दुमकाः सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग होता है इसका नमूना जिले में देखा जा सकता है. दरअसल, लगभग दो दशक पूर्व पेयजल विभाग ने लाखों के वाटर बोरिंग वाहन क्रय किए थे, लेकिन उसका सही रखरखाव नहीं हुआ. उन वाहनों की जो क्षमता थी उसका समुचित उपयोग न कर उसे खुले में छोड़ दिया गया. समय बीतता गया, अब ये सभी वाहन कबाड़ के रूप में तब्दील हो गए हैं. शहर से 6 किलोमीटर दूर मयूराक्षी नदी के किनारे हिजला वाटर प्लांट परिसर में ऐसे चार वाहन रखे हुए हैं, जो ये बताते हैं कि यह विभागीय लापरवाही का उदाहरण है.
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वाहनों की होगी नीलामी
दुमका पेयजल और स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि इन वाहनों को काफी पहले लिया गया था. इसलिए वह नहीं बता सकते कि इसका प्रयोग क्यों नहीं हुआ. लेकिन लॉकडाउन के पहले एक विभागीय बैठक हुई थी, उसमें यह निर्णय लिया गया है कि इन वाहनों की नीलामी होगी.
इस तरह की लापरवाही चिंतनीय विषय
अगर कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय के लिए ऐसे संयंत्रों का क्रय करता है तो वह उसका समुचित प्रयोग करता है, उसे वह बेहतर रोजगार का साधन बनाता है और काफी मुनाफा कमाता है, लेकिन सरकारी विभाग जब यह खरीदता है तो मामला उलट जाता है. आखिरकार यह मानसिकता कब बदलेगी, जब सरकारी संपत्ति को भी लोग अपनी निजी संपत्ति की तरह देखभाल करेंगे और उसकी सुरक्षा करेंगे.