दुमकाः झारखंड सरकार के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदान करने के दावे की पोल दुमका में खुलता नजर आ रहा है. 6 माह पहले झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका स्थित फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन का उद्घघाटन किया था. इस मशीन को 15 लाख रुपए में खरीदा गया था, कुछ ही दिन चलने के बाद यह मशीन बंद हो गया. मुख्यमंत्री की ओर से चालू कराया गया मशीन एक कमरे की शोभा बढ़ा रहा है.
इसे भी पढ़ें- सरकारी उदासीनता का नमूना दुमका जिला संयुक्त अस्पताल, न डॉक्टर-न दवाएं तो क्यों रुख करें मरीज?
इससे मरीजों को परेशानी होने लगी तो अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पीपीपी मोड पर अल्ट्रासाउंड मशीन की सुविधा को एक निजी कंपनी ने चालू कराया. जहां सरकारी व्यवस्था में यह गरीब मरीजों को मुफ्त में उपलब्ध था. अब इस सुविधा को प्राप्त करने में तीन सौ रुपया से अधिक चुकाने पड़ रहा है.
क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक
सरकार की ओर से लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन बंद हो जाने के संबंध में हमने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. रविंद्र कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहने की वजह से यह बंद हो गया है. 6 माह पहले जब यह लगा उस वक्त हमारे पास दो रेडियोलॉजिस्ट थे. एक ने इस्तीफा दे दिया तो दूसरा डॉक्टर लंबी छुट्टी पर चले गए, अब अल्ट्रासाउंड कौन करे. उन्होंने बताया कि अब एक निजी कंपनी ने अपना अल्ट्रासाउंड मशीन लगा लिया है. सुविधा तो बहाल की गई है लेकिन इसके एवज में मरीज को ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. सरकार की अल्ट्रासाउंड मशीन को एक कमरे में बंद कर दिया गया है.
क्या कहते हैं मरीज के परिजन
अस्पताल में अपने अल्ट्रासाउंड के लिए पहुंचे मरीज के परिजनों ने बताया कि सरकारी अल्ट्रासाउंड मशीन बंद है, जरूरी है इसीलिए प्राइवेट में करा रहे हैं. वो सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द सरकारी व्यवस्था चालू कराएं, क्योंकि हम जैसे गरीब को पैसे देने में काफी परेशानी है.
इसे भी पढ़ें- दुमका: भारी मात्रा में प्रतिबंधित कफ सिरप जब्त, नशा के लिए लोग करते हैं इस्तेमाल
सरकार ले त्वरित संज्ञान
यही है सरकारी व्यवस्था का हाल. अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन बंद हो गई तो प्राइवेट वालों को मौका मिल गया है. जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. सरकार को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेते हुए आवश्यक पहल करनी चाहिए.