दुमका: झारखंड में बेरोजगारी का दंश कई युवा झेल रहे हैं. पढ़-लिख कर भी उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. हालांकि वे आत्मनिर्भर होने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला दुमका के जरमुंडी प्रखंड से आया है जहां कंजिया गांव के पोस्ट ग्रेजुएट युवा बेरोजगार हैं. यहां के एक युवा ने सरकार से अनुदान लेकर फूलों की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की लेकिन अब समस्या यह है कि उन्हें फूलों के लिए बाजार नहीं मिल रहा है. ऐसे में फूलों की बिक्री नहीं हो पा रही है और वे लहलहाते फूलों को तोड़कर फेंकने को मजबूर हैं.
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कंजिया गांव के बेरोजगार युवकों में से एक पोस्ट ग्रेजुएट युवक प्रवीण कुमार भी शामिल हैं. पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली तो काम की तलाश में उन्होंने 'आत्मा' दुमका से संपर्क किया और विभाग से मिले अनुदान पर ग्रीनहाउस प्लांट में जरबेरा की फूलों की खेती शुरू की. खेती आरंभ करने के बाद शुरुआती दौर में फूलों की काफी अच्छी उपज हो रही है, लेकिन उत्पादन के अनुरूप फूलों की बिक्री नहीं होने से फूल बगिया में ही मुरझा रहे हैं. जिससे किसान के चेहरे पर मायूसी नजर आ रही है.
क्या कहते है किसान: प्रवीण कुमार ने कहा कि वह पढ़ लिखकर बेरोजगार हो गए थे ऐसे में उन्होंने सोचा कि सरकार से अनुदान लेकर ग्रीनहाउस लगाकर फूल की खेती करें. जिससे कुछ नगदी आय हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उपजाए फूलों के लिए बाजार नहीं मिल पा रहा है और वे फूल तोड़ कर फेंकने को मजबूर हैं. अगर बाजार मिल भी रहा है तो वहां फूलों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में वे काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी भी नहीं दे पा रहे हैं.
क्या कहते हैं कृषि विभाग: हालांकि प्रखंड कृषि प्रबंधक समरेंद्र सिन्हा ने किसान के उत्साह को देखते हुए फूलों की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास किया है. उन्होंने बताया कि जरबेरा जैसे सजावटी फूलों की शादी विवाह जैसे अन्य उत्सवों में काफी डिमांड रहती है. लेकिन कोरोना संक्रमण और ठंड के मौसम में शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों के आयोजन नहीं होने के कारण फूलों की बिक्री में कमी देखी जा रही है. आने वाले मौसम में इन फूलों की मांग बढ़ेगी और किसानों को उनकी मेहनत का फल भी मिलेगा. उन्होंने कहा विभाग की ओर से जहां तक हो सकेगा, किसान को सहायता दिलाने का कोशिश की जाएगी.