेसर्स एसएस स्टील के नाम से फर्जी कंपनी बनाकर व्यवसाय किया गया. जीएसटी अधिकारियों ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी को जीएसटी नंबर (20एडब्ल्यूवीपीएम0673क्यूआईजेडवी) अलॉट कर दिया.

इस कंपनी ने वर्ष 2018-19 के नवंबर-दिसंबर माह में त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओमकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ इंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिंधुजा स्टील और सुभद्रा को कुल 87 ई-वे बिल के जरिए 5,58,05,408 रुपए की स्टील बेची, लेकिन इस लेनदेन का जीएसटी भुगतान नहीं किया गया.

इसके एवज ने विभाग ने उक्त कंपनी के मालिक को नोटिस भेजा. पुलिस असली आरोपी की तलाश में जुटी है. पीड़ित के अनुसार उसने अपने भतीजे बैला मुर्मू को 2018 में सहकारिता बैंक का पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड अन्य कागजात दिए थे. उसने बताया कि सरकार उसके खाते में हर महीने 2000 रु. जमा करेगी.

यह भी पढ़ेंः फर्जी ATM से हुई रिटायर्ड सेना जवान के पैसे की ठगी, 1.81 लाख की निकासी कर ठग चंपत

इसलिए ये कागजात भतीजे को दिए. बैला मुर्मू ने सारे कागजात अपने दामाद गाोलूडीह देवली निवासी सुनाराम हेंब्रम को सौंपे. सुनाराम ने जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुशांत सामंता काो दिए. इसके बाद उसका क्या हुआ, पता नहीं.

उसके खाते में तो अब तक पैसे नहीं आए, लेकिन पिछले साल सितंबर में वाणिज्य कर अधिकारी उसके पास पहुंचे और 3.5 करोड़ रुपए जुर्माना भरने को कहा, न भरने पर वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त कंचन बरवा की शिकायत पर जीएसटी अधिनियम की धारा 70 और आईपीसी की धारा के तहत मुसाबनी थाने में केस दर्ज हुआ.

जमशेदपुर के जीएसटी कोर्ट में उसका बयान दर्ज हुआ. उससे कंपनी के बारे में 7 सवाल किए गए. उसने कंपनी बनाने और लेनदेन की बात से इंकार किया.

लादुम लगा रहा गुहार

थाने में लादुम मुर्मू पुलिस के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था. कह रहा था-इतना पैसा हम कहां से देंगे. माफ करो सरकार. इससे तो हमारा घर-द्वार बिक जाएगा.

हम मजदूरी करके पेट पालने वाले हैं. इतने बड़े कारोबार का सपना भी कभी नहीं देखा है. मैं निर्दोष हूं. मामले की जांच कराइए. लादुम की पत्नी की कुछ समय पहले ही मृत्यु हो चुकी है उसका एक बेटा उनके साथ रहता है.

घाटशिला/जमशेदपुरः घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड में जीएसटी घोटाले का अजीबोगरीब मामला सामने आया है जीएसटी अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मजदूर के आधार और पैन कार्ड पर कंपनी को जीएसटी नंबर वाणिज्य कर विभाग ने आवंटित कर दिया.

देखें पूरी खबर.

जानकारी के अनुसार मुसाबनी के रायपहाड़ी गांव निवासी व 198 रुपए रोज कमाने वाले मनरेगा मजदूर लादुम मुर्मू (48) को 3.5 करोड़ रुपए जीएसटी भुगतान का नोटिस भेजा. नोटिस अवधि गुजर जाने के बाद भी लादूम ने पैसे जमा नहीं किए तो पुलिस गांव पहुंची, उसे हिरासत में ले लिया, लेकिन उसकी हालत देखकर और गांववालों के विरोध के बाद उसे छोड़ दिया.

पता चला कि उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक का गलत इस्तेमाल कर मेसर्स एसएस स्टील के नाम से फर्जी कंपनी बनाकर व्यवसाय किया गया. जीएसटी अधिकारियों ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी को जीएसटी नंबर (20एडब्ल्यूवीपीएम0673क्यूआईजेडवी) अलॉट कर दिया.

इस कंपनी ने वर्ष 2018-19 के नवंबर-दिसंबर माह में त्रिनेत्र ट्रेडर्स, ओमकार ट्रेडर्स, त्रिनाथ इंटरप्राइजेज, आलम मेटल स्टोर, सिंधुजा स्टील और सुभद्रा को कुल 87 ई-वे बिल के जरिए 5,58,05,408 रुपए की स्टील बेची, लेकिन इस लेनदेन का जीएसटी भुगतान नहीं किया गया.

इसके एवज ने विभाग ने उक्त कंपनी के मालिक को नोटिस भेजा. पुलिस असली आरोपी की तलाश में जुटी है. पीड़ित के अनुसार उसने अपने भतीजे बैला मुर्मू को 2018 में सहकारिता बैंक का पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड अन्य कागजात दिए थे. उसने बताया कि सरकार उसके खाते में हर महीने 2000 रु. जमा करेगी.

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इसलिए ये कागजात भतीजे को दिए. बैला मुर्मू ने सारे कागजात अपने दामाद गाोलूडीह देवली निवासी सुनाराम हेंब्रम को सौंपे. सुनाराम ने जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुशांत सामंता काो दिए. इसके बाद उसका क्या हुआ, पता नहीं.

उसके खाते में तो अब तक पैसे नहीं आए, लेकिन पिछले साल सितंबर में वाणिज्य कर अधिकारी उसके पास पहुंचे और 3.5 करोड़ रुपए जुर्माना भरने को कहा, न भरने पर वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त कंचन बरवा की शिकायत पर जीएसटी अधिनियम की धारा 70 और आईपीसी की धारा के तहत मुसाबनी थाने में केस दर्ज हुआ.

जमशेदपुर के जीएसटी कोर्ट में उसका बयान दर्ज हुआ. उससे कंपनी के बारे में 7 सवाल किए गए. उसने कंपनी बनाने और लेनदेन की बात से इंकार किया.

लादुम लगा रहा गुहार

थाने में लादुम मुर्मू पुलिस के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था. कह रहा था-इतना पैसा हम कहां से देंगे. माफ करो सरकार. इससे तो हमारा घर-द्वार बिक जाएगा.

हम मजदूरी करके पेट पालने वाले हैं. इतने बड़े कारोबार का सपना भी कभी नहीं देखा है. मैं निर्दोष हूं. मामले की जांच कराइए. लादुम की पत्नी की कुछ समय पहले ही मृत्यु हो चुकी है उसका एक बेटा उनके साथ रहता है.

Last Updated : Dec 4, 2020, 1:55 PM IST

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