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दुमका: ग्रामीण भागों में जलसंकट गहराने से नागरिक परेशान, लंबे समय से बनी हुई है समस्या

दुमका शिकारीपाड़ा प्रखंड के कुरूम कार्ड गांव में गंभीर पेयजल संकट है. इसके कारण वहां के लोग गंदा पानी-पीने को मजबूर रहते हैं. क्षेत्र में पानी की समस्या लंबे समस्या से बनी हुई है. ग्रामीणों की मूलभूत समस्या का आज तक समाधान नहीं हो पाया है.

कुरूम कार्ड गांव
कुरूम कार्ड गांव
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Published : May 28, 2020, 3:22 PM IST

दुमका: जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कुरूम कार्ड गांव में गंभीर पेयजल संकट है, जिसके कारण वहां के निवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आदिवासी बाहुल्य बस्ती में साल भर लोग जोरिया का पानी पीने को मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर

ग्रामीण मेरी हेमराम का कहना है कि पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यह जानते हुए भी कि जोरिया का गंदा पानी पीने से बीमार पड़ सकते हैं फिर भी अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पीते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जब से होश संभाला है. इसी जोरिया का पानी पी रहे हैं. चुनाव के वक्त नेताजी आते हैं, समाधान का भरोसा देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उलट कर कभी गांव नहीं आते हैं.

बीते 70 वर्षों में यह एकमात्र जलपान लगाया गया है. भीषण गर्मी में जलपान चलाना एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है. पूर्वजों द्वारा बनाया गया एक छोटा सा कुआं इस बात का गवाह है कि शुरू से इस गांव में पेयजल संकट व्याप्त है लेकिन अब वह कुआं पूरे गांव की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है. प्रशासन के लोग कभी गांव आते नहीं हैं और जनप्रतिनिधि चुनाव के बाद आश्वासन तो जरूर देते हैं लेकिन चुनाव जीते ही भूल जाते हैं

मूलभूत समस्या का नहीं हो रहा समाधान

पुष्पलता टूटू का कहना है कि गर्मी के समय अकेले नल चलाना संभव नहीं है. कड़ी मेहनत के बाद नल से पानी निकलना शुरू होता है, लेकिन 5 से 10 मिनट पानी निकलने के बाद बंद हो जाता है, जिसके कारण पानी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. सरकार अगर पानी संकट से निजात दिला दें तो ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा. यहां की जनता ने विधायक के रूप में लगातार 7वीं बार नलिन सोरेन को विजयी बनाया. इसके बावजूद ग्रामीणों की मूलभूत समस्या का समाधान नहीं हो पाया.

और पढ़ें - 438 हुई राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या, मात्र एक साहिबगंज जिला है कोरोना मुक्त

क्या कहते हैं सांसद सुनील सोरेन

दूसरी ओर सांसद सुनील सोरेन का कहना है कि विधायक को क्षेत्र की समस्या से कोई मतलब नहीं है. सांसद ने ग्रामीणों को शीघ्र ही पेयजल संकट से निजात दिलाने का भरोसा दिया.

दुमका: जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कुरूम कार्ड गांव में गंभीर पेयजल संकट है, जिसके कारण वहां के निवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आदिवासी बाहुल्य बस्ती में साल भर लोग जोरिया का पानी पीने को मजबूर हैं.

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ग्रामीण मेरी हेमराम का कहना है कि पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यह जानते हुए भी कि जोरिया का गंदा पानी पीने से बीमार पड़ सकते हैं फिर भी अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पीते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जब से होश संभाला है. इसी जोरिया का पानी पी रहे हैं. चुनाव के वक्त नेताजी आते हैं, समाधान का भरोसा देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उलट कर कभी गांव नहीं आते हैं.

बीते 70 वर्षों में यह एकमात्र जलपान लगाया गया है. भीषण गर्मी में जलपान चलाना एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है. पूर्वजों द्वारा बनाया गया एक छोटा सा कुआं इस बात का गवाह है कि शुरू से इस गांव में पेयजल संकट व्याप्त है लेकिन अब वह कुआं पूरे गांव की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है. प्रशासन के लोग कभी गांव आते नहीं हैं और जनप्रतिनिधि चुनाव के बाद आश्वासन तो जरूर देते हैं लेकिन चुनाव जीते ही भूल जाते हैं

मूलभूत समस्या का नहीं हो रहा समाधान

पुष्पलता टूटू का कहना है कि गर्मी के समय अकेले नल चलाना संभव नहीं है. कड़ी मेहनत के बाद नल से पानी निकलना शुरू होता है, लेकिन 5 से 10 मिनट पानी निकलने के बाद बंद हो जाता है, जिसके कारण पानी के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. सरकार अगर पानी संकट से निजात दिला दें तो ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा. यहां की जनता ने विधायक के रूप में लगातार 7वीं बार नलिन सोरेन को विजयी बनाया. इसके बावजूद ग्रामीणों की मूलभूत समस्या का समाधान नहीं हो पाया.

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क्या कहते हैं सांसद सुनील सोरेन

दूसरी ओर सांसद सुनील सोरेन का कहना है कि विधायक को क्षेत्र की समस्या से कोई मतलब नहीं है. सांसद ने ग्रामीणों को शीघ्र ही पेयजल संकट से निजात दिलाने का भरोसा दिया.

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